भोपाल। मध्यप्रदेश के भोपाल स्थित कमला नेहरू अस्पताल के चिल्ड्रंस वार्ड में आग लगने से चार बच्चों की मौत हो गई। प्रदेश के चिकित्सा शिक्षा मंत्री विश्वास सारंग ने बताया कि मृत बच्चों के स्वजन को चार-चार लाख रुपये की सहायता दी जाएगी। फिलहाल आग लगने के कारणों का पता नहीं चला है।
सीएम शिवराज सिंह चैहान ने इस घटना को दुख जताया है। उन्होंने उच्चस्तरीय जांच के निर्देश भी दिए। सीएम ने ट्वीट करते हुए कहा कि भोपाल के कमला नेहरू अस्पताल के चाइल्ड वार्ड में आग की घटना दुखद है। बचाव कार्य तेजी से हुआ है। घटना की उच्चस्तरीय जांच के निर्देश दिए है। जांच एसीएस लोक स्वास्थ्य एवं चिकित्सा शिक्षा मोहम्मद सुलेमान, अपर मुख्य सचिव, लोक स्वास्थ्य एवं चिकित्सा शिक्षा करेंगे।
भोपाल के कमला नेहरू अस्पताल के चाइल्ड वार्ड में आग की घटना दुखद है। बचाव कार्य तेजी से हुआ। घटना की उच्चस्तरीय जांच के निर्देश दिए हैं। जांच एसीएस लोक स्वास्थ्य एवं चिकित्सा शिक्षा मोहम्मद सुलेमान करेंगे।
— Shivraj Singh Chouhan (@ChouhanShivraj) November 8, 2021
घटना की सूचना पाते ही मौके पर फायर ब्रिगेड की टीम पहुंच गई और राहत व बचाव कार्य शुरू कर दिया। खासी मशक्कत के बाद आग पर काबू पाया गया। साथ ही यहां से बच्चों को निकालकर दूसरे अस्पतालों में शिफ्ट किया गया। सीएम शिवराज सिंह ने ट्वीट कर बताया कि अस्पताल के चाइल्ड वार्ड में आग की घटना बेहद दुखद है। बचाव कार्य तेजी से हुआ, आग पर काबू पा लिया गया, लेकिन दुर्भाग्यवश पहले से गंभीर रूप से बीमार होने पर भर्ती तीन बच्चों को नहीं बचाया जा सका।
बच्चों का असमय दुनिया से जाना बेहद असहनीय पीड़ा है। ईश्वर से दिवंगत आत्माओं की शांति की प्रार्थना करता हूं। इन बच्चों के परिजनों के प्रति मेरी गहरी संवेदनाएं हैं। घटना में जो घायल हुए हैं, उन्हें शीघ्र स्वास्थ्य लाभ हो, यही मेरी कामना है।
।। ॐ शांति ।।
— Shivraj Singh Chouhan (@ChouhanShivraj) November 8, 2021
बता दें कि अस्पताल की तीसरी मंजिल पर भीषण आग लग गई जिसका कारण शार्ट सर्किट बताया जा रहा है। जानकारी के मुताबिक अस्पताल में 50 से अधिक बच्चे भर्ती थे। इनमें से सात बच्चों के झुलसने की खबर है। करीब एक दर्जन से अधिक स्टाफ नर्से भी प्रभावित हैं। वहीं दम घुटने के कारण कई बच्चों की हालत गंभीर रूप से खराब हो गई है। कुछ परिजनों ने अपने बच्चों को निजी अस्पतालों में भर्ती करा दिया है।
बताया जाता है कि जिस वार्ड में आग लगी, उसे नए भवन में शिफ्ट किया जाना था, उससे पहले हादसा हो गया। आग लगने के दौरान काफी संख्या में बच्चों के परिजन अस्तपाल के बाहर जमा हो गए थे।