लखनऊ। उत्तर प्रदेश शिक्षक पात्रता परीक्षा (यूपीटीईटी) 2021 पेपर लीक केस मामले में योगी सरकार ने बड़ी कार्रवाई की है। मुख्य आरोपी सचिव परीक्षा नियामक प्राधिकारी संजय उपाध्याय को गिरफ्तार कर लिया गया है। इसके पहले प्रश्नपत्र छापने वाली एजेंसी के निदेशक राय अनूप प्रसाद को गिरफ्तार किया गया था। संजय उपाध्याय को पहले ही निलंबित किया जा चुका है।
पीएनपी के निलंबित सचिव ने दिल्ली की चहेती कंपनी को नियमों को दरकिनार कर प्रश्नपत्र छापने का काम देने के मामले में दोषी पाये गए हैं। टीईटी का प्रश्नपत्र छापने का ठेका लेने वाली कंपनी आरएसएम फिनसर्व लिमिटेड के निदेशक राय अनूप प्रसाद से पूछताछ में संजय उपाध्याय की संलिप्तता सामने आने के बाद यह कार्रवाई की गई।
शासन ने संजय को मंगलवार को निलंबित किया था। एसटीएफ की नजर अब कई और आरोपितों पर टिकी है। जिनकी जल्द की गिरफ्तारी हो सकती है। पेपर लीक करने वालों से लेकर साल्वर गिरोह के कई सदस्यों की तलाश चल रही है। वहीं एसटीएफ की जांच में सामने आया है कि संजय उपाध्याय और राय अनूप प्रसाद पहले से एक-दूसरे को जानते थे। अनूप की कंपनी के पास सिक्योरिटी प्रिंटिंग की कोई सुविधा उपलब्ध नहीं थी। इसकी जानकारी होने के बाद भी संजय ने अनूप की कंपनी को बिना कोई गोपनीय जांच कराए ही वर्क आर्डर दिया और उसकी प्रिंटिंग प्रेस का निरीक्षण तक नहीं किया गया।
एसटीएफ की जांच में संजय उपाध्याय को सरकारी धन का दुरुपयोग करने का भी दोषी पाया गया है। सिक्योरिटी प्रिंटिंग में एक प्रश्नपत्र के मुद्रण में 50 रुपये तक खर्च आता है। जो साधारण प्रिंटिंग की तुलना में काफी अधिक होता है। इन सभी तथ्यों की जानकारी होने के बाद भी एक ऐसी कंपनी को मुद्रण का काम दिया गया, जो एक भी मानक को पूरा नहीं करती थी।