सीतापुर- राहुल मिश्रा-NOI-उत्तरप्रदेश जनपद सीतापुर के मिश्रिख अप्रैल से गिरते भू-जल स्तर को रोकने और संतुलित करने के लिए बीते समयान्तराल के दौरान ग्राम पंचायतों में नये तालाब खुदवा कर उनका सौंदर्यीकरण कराया गया था,जिनमें कुछ मॉडल तालाब के रूप में भी विकसित किए गए थे वही ग्रामीण क्षेत्रों सहित मिश्रित नगर क्षेत्र में दशकों पुराने तालाबों को अपने शिकंजे में जकड़ कर भू-माफिया उनका अस्तित्व समाप्त कर भवन निर्माण कराने में जुटे हुए हैं प्रशासन सब कुछ जान कर भी चुप है। बतादे कि तालाबों की समाप्ती का अगर यही आलम रहा तो आने वाले समय में तमाम गांवों के अलावा मिश्रित तहसील क्षेत्र के नगरो- कस्बो, से तालाबों का अस्तित्व ही समाप्त हो जाएगा। ज्ञातब्य हो कि शीतल जल उपलब्ध कराने वाले कुंए अब किस्से कहानियों का ही अंश बन गये है उसी तरह तालाबों की भी स्मृतियां ही शेष रह जायेगी! कहना गलत न होगा कि तालाबो के अस्तित्व विहीन होने से पशु, पक्षियों, जीव ,जंतुओं को पेयजल कहाँ से मिलेगा आखिर इसका जिम्मेदार कौन होगा प्रशासन की अनदेखी और निष्क्रियता या शासन की दूषित नीतियां या फिर लोगों की स्वार्थ परक सोच।यह भी बताते चलें कि मिश्रित तहसील क्षेत्र में ग्राम पंचायत बढ़ैया का सैकड़ों बीघा लंबा चौड़ा झाबर,कस्बा मिश्रित में सीतापुर हरदोई मार्ग पर महंत पुलिया के पहले रोड के दोनों तरफ स्थित तालाब,सिधौली रोड पर एम डी इंटर कॉलेज के समीप रोड के दक्षिण स्थित तालाब ,मछरेहटा रोड पर मिश्रित नगर क्षेत्र से लेकर बहुती मोड़ पुलिया तक कई तालाब, मिश्रित मड़ेरूवा मार्ग पर मो० रामनगर और नईबस्ती गाँव के मध्य स्थित तालाब व ग्राम पंचायत नरसिघौली के विभिन्न मजरों के कई तालाबो में दर्जनों भवनों का निर्माण हो चुका है! यह सभी तालाब अस्तित्व विहीन होते जा रहे हैं आखिर इसका जिम्मेदार कौन है। इसी तरह ब्लॉक मछरेहटा के ग्राम घाघपुर में स्थित तालाब गाटा संख्या 55 व58 का भी अस्तित्व समाप्ती की ओर है जिसमे गाँव के छोटे लाल,गजराज,केतकी, मथुरा आदि ने अपने मकानों का निर्माण कराकर तालाबों का अस्तित्व ही मिटा दिया है इसी तरह इसी ब्लाक के अन्य गावों में भी तालाबों का अस्तित्व संकट के घेरे में है!इसी तरह विकास क्षेत्र मिश्रित की ग्राम पंचायत आट में गढी के सामने स्थित तालाब,आट व खेनहुना गांव के मध्य स्थित तालाब सहित पूरी ग्राम सभा के तालाब अवैध कब्जों की चपेट में जकड़ कर अपना अस्तित्व खोते जा रहे हैं! अगर यही स्थिति रही तो तहसील के तमाम नगरो,कस्बो और ग्रामीण इलाकों से भू-माफिया तालाबों का अस्तित्व ही समाप्त कर देगें।जिसकी तरफ प्रदेश शासन और जिला प्रशासन को गंभीरता से जांच कराकर कार्यवाही करने की आवश्यकता है,अन्यथा आने वाले समय में मिश्रित तहसील क्षेत्र अवश्य तालाब विहीन हो जायेगा। उप जिलाधिकारी मिश्रिख तहसील कि कोई ठोस कदम नहीं उठा रहे हैं जिससे भू माफिया सक्रिय दिख रहे हैं