एक तरफ तो भाजपा समर्थित गौरक्षक दल जगह-जगह बीफ की अफवाह फैलाकर लोगों की हत्या कर रहे हैं, देशभर में सांप्रदायिक हिंसा में लगातार बढ़ोतरी हो रही है, हिंदू मुस्लिम भाईचारा पूरी तरह से ध्वस्त हो रहा है। दूसरी तरफ केंद्र में बैठी मोदी सरकार बीफ़ का व्यापार बढ़ाने के लिए बूचड़खानों को 68 करोड़ रुपए अनुदान दे चुकी है।
पिछले 3 सालों में भाजपा सरकार ने इस व्यापार को बढ़ावा देने में कोई कसर नहीं छोड़ी है लेकिन मंच पर ये बीफ और मांस बंदी की बात करते हैं।
सूचना के अधिकार के तहत मिली जानकारी के हिसाब से मोदी सरकार ने 2014 से 2017 के बीच बूचड़खानों को करोड़ों रुपए अनुदान दिए हैं।
दरभंगा के स्थानीय जदयू नेता इकबाल अंसारी ने सूचना के अधिकार के तहत जानकारी मांगी थी कि, इस देश में पशुओं का वध करने की मशीन पर सब्सिडी देने का कोई प्रावधान है या नहीं। उसके जवाब में यह आंकड़ा सामने आया है जिसमें यह कहा गया है कि इससे जुड़े उपक्रम और बोर्ड को अधिकतम 15 करोड रुपए का अनुदान दिया जाता है।
यही नहीं बूचड़खानों को अनुदान देने में जो राज्य सबसे आगे हैं उनमें भाजपा शासित राज्यों की अधिकता है। भाजपा सरकार की इसी दोगली राजनीति की वजह से बीफ बैन पर कोई एक राय नहीं बन सकी है ।
देशभर में एक कानून लागू होने के लिए जरूरी है कि सत्तासीन दल की कोई एक राय हो, राजनीतिक रोटी सेंकने के लिए बीफ़ की बात की जाती है और बिजनेस को चलाए रखने के लिए उसे अनुदान भी दिया जाता है। जिसकी वजह से सांप्रदायिकता का माहौल बन रहा है और हिंसा लगातार बढ़ रही है ।