लखनऊ। मूल रूप से मऊ के कोपागंज का रहने वाला राकेश पांडेय मुख्तार अंसारी गैंग का शार्प शूटर होने के साथ ही मुख्तार का सबसे भरोसेमंद आदमी भी था। एके 47 जैसे अत्याधुनिक हथियारों से उसका निशाना अचूक था। राकेश ने 1993 में हत्या की पहली वारदात अंजाम दी थी।
राकेश 16 साल की उम्र में इंजीनियर बनने का सपना संजोए लखनऊ आया। पॉलीटेक्निक में पढ़ाई पूरी करने के बाद गवर्नमेंट कॉलेज में एडमिशन लिया। उसने लखनऊ में पढ़ाई के दौरान हॉस्टल में अपने ही सहपाठी की हत्या कर दी थी। इसके बाद वह मुख्तार अंसारी के संपर्क में आया। कृष्णानंद राय की हत्या के बाद वह मुख्तार का सबसे खास आदमी बन गया। इसके बाद राकेश ने मुख्तार के साथ मिलकर एक के बाद एक दर्जनों घटनाओं को अंजाम दिया।
मऊ पुलिस ने निरस्त किया था पत्नी का शस्त्र लाइसेंस
मऊ पुलिस ने एक महीने पहले राकेश पांडेय की पत्नी सरोजलता पांडेय को जारी शस्त्र लाइसेंस निरस्त किया था। आरोप है कि सरोजलता ने तथ्यों को छुपाकर 2005 में डीबीबीएल का लाइसेंस ले लिया था। उसके खिलाफ मऊ के कोपागंज थाने में मुकदमा दर्ज कराते हुए उसका असलहा जब्त कर लिया गया है
एसटीएफ की वाराणसी यूनिट कर रही थी काम
सूत्रों के अनुसार एसटीएफ की वाराणसी यूनिट राकेश की गतिविधियों पर मुखबिरों के जरिए नजर रख रही थी। इसी दौरान उसे राकेश के लखनऊ में होने की खबर मिली थी। इसके बाद लखनऊ एसटीएफ का सहयोग लेते हुए इस ऑपरेशन को अंजाम दिया गया।
दिल्ली सीबीआई कोर्ट ने सभी को बरी कर दिया
हत्या के करीब साढ़े 13 साल के बाद सीबीआई कोर्ट ने 3 जुलाई 2019 को फैसला दिया था। सीबीआई की स्पेशल कोर्ट ने कृष्णानंद राय हत्याकांड से जुड़े सभी सात आरोपियों को बरी कर दिया था।