28 C
Lucknow
Saturday, October 12, 2024

डॉक्टरों के अनुसार, लखनऊ में मानसून के ज्यादा समय तक रहने से डेंगू केसेस में बढ़ोत्तरी

 

25 सितम्बर 2021,
लखनऊ: कोविड अभी भी हमारे बीच मौजूद है, इस दौरान शहर में डेंगू बुखार का प्रकोप भी चिंता का विषय बना हुआ है। शहर में लगातार बारिश के कारण पानी भरने से वेक्टर जनित बीमारी में अचानक बढ़ोत्तरी हुई है।

डेंगू वायरस मुख्य रूप से मादा मच्छरों द्वारा फैलता है। यह मादा की प्रजाति एडीज इजिप्टी होती है। कुछ हद तक ये अल्बोपिक्टस से फैलता है। ये मच्छर चिकनगुनिया, पीला बुखार और जीका संक्रमण सहित अन्य संभावित गंभीर वेक्टर जनित बीमारियों को भी फैलाते हैं। बीमारी के खिलाफ अभी तक कोई भी विश्वसनीय वैक्सीन नहीं बन पाई है। इसलिए मच्छरों से बचाव ही इन बीमारियों से बचने का सबसे महत्वपूर्ण कोर्स है। अन्य मच्छर जहाँ रात में काटते हैं तो वहीं डेंगू वायरस को फ़ैलाने वाले मच्छर ज्यादातर दिन में काटते है। ऐसा माना जाता है कि डेंगू फैलाने वाले ये मच्छर सुबह और शाम के समय सबसे ज्यादा सक्रिय होते है।

डॉ उबैदुर रहमान, कंसलटेंट इंटरनल मेडिसिन, रीजेंसी सुपरस्पेशलटी हॉस्पिटल, लखनऊ ने कहा, “वेक्टर जनित बीमारी या मच्छरों के काटने से होने वाली बीमारी के केसेस आमतौर पर बारिश के मौसम के दौरान या उसके तुरंत बाद बढ़ जाते हैं। यह बीमारी जब तक बारिश का मौसम रहता है तब तक जारी रहती है। यह एक तरह से अब वार्षिक बीमारी बन गयी है जो साल में इसी समय घटित होती है। हम देख रहे हैं कि डेंगू के बहुत सारे केसेस सामने आए हैं, यहां तक कि हॉस्पिटल में भर्ती मरीजों की संख्या भी बढ़ी है, मलेरिया और टाइफाइड के केसेस भी बढ़े हैं। आमतौर पर हम वयस्क लोगों में केसेस को देख रहे हैं क्योंकि स्कूल अभी तक नहीं खुले हैं, इसलिए बच्चे इन समस्याओं से संक्रमित नही हो रहे हैं, चूँकि वयस्क लोग ही बाहर निकल रहे हैं इसलिए वे इस बीमारी से ज्यादा ग्रसित हो रहे हैं। अपने घर के आसपास पानी जमा न होने दें जैसे कि फूल के बर्तनों में पानी न जमा होने दें। पक्षियों के लिए बर्तन बाहर रखें, सप्ताह में एक बार ठंडा पानी बदलें और पानी में लार्वा विरोधी केमिकल मिलाएं, घर से बाहर निकलते समय पूरी बांह के कपड़े पहनें। रोकथाम ही इन समस्याओं के लिए बेहतर है। मलेरिया और टाइफाइड के केसेस भी हॉस्पिटल में आये हैं, और ये पिछले 3 से 4 हफ्तों में ये केसेस बढ़े हैं।”

कोरोनावायरस महामारी के अलावा डेंगू और मलेरिया का इलाज करना सबसे कठिन समस्या बनने जा रही है। ये सभी बीमारियां हमारे हेल्थकेयर इकोसिस्टम पर काफी दबाव डालने वाली हैं। डेंगू के लक्षण शरीर में दर्द के साथ तेज बुखार है। फ्लू के लक्षण बुखार, नाक बहना, गले में खराश और खांसी हैं। अगर आपको जोड़ों के दर्द के साथ बुखार है, तो आपको चिकनगुनिया हो सकता है।

डॉ उबैदुर रहमान ने इस बारे में बात करते हुए कहा, “मानसून की शुरुआत होने से सितंबर और अक्टूबर के महीनों में डेंगू और मलेरिया के केसेस बढ़ने वाले हैं। मलेरिया, डेंगू और चिकनगुनिया के लिए मच्छर के काटने से बचाव बहुत जरूरी है। ऐसे कपड़े पहनने चाहिए जो शरीर को ज्यादा से ज्यादा ढकें और मच्छर भगाने वाली क्रीम का इस्तेमाल करना चाहिए। इसके अलावा अपने वातावरण को साफ रखें, कूलर, फूलदान या किसी भी बर्तन में कहीं भी पानी जमा न होने दें। नम स्थानो पर मच्छर ज्यादा पनपने हैं। केवल अपने घर को ही नहीं, बल्कि समाज और आस-पास के स्थान को भी साफ रखने की जरूरत है। घर में पीने योग्य पानी का सेवन करें और बाहर के ठंडे पानी का इस्तेमाल न करें। डेंगू और मलेरिया के अलावा चिकनगुनिया और लेप्टोस्पायरोसिस बीमारियां ज्यादा हो रही हैं। ये बीमारी क्रमशः मच्छर के काटने और दूषित पानी से होती है। यहां तक कि मानसून में पीलिया और हेपेटाइटिस के केसेस भी बढ़ते हैं, ये सभी मलेरिया, डेंगू और चिकनगुनिया की तरह समान रूप से खतरनाक हो सकते हैं। इन बीमारियों को रोकने के लिए बेहतर दृष्टिकोण की आवश्यकता होती है और विशेष रूप से अगर मरीज कोविड -19 से पीड़ित हैं तो इन बीमारियों से वह जल्दी ही ग्रसित हो सकता है।”

डेंगू बुखार, को ‘हड्डी तोड़ बुखार’ भी कहा जाता है। यह एक गंभीर फ्लू जैसी बीमारी है जो सभी आयु वर्ग के लोगों को प्रभावित करती है। ज्यादातर लोगों में बुखार अपने आप ही चला जाता है। हालांकि कुछ मरीजों में यह हैमरेजिक (रक्तस्रावी) बुखार जैसी गंभीर कॉम्प्लीकेशन्स पैदा कर सकता है, जो लिम्फ (लसीका) और ब्लड वेसेल्स (रक्त वाहिकाओं) को नुकसान पहुंचा सकता है और तेज बुखार, नाक और मसूड़ों से खून का आना, लीवर एनलार्जमेंट और सर्कुलेटरी सिस्टम को फेल होने का कारण बन सकता है। इसलिए बीमारी के दौरान चिकित्सकीय देखरेख में रहना बहुत जरूरी है। अगर प्लेटलेट काउंट बहुत कम हो जाता है, तो इससे आंतरिक रूप से ब्लीडिंग होने की संभावना भी बढ़ सकती है, और इस केस में प्लेटलेट ट्रांसमिशन महत्वपूर्ण हो जाता है।

Latest news
- Advertisement -spot_img
Related news
- Advertisement -spot_img

कोई जवाब दें

कृपया अपनी टिप्पणी दर्ज करें!
कृपया अपना नाम यहाँ दर्ज करें