नई दिल्ली, NOI |आम बजट के बाद आम आदमी को सस्ते लोन की सौगात इसी सप्ताह भारतीय रिजर्व बैंंक की ओर से मिल सकती है। आरबीआई बुधवार (8 फरवरी) को होने वाली मौद्रिक नीति समीक्षा में 0.25 फीसदी की एक बार फिर से कटौती करते हुए रेपो रेट को 6 फीसदी पर ला सकता है। साफ तौर पर ऐसा करके आरबीआई नोटबंदी के बाद सुस्त पड़ी आर्थिक क्रियाकलापों को गति देना चाहता है। उसका मकसद बैंकों में भारी-भरकम रकम जमा होने के बावजूद कर्ज लेने से हिचक रहे लोगों और कंपनियों को आकर्षित करना है, ताकि इस रकम का उपयोग देश की तरक्की के लिए हो।
लोन सस्ता करने के ये हैं कारण
बजट में राजकोषीय घाटे के मामले में सरकार ने लचीला रुख अख्तियार किया है। साफ तौर पर वह कल्याणकारी योजनाओं के साथ इन्फ्रास्ट्रक्चर पर खर्च बढ़ाना चाहती है। लोन सस्ता होने से इसे बूस्ट मिलेगा। कमजोर प्राइवेट इन्वेस्टमेंट को बूस्ट देने के लिए भी लोन सस्ता करना जरूरी है। महंगाई के मोर्चे पर संभावित चुनौती के बावजूद सरकार के लिए राहत की बात है कि दिसंबर मेें थोक महंगाई दर में 0.73 फीसदी की गिरावट आई। इसी तरह खुदरा महंगाई दर भी 6 फीसदी से नीचे बनी हुई है। नोटबंदी के बाद जीडीपी ग्रोथ 7 फीसदी से कम होने का अनुमान कई सारी रेटिंग एजेंसियों ने जताया है। इन सबके अलावा, आरबीआई वर्तमान वित्त वर्ष का अंत अच्छे नोट के साथ करना चाहता है, क्योंकि वह मानकर चल रहा है कि २५ बेसिस प्वाइंट की कटौती के लिए फिलहाल जगह है।
ऑटो और रियल्टी को मिलेगा बूस्ट
बजट में अफोर्डेबल हाउसिंग को बूस्ट करने के लिए कई कदम उठाए गए हैं। इसके साथ ही आरबीआई की ओर से ब्याज दरों में कटौती से मार्केट का सेंटिमेंट औैर बेहतर होगा। इससे रियल एस्टेट सेक्टर को पटरी पर लौटने में मदद मिलेगी। नोटबंदी के बाद दिसंबर महीने मेें ऑटो कंपनियों की सेल में बड़ी गिरावट दर्ज की गई थी। आयकर छूट की सीमा बढऩे और सस्ते लोने होने से इस सेक्टर को भी बूस्ट मिलेगा