पेट्रोल पंप पर काम करने वाले का बेटा प्रदीप बना आईएएस! कैसे ! हुआ ना आपको भी अचम्भा, लेकिन जब इंसान के इरादे हो तो क्या नहीं कर सकता तो आज हम इस कहानी में बात करेंगे आईएएस प्रदीप और उनके पिता के संघर्ष की कहानी यूपीएससी 2019 की परीक्षा में प्रदीप सिंह के टाॅप करते ही उनके पुरे परिवार सहित बिहार भर में खुशी की लहर दौड़ पड़ी।
प्रदीप मुल रुप से बिहार के गोपालगंज जिले के प्रमाण पट्टी गांव के रहने वाले हैं जो कि मीरगंज थाना क्षेत्र में आता है।प्रदीप ने युपीएससी 2019 की परीक्षा में 26वां रैंक हासिल किया।.2018 में भी प्रदीप ने 93 वां रैंक हासिल किया था।
बेहद गरीब परिवार से है प्रदीप
प्रदीप के आईएएस अधिकारी बनने की संघर्ष गाथा बेहद दिलचस्प और प्रेरणा दायक है।प्रदीप के पिता मनोज सिंह पेट्रोल पंप पर काम करते थे और बेटा युपीएससी की तैयारी।एक समय ऐसा भी आया की बेटे की पढाई के लिए घर भी बेचना पड़ा।लेकिन इतनी गुरबत और गरीबी के बावजूद प्रदीप के पिता ने अपने बेटे का हौसला कम नहीं होने दिया।प्रदीप को भी अपने पारिवारिक स्थिति की बेहद अच्छी तरह समझ थी और उसने अपने संघर्ष से उस पर पार पा लिया।पहले आईआरएस अधिकारी बने और फिर आईएएस.प्रदीप जब पांच साल के थे तो इनका परिवार बिहार से इंदौर चला गया।
स्कुल और काॅलेज की पढाई इंदौर से हुई।उसके बाद पिता किसी तरह से बेटे को दिल्ली भेजा फिर यहां उन्होने तैयारी की।इसी दौरान उनकी मां बिमार हो गई थी लेकिन पिता ने बेटे को खबर तक नहीं किया कि उसके पढाई पर इसका असर पड़ने लगेगा।
दादा चाहते थें कि पोता बने आईएएस
प्रदीप सिंह अपने आईएएस बनने को ले कहते “कि हमारे दादा की इच्छा थी कि पोता आईएएस अधिकारी बने।बचपन से ही होनहार प्रदीप के दसवीं और बारहवीं में 80 प्रतिशत से अधिक अंक आए थे ।प्रदीप ने कॉमर्स से स्नातक किया है।प्रदीप के आईएएस बनना हर एक गरीब और निर्धन परिवार के छात्रों के लिए प्रेरणा है ,जो यह संदेश देता है कि मन में लगन और नेक इरादा हो तो आदमी कुछ भी हासिल कर सकता है।
प्रदीप खुद कहते हैं कि इस परीक्षा को पास करने के लिए खुद ही मन लगाकर मेहनत करना होगा।प्रदीप कहते हैं कि मेरे जो संघर्ष है वो पुरखों से चला आ रहा है.पिता, मां,भाई सबने संघर्ष किया है।मेरी ये कोशिश थी कि ये संघर्ष अब खत्म हो और परिवार का सर समाज में ऊंचा हो.आज आईएएस बनने के परिवार को देख एक अलग उर्जा महसूस होती हैं ।