नई दिल्ली। ईरान में पुलिस हिरासत में 22 वर्षीय महिला माहसा अमीनी की मौत के बाद महिलाएं हिजाब के खिलाफ सड़कों पर उतरी आई है और प्रदर्शन कर रही है। राजधानी तेहरान समेत देश के कई इलाकों में प्रदर्शन लगातार तेज होता जा रहा है। महिलाओं की आंखों में गुस्सा है, अधिकारों को हासिल करने का जुनून है।
ईरान में मंगलवार को विरोध प्रदर्शन के दौरान तीन लोगों की संदिग्ध परिस्थितियों में मौत हो गई। ईरान की गवर्नर इस्माइल जरेई कौशा ने प्रदर्शन के दौरान तीन लोगों की मौत को लेकर पुष्टि की है। देश के उत्तर पश्चिमी कुर्दिस्तान प्रांत की गवर्नर कौशा ने कहा कि, जांच में पता चला है कि इन लोगों की गोली मारकर हत्या की गई है। उन्होंने बताया कि विरोध प्रदर्शन में हुई हत्याओं के पीछे सरकार विरोधी तत्वों का हाथ होने की बीत सामने आई है। उन्होंने बताया कि जिन हथियारों का इस्तेमाल कर हत्याओं को अंजाम दिया गया, वो किसी भी स्तर के सरकारी सुरक्षा दलों द्वारा इस्तेमाल नहीं किए जाते हैं।
बता दें कि दुनिया के 195 देशों में से 57 मुस्लिम बहुल हैं। इनमें से 8 में शरिया कानून का सख्ती से पालन होता है। लेकिन सिर्फ 2 देश ही ऐसे हैं, जहां महिलाओं को घर से निकलने पर हिजाब पहनना अनिवार्य है। ये दो देश हैं शिया बहुल ईरान और तालिबान शासित अफगानिस्तान है।
ईरान में किसी महिला के इस कानून को तोड़ने पर बेहद सख्त सजा दी जाती है। उन्हें हिलाब न पहनने पर 74 कोड़े (चाबुक) लगाने से लेकर 16 साल की जेल तक दी जाती है। इतनी सख्ती के बाद भी ईरान की 72 फीसदी आबादी हिजाब को अनिवार्य करने के खिलाफ है।
लेकिन, ईरान में हिजाब को लेकर विवाद कोई नई बात नहीं। ये सिलसिला करीब एक दशक से जारी है। लेकिन इस बार पुलिस कस्टडी में 22 साल की महसा अमिनी की मौत ने एंटी हिजाब मूवमेंट को और ज्यादा भड़का दिया है। अमिनी को बिना हिजाब राजधानी तेहरान में घूमने पर गिरफ्तार किया गया। अरेस्ट होने के कुछ देर बाद ही वो कोमा में चली गईं और 3 दिन बाद यानि 16 सितंबर को पुलिस कस्टडी में उनकी मौत हो गई।