पोलिटिकल एक्सपर्ट्स की अगर मानें तो असदुद्दीन ओवैसी के यूपी में चुनाव लड़ने से सबसे ज़्यादा समाजवादी पार्टी को नुक्सान उठाना पड़ सकता है। यूपी में सपा को अन्य पार्टियों की अपेक्षा मुस्लिम वोटर्स का लगभग 50 से 60 प्रतिशत वोट मिलता रहा है। ऐसे में असदुद्दीन ओवैसी मुस्लिम वोट बैंक में सेंधमारी का काम कर सकते हैं।
लखनऊ, मो इरफ़ान शहीद। उत्तर प्रदेश चुनाव में लगभग 6 महीने का वक़्त रह गया है, प्रदेश भर में चुनावी सरगर्मी तेज़ हो गयी है। ऑल इंडिया मजलिस-ए- इत्तेहादुल मुस्लिमीन के अध्यक्ष व कद्दावर नेता असदुद्दीन ओवैसी ने भी यूपी चुनाव को लेकर अपनी कमर कस ली है। यूपी के तमाम मुस्लिम बाहुल्य इलाकों में ओवैसी की पार्टी से लोग दिलचस्पी दिखा रहे हैं। वहीँ आम आदमी पार्टी के वरिष्ठ नेता और सांसद संजय सिंह ने हालात देखते हुए सपा से गठबंधन का मन बना लिया है। एक सर्वे के मुताबिक़ भाजपा को सीधी टक्कर तो समजवादी पार्टी ही दे रही है लेकिन ओवैसी का यूपी के चुनावी मैदान में कूदना सपा में मुस्लिम वोटरों पर बड़ी सेंधमारी होगी। राजनीतिक सलाहकारों की अगर माने तो अंदाजा यहाँ तक लगाया जा रहा है क़ी ओवैसी के यूपी में चुनाव लड़ने से मुस्लिमों का बड़ा वोट बैंक समाजवादी पार्टी और बहुजन समाज पार्टी से अलग होकर उनके पाले में जा सकता है। इससे यकीनन यूपी की दूसरी बड़ी पार्टी समजवादी पार्टी के लिए मुश्किलें खड़ी हो सकती हैं !
उत्तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी को अधिकतर मुसलामानों का साथ मिलता रहा है। यहाँ लगभग 50-65 प्रतिशत मुस्लिम वोट सपा के खाते में जाता रहा है। लेकिन इस बार सपा के लिए यह रास्ता उतना आसान नहीं दिख रहा है। इस बार उनके मुस्लिम वोट बैंक में बड़ी सेंध-मारी हो सकती है। देश में उभरते मुस्लिम नेता के तौर पर ओवैसी और उनकी पार्टी अच्छा प्रदर्शन करती नज़र आ रही है। ओवैसी का बेबाक अंदाज़ और उनकी क़ाबिलियत ने मुसलमानो पर अच्छी छाप छोड़ी है। इस बार यूपी चुनाव में मुस्लिम इलाकों वाली सीटों पर ओवैसी की नज़र जम गयी है। और वह इस चुनाव को पूरे दम-ख़म के साथ लड़ना चाह रहे हैं।
ओवैसी की पार्टी पर वोट काटने का आरोप भी लगता रहा है
ओवैसी की पार्टी ऑल इंडिया मजलिस-ए- इत्तेहादुल मुस्लिमीन और उनपर कांग्रेस, सपा और अन्य विपक्षी पार्टिया भाजपा की ‘बी टीम’ और वोट कटवा पार्टी का आरोप भी लगाते चले आ रहे हैं। वहीँ एमआईएम के प्रदेश अध्यक्ष शौकत अली ने इस बात को बेबुनियाद बताया और इसे सिरे से ख़ारिज करते हुए आगे कहा कि “हम पिछले 5 सालों से तैयारी कर रहे हैं, हम ज़मीनी लेवल पर अपना संगठन मजबूत कर रहे है। हम मुस्लिम वोटरों को रिझाने का काम नही कर रहे हैं।” शौकत अली ने उल्टा इन सेक्युलर पार्टियों पर मुसलमानों के साथ छलावा करने का आरोप लगाया।
आज़म खान का अस्पताल में होना सपा के लिए चिंता का विषय
यूपी के कद्दावर नेता और उत्तर प्रदेश सरकार के पूर्व कैबिनेट मंत्री आज़म खान के जेल में होना और बीमारी के चलते अस्पताल में होना यकीनन समाजवादी पार्टी के लिए एक चिंता का विषय बनी हुई है। सपा के मुस्लिम कार्यकर्ताओं की अगर माने तो आज़म खान का सक्रिय न होना भी सपा को नुक्सान पहुंचा सकता है ! गौरतलब है कि सपा के राष्ट्रीय प्रवक्ता राजेंद्र चौधरी का कहना है कि “चुनाव लड़ना सबका अधिकार है और राजनीति में कोई नफा नुक्सान नहीं होता है। सपा मुख्य विपक्षी पार्टी है और सपा को इससे कोई नुकसान नहीं होगा।”