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Sunday, December 8, 2024

नानपारा में मुस्लिमों की पहली पसंद हैं बसपा के हकीकत अली, त्रिकोणीय है लड़ाई

सपा, बसपा और अपना दाल में है कांटे की टक्कर

मो. इरफ़ान शाहिद

नानपारा विधानसभा चुनाव 2022

बहराइच। उत्तर प्रदेश के बहराइच जिले की नानपारा विधानसभा में बीएसपी के प्रत्याशी हक़ीक़त अली एडवोकेट यहाँ के मुस्लिम मतदाताओं की पहली पसंद हैं। नानपारा विधानसभा सीट यूपी की ख़ास विधानसभा सीट है, जहां 2017 में भारतीय जनता पार्टी ने जीत दर्ज की थी। इस बार नानपारा विधानसभा सीट के परिणाम किस पार्टी के पक्ष में होंगे, यह आने वाली 27 फरवरी को यहाँ की जनता यह तय करेगी। यह रिपोर्ट मुस्लिम मतदाताओं को ध्यान में रखते हुए उन पर आधारित एक सर्वे के अनुसार लिखी जा रही है। हम आपके लिये लेकर आये हैं एक विस्तृत रिपोर्ट, जिसमें आपको विधानसभा सीट पर प्रत्याशियों की सूची, पार्टी प्रचार व अन्य खबरों के साथ-साथ जान सकेंगे यहां के विजेता, उपविजेता, वोट शेयर और बहुत कुछ।

2017 विधान सभा चुनाव में नानपारा में कुल 44.71 प्रतिशत वोट पड़े। 2017 में भारतीय जनता पार्टी से माधुरी वर्मा ने भारतीय राष्ट्रीय का‍ँग्रेस के वारिस अली को 18669 वोटों के मार्जिन से हराया था। नानपारा विधानसभा सीट बहराइच के अंतर्गत आती है। इस संसदीय क्षेत्र से सांसद हैं अक्षयवर लाल गौड़, जो भारतीय जनता पार्टी से हैं। उन्होंने समाजवादी पार्टी के शब्बीर बाल्मीकि को 128752 वोटों से हराया था। पॉलिटिकल एक्सपर्ट्स की मानें तो पूर्व विधायक स्व. वारिस अली के भाई हकीकत अली (बसपा) को मिल रहा है सिम्पथी वोट। इस सर्वे के नानपारा विधानसभा में मुस्लिम मतदाताओं से बात करने पर पता चला की हकीकत अली ही उनकी पहली पसंद हैं। पिछले 2 चुनाव में उनके स्वर्गीय वारिस अली, पूर्व विधायक (हक़ीक़त अली के बड़े भाई) ही दूसरे नंबर पर रहे हैं। 2007 में बसपा से वह नानपारा के विधायक चुने गए। 2007 में विधायक बनने के अलावा पूर्व विधायक स्वर्गीय वारिस अली 2002 से लेकर 2017 तक दूसरे नंबर पर रहे जिसे लोग एक बड़ा कारण मान रहे हैं। स्वर्गीय वारिस अली की अपनी लोकप्रियता रही है जिसका फायदा इस चुनाव में हक़ीक़त अली को मिलता साफ़ दिखाई दे रहा है।

बसपा का रहा है मजबूत जनाधार

बसपा का जिले में मजबूत जनाधार रहा है। बसपा का 2007 में सबसे अच्छा प्रदर्शन रहा था, जब उसे तीन सीटें कैसरगंज, फखरपुर, नानपारा मिली थी। बसपा का 2012 में महसी पर कब्जा रहा। यहां से बसपा के केके ओझा विधायक चुने गए थे। बसपा ने अपना प्रदर्शन बेहतर करने की जिद्दोजहद में सभी नए चेहरों पर दांव लगाया है। आपको बता दें कि इस बार बसपा ने नए चेहरों को मौका दिया है इस मामले में नानपारा से पूर्व विधायक स्वर्गीय वारिस अली के भाई हकीकत अली को दलित वोटों के साथ-साथ मुस्लिम मतदाताओं की पहली पसंद बताया जा रहा है।

सपा नेताओं के भीतरघात से मौजूदा विधायक को है खतरा !

सूत्रों की माने तो इस चुनाव में सपा के बड़े नेताओं में नाराज़गी है। नाम न बताये जाने की शर्त पर उन्होंने अपना विरोध दर्ज करते हुए पार्टी के इस फैसले को गलत बताया। माधुरी वर्मा और उनके पति बीजेपी से सपा में शामिल तो हो गए लेकिन सपा के साथ-साथ इस विधान सभा में मुस्लिम मतदाताओं में भी उनको लेकर खासी नराज़की है। पूर्व बीजेपी नेता व मौजूदा सपा प्रत्याशी माधुरी वर्मा व उनके पति दिलीप वर्मा की भाजपा में रहते मुस्लिम विरोधी छवि का हो सकता है उन्हें नुक्सान। नानपारा के लोगों ने मौजूदा विधायक पर विकास न करने का भी आरोप लगाया है। वहीँ भाजपा समर्थित अपना दाल प्रत्याशी राम निवास वर्मा के वजह से भी उनकी जाति का वोट शेयर बटने का भी अनुमान लगाया जा रहा है। कुछ युवाओं की मानें तो इनकी छवि अब दलबदलू नेता की है जो अब लोगों को रास नहीं आ रही है।

समाजवादी पार्टी ने कभी नहीं जीती नानपारा विधानसभा सीट !

नानपारा विधानसभा सीट के सियासी अतीत की बात करें तो यहां एक समय भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी का भी वर्चस्व रहा है. नानपारा विधानसभा सीट के मतदाताओं ने 1977 से 2017 तक समाजवादी पार्टी को छोड़कर लगभग हर दल के उम्मीदवार को विधानसभा में अपने प्रतिनिधित्व का मौका दिया है।

नानपारा सीट से 1977 और 1993 में भाकपा के फजलुर्रहमान अंसारी चुनाव जीतकर विधानसभा पहुंचे. 1980, 1991, 1996 और 2002 में इस सीट से बीजेपी के जटाशंकर सिंह, 1985 और 1989 में कांग्रेस और जनता दल के टिकट पर देवता दीन, 2007 में बहुजन समाज पार्टी (बसपा) के वारिस अली विधायक निर्वाचित हुए। निवर्तमान विधायक माधुरी वर्मा 2012 में कांग्रेस के टिकट पर इस सीट से विधानसभा सदस्य निर्वाचित हुईं थीं। 2012 में कांग्रेस के टिकट पर जीतीं माधुरी वर्मा पाला बदलकर बीजेपी में आ गईं. बीजेपी के टिकट पर चुनाव मैदान में उतरी माधुरी वर्मा ने अपने निकटतम प्रतिद्वंदी सपा और कांग्रेस गठबंधन के प्रत्याशी वारिस अली को हराया था। 2022 में किसको चुनेगी यहाँ की जनता यह तो आने वाले 10 मार्च को ही पता चलेगा।

मतदान : रविवार, 27 फरवरी 2022 | मतगणना : गुरुवार, 10 मार्च 2022

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