नई दिल्ली. मौजूदा समय में वैश्विक विकास में भारत का योगदान आठ प्रतिशत है। इसके बावजूद भारत में अब भी काफी कुछ किया जाना बाकी है। यहां अब भी गरीबी है, असमानता है, बाल एवं मातृ मृत्यु दर ऊंची है। यह बातें यूएन ग्लोबल कॉम्पैक्ट कनेक्ट इंडिया द्वारा आयोजित एक सम्मेलन के दूसरे और आखिरी दिन यूएन ग्लोबल कांपैक्ट की मुख्य कार्यकारी अधिकारी एवं कार्यकारी निदेशक लिजे किंगो ने शुक्रवार को कही। उन्होंने विभिन्न क्षेत्रों में कारोबार करने वाली भारतीय उद्योग जगत की बड़ी कंपनियों के अधिकारियों को संबोधित करते हुए ये बातें कही। इसके साथ ही उन्होंने कहा कि भारत के बिना दुनिया के लिए सतत विकास लक्ष्य (एसडीजी) 2030 हासिल कर पाना संभव नहीं होगा। यदि भारत एसडीजी के लक्ष्यों को हासिल कर लेता है तो वैश्विक लक्ष्य का आधा हिस्सा अपने-आप हासिल हो जायेगा।
ऐसी है देश की असली तस्वीर
सम्मेलन में जारी थीम पेपर में कहा गया है कि देश की 30 प्रतिशत आबादी अंतर्राष्ट्रीय गरीबी रेखा (1.90 डॉलर प्रतिदिन) से नीचे गुजर-बसर करती है। पंद्रह प्रतिशत लोग कुपोषित हैं, जो दुनिया में कुपोषितों की कुल संख्या का करीब एक-चौथाई है। तकरीब 66 प्रतिशत बच्चों का समय पर टीकाकरण नहीं हो पाता। वेतन में लैंगिक असमानता 67 प्रतिशत है। साठ करोड़ लोगों के पास सेनिटेशन सुविधाओं का अभाव है।
देश में असमानता दूर करने के लिए नए आर्थिक मॉडल की जरूरत
संयुक्त राष्ट्र की रिपोर्ट के अनुसार, मात्र एक फीसदी भारतीयों के पास ही देश की 53 फीसदी संपत्ति है। यह आंकड़े दिखाते हैं कि आर्थिक तौर पर देश में कितनी असमानता है। रिपोर्ट में सुझाव दिया गया है कि असमानता, गरीबी को दूर करने के लिए भारत को एक दूसरे तरह के आर्थिक मॉडल की जरूरत है। यह भी कहा गया कि दूसरे देशों की तरह भारत में विकास कुछ राज्यों से बाहर नहीं निकल पा रहा है। रिपोर्ट द बेटर बिजनेस बेटर वर्ल्ड में कहा गया है कि आर्थिक विषमता में भारत रूस के बाद दूसरे स्थान पर है, जहां सिर्फ एक फीसदी लोगों के पास देश की 53 फीसदी संपत्ति है। यूएनजीसी के सीईओ लाइज किंगो के अनुसार, सतत विकास लक्ष्य के तहत भारत में करीब एक ट्रिलियन डॉलर तक प्राइवेट सेक्टर से निवेश मिल सकता है। जोकि, दुनिया में यह निवेश कुछ 12 ट्रिलियन डॉलर है। यह निवेश -कृषि, खाद्यान्य, ऊर्जा, शहर और स्वास्थ्य में हो सकता है।
एसडीजी के लिए वर्ष 2030 तक 7 करोड़ लोगों को देना होगा रोजगार
किंगो ने कहा कि एसडीजी हासिल करने के लिए वर्ष 2030 तक देश में सात करोड़ 20 लाख से ज्यादा लोगों को रोजगार के अवसर मुहैया कराने होंगे और निजी क्षेत्र को करीब 10 खरब डॉलर का निवेश करना होगा। उन्होंने उम्मीद जताई कि निजी क्षेत्र की भारतीय कंपनियां इन लक्ष्यों को हासिल करने के लिए निवेश करेंगी।
एसडीजी के लिए ये 17 लक्ष्य हैं निर्धारित
उल्लेखनीय है कि संयुक्त राष्ट्र ने एसडीजी के तहत 17 लक्ष्य रखे हैं जिन्हें 2030 तक हासिल किया जाना है। इनमें पूर्ण गरीबी उन्मूलन, सबके लिए भोजन, अच्छा स्वास्थ्य, गुणवत्ता पूर्ण शिक्षा, लैंगिक समानता, साफ पानी और सेनिटेशन, असमानता में कमी, पर्यावरण संरक्षण के उपाय, पानी के नीचे जीवन, भूमि पर जीवन, शांति एवं न्याय और उद्योग, नवाचार तथा इंफ्रास्ट्रक्चर का विकास शामिल हैं।