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Sunday, September 15, 2024

सूचना का अधिकार अधिनियम जिम्मेदारों की मनमानी की हुई शिकार

 

सीतापुर-अनूप पाण्डेय,संवाददाता-राहुल मिश्रा-NOI-उत्तरप्रदेश जनपद सीतापुर के मिश्रिख नवम्बर में जनपद के ब्लॉक मिश्रित में भारत सरकार का महत्वपूर्ण सूचना का अधिकार अधिनियम जिम्मेदारों की मनमानी का शिकार होकर फेल हो गया है आवेदक दर दर भटक रहे हैं और जिम्मेदार छान रहे हैं मौज! ज्ञात हो कि आवेदकों को इस ब्लॉक में प्रशासनिक स्तर से सूचनाये मिल ही नहीं पा रही है!बतादे कि अन्ना हजारे के आंदोलनोपरांत भारत सरकार द्वारा सूचना का अधिकार अधिनियम 2005 समूचे देश में इस लिये लागू किया गया था कि जनता को विभिन्न स्तर की जानकारियां सुगमता से मिल सके लेकिन यह महत्वपूर्ण अधिनियम मिश्रिख ब्लॉक में अधिकारियों और कर्मचारियों के हाथों की कठपुतली बना हुआ है,निर्धारित शुल्क अदा करने के बाद भी इस ब्लॉक में तैनात जिम्मेदार अधिकारी आवेदकों द्वारा मांगी गई सूचनाये देना मुनासिब ही नहीं समझते हैं आवेदक परेशान होता रहता है और ब्लॉक के लोग उसे ताला झाला समझा कर अपना दामन इस लिये बचाते रहते है कि कहीं वे खुद इसकी चपेट में न आ जाये,यही कारण है कि ग्राम पंचायतों में संचालित विकास योजनाये भ्रष्टाचार की भेट चढ़ रही है! अधिकारियों और कर्मचारियों को यह डर है कि सूचनाये अगर सार्वजनिक हो गई तो संबंधित जिम्मेदार भी फस जायेगें,इस अभिकथन के संबंध में एक सनसनी खेज मामला मिश्रिख ब्लाक की ग्राम पंचायत आट का प्रकाश में आया है यहाँ की विकास योजनाओं के बाबत यहीं के निवासी तालिब अंसारी द्वारा बीते वर्ष 16 नवम्बर 021 को जन सूचना अधिकार अधिनियम के तहत तीन महत्वपूर्ण बिंदुओं पर ब्लॉक के खंड विकास अधिकारी/ ग्राम पंचायत सचिव से जन सूचना मांगी थी लेकिन उसे कई बार दौड़ाने के बाद भी अभी तक वांछित सूचनायें मुहैया नहीं कराई गई है जिसके विरोध में आवेदक ने 16 सितम्बर 022 को जनपद के जिला पंचायत राज अधिकारी को मामले की प्रथम अपील भेजकर निर्धारित पेनाल्टी राशि सहित वांछित सूचनायें मुहैया कराये जाने की मांग की थी जिस पर जि० पंचा०रा०अधि० ने 6, अक्टूबर 022 को खंड विकास अधिकारी मिश्रिख को पत्र लिखकर 1 सप्ताह के अंदर आवेदक को सूचना उपलब्ध कराते हुए आख्या प्रस्तुत करने के निर्देश दिये थे,मजेदार बात यह है कि जि०पंचा०राज अधि० द्वारा जारी किया गया निर्देश पत्र भी ब्लॉक के जिम्मेदारों की रद्दी टोकरी में समा गया है, और विडम्बनाओ के चलते अभी तक आवेदक को वांछित सूचनायें नहीं मिल पाई है जिस पर आवेदक ने बीते 17नवम्बर022 को मामले की दूसरी अपील प्रदेश के सूचना आयुक्त को रजिस्टर्ड डाक से भेज कर दोषियों के विरुद्ध नियमानुसार वैधानिक दंडात्मक कार्यवाही किये जाने के साथ ही आवेदन के अनुरूप जनहित में सूचना उपलब्ध कराये जाने की मांग की है लेकिन एक सप्ताह से अधिक समय गुजर जाने के बाद भी मिश्रिख ब्लाक के जिम्मेदारों के कानों पर जूं तक रेंगती नहीं दिखाई दे रही है जिससे स्पष्ट है कि इस ब्लॉक के अधिकारियों के आगे भारत सरकार का महत्वपूर्ण सूचना का अधिकार अधिनियम 05 पूरी तरह दम तोड़ रहा है,जिस पर जनपद के जिला अधिकारी/जन सूचना अधिकारी को गंभीरता से ध्यान देकर पहल करने की आवश्यकता है ताकि प्रशासनिक नियंत्रण संभालने वाले जिम्मेदार सूचना का अधिकार अधिनियम का मखौल उड़ाने से बाज आ सके और आम आवेदकों को समयावधि में ही नियमानुसार मांगी जाने वाली जन सूचनायें सुगमता से मिल सके!

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