नई दिल्ली । मोदी कैबिनेट ने जाट आरक्षण की मांग को देखते हुए गुरुवार को एक बड़े फैसले के तहत राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग की जगह नए आयोग बनाने का निर्णय लिया है। केंद्रीय कैबिनेट की बैठक में सामाजिक और शैक्षिक रुप से पिछडे़ वर्गों के लिए राष्ट्रीय आयोग (NSEBC) के गठन को मंजूरी दे दी, इस आयोग को संवैधानिक संस्था का दर्जा मिलेगा, इसके लिए सरकार संविधान में संशोधन करेगी।
राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग के बारे में खास 5 बातें
1- राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग अधिनियम 1993 में बना था। यह जम्मू-कश्मीर को छोड़कर पूरे भारत में लागू है। एक फरवरी 1993 से लागू हुआ।
2- इस आयोग का काम नागरिकों के किसी वर्ग के सूची में पिछडे़ वर्ग के रूप में शामिल किए जाने के अनुरोधों की जांच करना है। यह किसी वर्ग की सूची में किसी पिछड़े वर्ग के अधिक शामिल किए जाने या कम शामिल करने की शिकायतों की सुनवाई करता है। साथ ही यह केंद्र सरकार को ऐसे सुझाव देता है जो उसे उचित लगता है।
3- आयोग को 6 शक्तियां मिली हुई हैं। उनमें वह देश के किसी भी हिस्से से किसी व्यक्ति को समन करने और हाजिर कराने का अधिकार रखता है। किसी भी दस्तावेज को प्रस्तुत करने को कह सकता है।
4- आयोग का एक अध्यक्ष होता है, जो सुप्रीम कोर्ट या हाईकोर्ट का न्यायाधीश हो या रहा हो।
5- अध्यक्ष के अलावा चार अन्य सदस्य होते हैं, उनमें एक समाज विज्ञानी, पिछड़े वर्गों से संबंधित मामलों का विशेष ज्ञान रखने वाले दो व्यक्ति और एक भारत सरकार के सचिव स्तर का अधिकारी हो या रहा हो, होते हैं।