बेंगलुरु. इंडियन स्पेस रिसर्च ऑर्गनाइजेशन (इसरो) शुक्रवार को खुद का बनाया 100वां सैटेलाइट लॉन्च करेगा। इसके अलावा वह इस सिंगल मिशन से 30 और सैटेलाइट भेजेगा। इनमें 28 विदेशी होंगे। यह दूसरा मौका है जब वह एक साथ इतने सैटेलाइट भेज रहा है। पिछले साल फरवरी में उसने एक साथ 104 सैटेलाइट ऑर्बिट में भेजकर वर्ल्ड रिकॉर्ड बनाया था। इनमें ज्यादातर विदेशी थे।
सुबह 9:28 बजे होगी लॉन्चिंग
– ये सैटेलाइट्स आंध्रप्रदेश में श्रीहरिकोटा के सतीश धवन स्पेस सेंटर से शुक्रवार सुबह 9:28 बजे पीएसएलवी से छोड़े जाएंगे।
– इसरो के डायरेक्टर एम अन्नादुरै ने यहां रिपोर्टर्स से कहा, “जैसे ही मिशन का आखिरी सैटेलाइट पीएसएलवी-सी20 से अलग होकर अपने ऑर्बिट में जाएगा यह हमारा 100वां सैटेलाइट होगा। इसके साथ ही हमारा पहला शतक पूरा हो जाएगा। हम इस पल का बेसब्री से इंतजार कर रहे हैं।”
भारत के 3 सैटेलाइट लॉन्च किए जाएंगे
– अन्नादुरै ने बताया कि मिशन के साथ कुल 31 सैटेलाइट भेजे जा रहे हैं। मेन पे-लोड कार्टोसेट सीरीज का तीसरा सैटेलाइट है। बाकी 28 विदेशी सैटेलाइट्स हैं। भारत का तीसरा सैटेलाइट माइक्रो सैटेलाइट है, जिसका वजन 100 किलोग्राम है। यह सबसे आखिरी में ऑर्बिट में पहुंचेगा।
31 सैटेलाइट 1323 किलो के, आधा वजन कार्टोसेट का
– इस मिशन में पीएसएलवी-सी40 कुल 1323 किलोग्राम वजन के सैटेलाइट्स ले जाएगा।
– इनमें कार्टोसेट-2 का वजन 710 किलो का है, बाकी 30 सैटेलाइट का वजन 613 किलोग्राम है।
6 देशों के हैं 28 सैटेलाइट
– कनाडा, फिनलैंड, फ्रांस, रिपब्लिक ऑफ कोरिया, यूके और यूएसए अपने व्हीकल से लॉन्च कर चुका 278 सैटेलाइट्स
– इसरो जून 2017 तक खुद के बनाए लॉन्च व्हीकल से 278 सैटेलाइट्स लॉन्च कर चुका है।
– पिछले साल स्पेस में 104 सैटेलाइट भेजने का वर्ल्ड रिकॉर्ड भी इसरो ने अपने ही व्हीकल पीएसएलवी-सी37 के जरिए बनाया था।
फर्स्ट क्वार्टर में लॉन्च किया जाएगा चंद्रयान-2
– अन्नादुरै ने बताया कि चंद्रयान-2 की लॉन्चिंग इस साल के पहले क्वार्टर में करने का प्लान है। इस मिशन के साथ ऑर्बिटर और लैंडर भी भेजे जाएंगे। इसका इंटीग्रेशन और टेस्टिंग फाइनल स्टेज में है।
ISRO का पिछला मिशन हुआ था फेल
– 31 अगस्त को इसरो का लॉन्चिंग मिशन फेल हो गया था। तब उसने पीएसएलवी-सी39 के जरिए बैकअप नेवीगेशन सैटेलाइट आईआरएनएसएस-1एच सैटेलाइट लॉन्च किया था। यह तकनीकी खामी की वजह से आखिरी स्टेज में नाकाम हो गया था।
PSLV दुनिया का सबसे भरोसेमंद लॉन्च व्हीकल
– अपनी 39th उड़ान के साथ PSLV दुनिया का सबसे भरोसेमंद सैटेलाइट लॉन्च व्हीकल बन गया।
– 1993 से लेकर अब तक इसने 38 उड़ानों में कई भारतीय और 180 विदेशी सैटेलाइट्स स्पेस में पहुंचाए हैं।
– 104 सैटेलाइट्स लॉन्च करने के लिए साइंटिस्ट्स ने PSLV के पावरफुल XL वर्जन का इस्तेमाल किया।
– 2008 में मिशन चंद्रयान और 2014 में मंगलयान भी इसी के जरिए पूरे हो सके थे।
स्पेस के मामले में दूसरे देशों से भारत कितना अलग?
– जापान, जर्मनी, इटली, चीन के बजट भारत से ज्यादा हैं। इसरो के पास 16 हजार साइंटिस्ट हैं। नासा के पास 17500 और रूस के पास 23800 हैं।
– भारत ने पहली कोशिश में ही मंगल मिशन कामयाब कर लिया था। जबकि अमेरिका 5 बार और रूस 8 बार में सफल हो पाए थे। काउंटडाउन 52 की जगह 28 घंटे का कर लिया है।
– इसरो ने 47 साल में 25 देशों के 278 सैटेलाइट्स लॉन्च किए हैं। जबकि अमेरिका ने 72 साल में 1369 और रूस ने 80 साल में 1492 सैटेलाइट्स। 10 साल में दुनिया में हुई लॉन्चिंग की 38% भारत की ओर से हुई है।
– भारत के पीएसएलवी रॉकेट की एक लॉन्चिंग करीब 100 करोड़ रु. की होती है। रूस के रॉकेट की 455 करोड़। वहीं अमेरिका, चीन व यूरोप के रॉकेट की एक उड़ान की लागत 6 हजार करोड़ रुपए से ज्यादा है।