दो साल पहले मार्च 2015 में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने पूरे देश में मध्यम वर्ग से अपील की कि वह गरीब तबके तक गैस सिलेंडर पहुंचाने के लिए अपनी-अपनी सब्सिडी ‘गिव इट अप’ कार्यक्रम के तहत छोड़ दें. प्रधानमंत्री की अपील के बाद एक साल के अंदर देशभर में लगभग एक करोड़ लोगों ने सब्सिडी छोड़ दी. पेट्रोलियम मंत्रालय का दावा है कि अब बड़ी तेजी के साथ लोग लौटाई हुई सब्सिडी को वापस ले रहे हैं.
पेट्रोलियम मंत्रालय के मुताबिक 1 लाख 12 हजार 655 लोगों ने गिव इट अप को गलती मानते हुए अपनी सब्सिडी वापस ले ली है. मंत्रालय के आंकड़े कह रहे हैं कि सब्सिडी वापस लेने वाले सबसे ज्यादा लोग, तकरीबन 23 हजार, महाराष्ट्र से हैं.
दरअसल मंत्रालय ने ‘गिव इट अप’ स्कीम को लांच करते वक्त सब्सिडी ले रहे एलपीजी ग्राहकों को एक साल बाद सब्सिडी वापस लेने का भी विकल्प दिया था. इस स्कीम के लांच होने के बाद केन्द्र सरकार ने बढ़चढ़ कर इसे सफल घोषित करते हुए आंकड़े जारी किए थे कि करोड़ों लोग प्रधानमंत्री की अपील को सुनने के बाद देशहित में अपनी-अपनी सब्सिडी छोड़ रहे हैं. इस क्रम में केन्द्र सरकार ने यह आंकड़ा भी जारी किया था कि ‘गिव इट अप’ कार्यक्रम के चलते केन्द्र सरकार को 21 हजार करोड़ रुपये से अधिक की बचत हुई है.
लेकिन अब देश में एलपीजी की बढ़ती कीमतों को देखते हुए लोगों को अपनी गलती का ऐहसास हो रहा है और वह छोड़ी हुई सब्सिडी को लेने के विकल्प को जल्द से जल्द चुनते हुए वापस सस्ती दरों पर एलपीजी सिलेंडर लेने की होड़ में लगे हैं. सब्सिडी वापस लेने की पूरी जानकारी खुद पेट्रोलियम मंत्रालय ने हाल में संसद में पूछे गए एक सवाल के जवाब में दी है.
दरअसल अंतरराष्ट्रीय मार्केट में कच्चे तेल की कीमतों में हो रहे लगातार इजाफे से सब्सिडी छोड़ चुके ज्यादातर लोग दबाव महसूस कर रहे हैं. गिव इट अप स्कीम से पहले सितंबर 2016 में गैरसब्सिडी वाला सिलेंडर दिल्ली में 470 रुपये में बिकता था और सब्सिडी के साथ सिलेंडर की कीमत 420 रुपये थी. अब साल भर में गिव इट अप स्कीम में सब्सिडी छोड़ चुके लोगों को दिल्ली में गैरसब्सिडी सिलेंडर लगभग 725 रुपये में मिल रहा है जबकि सब्सिडी के साथ वही सिलेंडर महज 440 रुपये में बिक रहा है.