28 C
Lucknow
Thursday, December 26, 2024

बेटी से बलात्कार हुआ है, जुर्माना तो देना ही पड़ेगा!

रायपुर। छत्तीसगढ़ के गांवों में हजारों आदिवासी परिवार अपने बच्चों को स्कूल भेजकर बहुत सारी उम्मीदें पाले हुए हैं। वो अपने बच्चों को दशकों से फैले अंधकार से बाहर निकालना चाहते हैं लेकिन कई बार उनका ये सपना भी उनके लिए गुनाह बन जाता है और बाकी जिंदगी इस गुनाह के प्रायश्चित्त में गुजरती है क्योंकि खुद आदिवासी समाज और पंचायतों का रवैया भी बलात्कार पीड़ित बच्चियों के खिलाफ ही रहता है।

यहां के एक परिवार की बिटिया सातवीं क्लास में पढ़ती थी। रिपोर्ट कार्ड गवाह है कि उसके 60 फीसदी तक नंबर आते थे लेकिन करीब दो साल पहले वो अपने टीचर की हवस का शिकार बन गई। मुश्किल वक्त में आदिवासी समाज और पंचायत ने भी इस परिवार का साथ छोड़ दिया। बलात्कार के बाद इस परिवार पर ही जुर्माना लगा दिया गया। पंचायत को 500 रुपये जुर्माने के देने पड़े और 1051 रुपये समाज को।पिछले दो साल से ये परिवार गांव की पंचायत और गांव के लोगों के बहिष्कार के चलते घर में ही कैद है। बेटी की पढ़ाई बंद…बाहर निकलना बंद…बिटिया को पढ़ाने की सबसे बड़ी उम्मीद दम तोड़ चुकी है।पंचायत का ही दबाव था कि ये परिवार बेटी से बलात्कार के बाद पुलिस के पास शिकायत तक करने नहीं गया। दो साल बाद अब इस जनवरी में उसने पुलिस में रेप का केस दर्ज कराया है।

इस मामले में भी इंसाफ मिलना नामुमकिन ही है क्योंकि जिस टीचर पर आरोप लगा था वो दो साल पहले ही फरार हो गया था। तब से आज तक उसका कोई पता नहीं है। सजा भुगतनी पड़ रही है तो सिर्फ इस परिवार को। पीड़ित के पिता कहते हैं कि हमारी बेइज्जती हुई। सिर नीचे कर चलना पड़ता है। कहीं जाता हूं तो कहते हैं इसी की लड़की है। ये सिर्फ एक मजबूर पिता की कहानी नहीं, ये छत्तीसगढ़ के गांव-गांव की दर्दभरी दास्तां है।

 

Latest news
- Advertisement -spot_img
Related news
- Advertisement -spot_img

कोई जवाब दें

कृपया अपनी टिप्पणी दर्ज करें!
कृपया अपना नाम यहाँ दर्ज करें