पीएम मोदी और डेनमार्क की प्रधानमंत्री के बीच द्विपक्षीय वार्ता के बाद एग्रीमेंट का हुआ आदान-प्रदान
नई दिल्ली। डेनमार्क की प्रधानमंत्री मेट फ्रेडरिक्सन अपने तीन दिवसीय दौरे पर शनिवार भारत पहुंची। जहां विदेश राज्य मंत्री मीनाक्षी लेखी ने दिल्ली एयरपोर्ट पर उनका गर्मजोशी से स्वागत किया। वह भारत की अपनी पहली राजकीय यात्रा पर हैं। मेटे फ्रेडरिक्सन 9 से 11 अक्टूबर तक भारत दौरे पर रहेंगी। इस दौरान वह राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद से मुलाकात करेंगी। मेट फ्रेडरिक्सन ने राजघाट पर महात्मा गांधी को श्रद्धांजलि भी दी। डेनमार्क की प्रधानमंत्री मेटे फ्रेडरिक्सन ने विदेश मंत्री एस.जयशंकर से भी मुलाकात की।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दिल्ली में राष्ट्रपति भवन में पीएम मेट फ्रेडरिक्सन की अगवानी की। जहां उनका औपचारिक स्वागत गया। जिसके बाद अब दोनों नेताओं के बीच द्विपक्षीय वार्ता हुई है। पीएम मोदी और डेनमार्क की प्रधानमंत्री मेट फ्रेडरिक्सन के बीच द्विपक्षीय वार्ता के बाद एग्रीमेंट का आदान-प्रदान हुआ। इस दौरान दोनों नेताओं ने अपना संबोधन भी दिया।
पीएम मोदी ने कहा कि आज की हमारी मुलाकात भले ही पहली रूबरू मुलाकात थी लेकिन कोरोना कालखंड में भी भारत और डेनमार्क के बीच संपर्क और सहयोग की गति बरकरार रही थी। उन्होंने कहा कि हम जिस स्केल और स्पीड से आगे बढ़ना चाहते हैं उसमें डेनमार्क की विशेषज्ञता और तकनीक बहुत महत्वपूर्ण भूमिका अदा कर सकती है। भारत की अर्थव्यवस्था में आए रिफॉर्म्स विशेष रूप से मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर में उठाए गए कदम ऐसी कंपनियों के लिए अपार अवसर प्रस्तुत कर रहे हैं।
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि हमने आज यह निर्णय भी लिया कि हम अपने सहयोग के दायरे का सतत रूप से विस्तार करते रहेंगे। स्वास्थ्य के क्षेत्र में हमने एक नई पार्टनरशिप की शुरुआत की है। भारत में कृषि उत्पाद और किसानों की आय बढ़ाने के लिए हमने कृषि संबंधित तकनीक में भी सहयोग करने का निर्णय लिया है।
डेनमार्क की प्रधानमंत्री मेट फ्रेडरिक्सन ने कहा कि हम भारत को एक बहुत करीबी पार्टनर मानते हैं। मैं इस यात्रा को डेनमार्क-भारत द्विपक्षीय संबंधों के लिए एक मील के पत्थर के रूप में देखती हूं। आज हम पानी और ग्रीन ईंधन पर काम करने के लिए सहमत हुए हैं। हम स्वास्थ्य और कृषि जैसे क्षेत्रों पर भी साथ मिलकर काम करने पर सहमत हुए हैं। हमारा हरित सहयोग बहुत महत्वाकांक्षी है। उन्होंने कहा कि हम दो लोकतांत्रिक देश हैं जो नियमों पर आधारित एक अंतरराष्ट्रीय व्यवस्था में विश्वास करते हैं। भारत और डेनमार्क के बीच सहयोग इस बात का एक बेहतरीन उदाहरण है कि कैसे ग्रीन ग्रोथ और ग्रीन ट्रांजिशन साथ-साथ चल सकते हैं।