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Friday, November 22, 2024

अगर राफल से चीन को डराया जा सकता है तो राफल बनाने वाले देश से पूरी दुनिया डरती होगी?

राफल लड़ाकू विमानों की पहली खेप भारत पहुंचने पर न्यूज चैनलों की ओर से कल दिनभर की गई उसके पुर्जे-पुर्जे की अतिरेक प्रशंसा ने कई सवाल पैदा कर दिए हैं। 1.69 अरब यूजर्स वाले सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म फेसबुक पर एक व्यक्ति ने पूछा भी कि जब 10-20 राफल खरीदकर चीन जैसी महाशक्ति को डराया जा सकता है तो जो देश राफल बना रहा है उससे तो सारी दुनिया ही डरती होगी?

जवाब है नहीं। राफल बनाने वाले फ्रांस से दुनिया डरती नहीं, उसे प्रेम करती है। उसके सैन्य साजो समान के कारण प्रेम नहीं, बल्कि उसकी उदारता और समृद्ध लोकतांत्रिक मूल्यों के लिए। जिसने लगातार खुद को सुधारा है, अपने संविधान में अल्पसंख्यकों के हकों को विस्तार देने वाला फ्रांस न कि नया नागरिकता कानून लाकर उन्हें धमकाने वाला, उनके हकों में कटौती करने वाला।

उस फ्रांस से प्रेम, जिसने क्रांति करना सिखाया। जिसने ईरान से निष्कासित किए गए अयातुल्लाह खोमैनी को शरण दी, यह जानते हुए भी कि खोमैनी के विचार कैसे हैं।

उस फ्रांस से प्रेम, जिसने लोगों को वोट देने के हकों की कीमत समझाई, संविधान में उनके प्रतिनिधित्व की बात की, धर्म को राजनीति से अलग किया। अपने अधिकारों के लिए उठ खड़े होने और अपनी मांगों को लेकर लोकतांत्रिक तरीके से संघर्ष करने की राह दिखाई।

जहां सरकार प्रदर्शनकारियों का दमन नहीं कर सकती हैं क्योंकि लोगों के मन में हैं कि विरोध करना उनका जन्मसिद्ध अधिकार है। वे इसका इस्तेमाल भी करते हैं। येलो वेस्ट मूवमेंट इसका एग्जांपल है जो 10 महीनों तक चला और जिसमें लाखों फ्रांसीसियों ने हिस्सा लिया।

उस फ्रांस से प्रेम, जिसका इतिहास सत्ता में बैठे शक्तिशाली वर्ग के खिलाफ आम लोगों के उठ खड़े होने के उदाहरणों से अटा पड़ा है। जहां 1871 का पेरिस कम्यून, जब मजदूर वर्ग ने पहली बार सत्ता संभाली। 1905 और 1917 की रूसी क्रांतियां भी इसी से प्रेरित मानी जाती हैं।

जिसने दुनिया को स्वतंत्रता, समानता और बन्धुत्व दिया, उस फ्रांस से प्रेम।

वोल्टेयर वाला फ्रांस, जिसने चेतावनी दी कि सरकार के गलत होने पर सही होना खतरनाक है। जिसने समझाया कि मूर्खों को ऐसी बेड़ियों से आजाद करा पाना मुश्किल है जिनकी वो इज्जत करते हों। जिसने अपने से विपरीत विचार वालों को आश्वस्त किया कि हो सकता है कि मैं आपकी बातों से असहमत रहूं, मगर मैं आपकी इस असहमति का सम्मान करूंगा, उसी वोल्टेयर वाले फ्रांस से प्रेम।

हो सकता है लोग आपके हथियारों से डर जाएं, लेकिन किसी देश की महानता उसके मूल्यों से तय होती है। हथियार तो उत्तर कोरिया के पास भी है। 


यह टिप्पणी हमारे लिए युवा पत्रकार प्रियांशू ने लिखी है। यह उनके निजी विचार हैं। वह दिल्ली के भारतीय जन संचार संस्थान के पूर्व छात्र हैं। अमर उजाला और राजस्थान पत्रिका जैसे मीडिया हाउसों में काम कर चुके हैं।

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