डॉ. मनमोहन सिंह से नरेंद्र दामोदर दास मोदी के प्रधानमंत्री बनने से देश की समस्याओं का हल नहीं है और न ही ‘निर्मल भारत अभियान’ का नाम बदलकर ‘स्वच्छ भारत अभियान’ करने से जनता के समस्याओं का हल निश्चित है।
सरकार की किसी भी योजना का क्रियान्वयन देश के सुदूर हिस्से में बैठे व्यक्ति तक उसका लाभ पहुंचे तब उस योजना के अंतर्गत आनी वाली समस्याओं का निवारण होता है।
साल 2014 में जनता के अपार समर्थन से मोदी सरकार अस्तित्व में आई तो इस सरकार से लोगों में अपार आशाएं जन्म लेने लगी थी। लोगों में आशाएं थी कि, मोदी सरकार बनी है अब भारत जापान बन जायेगा, पाकिस्तान और चीन को दुनिया के नक़्शे से मिटा देगा।
दरअसल मोदी सरकार बनने से पहले प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार के तौर पर मोदी ने अपने भाषणों में भी ऐसी ही बातें की थी। इसलिए लोगों की मानसिकता भी स्वास्थ्य, शिक्षा और खान-पान की समस्या न होकर ‘भारत जापान बन जायेगा’ जैसी बनी हुई हैं।
मनमोहन सरकार द्वारा जो योजनायें देश में लागू की गईं थी पूरे तीन साल मोदी सरकार ने उन योजनाओं का नाम बदलने में गुज़ार दिए। मोदी सरकार के तीन वर्ष के कार्यकाल में ऐसी कोई नई योजना का जन्म नहीं हुआ है जिससे देश की जनता के समस्यायों का निवारण हो सके।
विकिपीडिया से मिली जानकारी के अनुसार, मोदी सरकार ने मनमोहन सरकार या उससे पहले कांग्रेस सरकार द्वारा बनाई गई 23 योजनाओं का नाम बदलकर उन्हीं योजनाओं को नए नामों से लागू किया है।
मनमोहन सरकार के द्वारा 2013 में लागू की गई ‘डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर फॉर एलपीजी’ का नाम बदलकर ‘पहल’ और 2005 में लागू की गई ‘नेशनल रूरल लाइवलीहुड मिशन’ का नाम बदलकर ‘दीन दयाल उपाध्याय ग्रामीण कौशल योजना’ ऐसे ही 23 योजनाओं का नाम मोदी सरकार ने बदलकर उन्हीं योजनाओं को लागू किया।
सरकार बदलती है तो कुर्सियां बदलती हैं, नेताओं के दफ्तर का पर्दा बदलता है, कंप्यूटर बदलता है, सचिव बदलते हैं, योजनायें बदलती हैं, समस्याएं नहीं बदलती हैं?