सीतापुर-अनूप पाण्डेय,विमल मिश्रा:NOI।
उत्तरप्रदेश जनपद सीतापुर
मिश्रित सीतापुर/अट्ठासी हजार ऋषि-मुनियों की तपस्थली के रुप में सुविख्यात यहां तहसील क्षेत्र के कस्बा नैमिषारण्य से होकर गुजरने वाली आदि गंगा गोमती नदी के बरगदिया पुल के नीचे
आधा सैकड़ा गोवंशीय पशुओं की अस्थियों को धार से निकलवाने में सहयोग करने वाले एक दिव्यांग को आज बसंत पंचमी के शुभ अवसर पर गर्म साल और नगद धनराशि देकर युवा सगयामाजसेवी पत्रकार आलोक शुक्ला एवं वरिष्ठ पत्रकार पूर्णेन्द्र मिश्रा द्वारा सम्मानित करते हुए राजघाट पर उसका उत्साहवर्धन किया । जानकारी के अनुसार बीती 12 / 13 जनवरी की रात नैमिषारण्य क्षेत्र में स्थित गोमती नदी के बरगदिया पुल के नीचे पशुबधिको द्वारा आधा सैकड़ा गौवंशीय पशुओं की हत्या कर उनकी अस्थियों को इस पौराणिक कस्बे को पूरी तरह कलंकित करने के लिए नदी की धार में डाल दिया गया था घटना का समाचार आग की तरह फैलते ही हजारों की संख्या में क्षेत्रीय लोगों के साथ ही प्रशासनिक अधिकारियों और कर्मचारियों का हुजूम मौके पर पहुंच गया था क्योंकि नदी की धार में पड़ी गौवंशीय पशुओं की अस्थियों को बाहर निकालने में प्रशासन के हाथ पांव फूल रहे थे ऐसे में इसी नदी के किनारे इसी कस्बे में स्थित राजघाट पर बने परिवर्तन कक्ष में जीवन यापन करने वाला दोनों पैरों से दिव्यांग 30 वर्षीय रमेश कश्यप पुत्र छोटेलाल के बुलंद हौसले प्रशासनिक लोगों के लिए वरदान साबित हुए वह अपने चाचा मूलचंद की नाव मांग लाया और राजघाट से बरगदिया पुल के नीचे घटना स्थल तक सीधी धार में रात में ही लगभग 6 किलोमीटर नाव खेता हुआ प्रशासनिक लोगों को लेकर पहुंच गया और धार में पड़ी गौवंशीय पशुओं की अस्थियों को बाहर निकलवाकर एकत्र कराने में अपने बुलंद हौसले का परिचय दिया इतना ही नहीं सुबह मौके पर पहुंचे मीडिया कर्मियों को भी नाव में बैठा कर घटनास्थल और आसपास के इलाके का निरीक्षण कराया दिव्यांग रमेश से 2 दिन मेहनत कराने के बाद नैमिषारण्य कस्बा पुलिस चौकी इंचार्ज ने उसे 300 रुपये मजदूरी देकर अपने कर्तव्यों से इति कर ली वही युवा समाजसेवी पत्रकार आलोक शुक्ला और तहसील क्षेत्र के वरिष्ठ पत्रकार पूर्णेन्द्र मिश्र ने आज बसंत पंचमी के शुभ अवसर पर राजघाट पहुंचकर दोनों पैरों से दिव्यांग रमेश के जज्बे को नमन करते हुए उसे राजघाट पर ही एक गर्म शाल और 551 रुपये नगद धनराशि देकर सम्मानित किया जिससे वह काफी अभिभूत होकर उसने कहा कि आपके द्वारा दिए गए धन से मैं अपनी बिगड़ी हुई ट्राई साइकिल बनवाऊंगा और अपनी सामर्थ्य के अनुसार जिसको मेरी जरूरत होगी उसका सहयोग करता रहूंगा यही मेरी नैमिष क्षेत्र की सच्ची तपस्या है ।गौरतलब है कि देश और प्रदेश के शासन द्वारा दिव्यांग जनों की सुविधाओं के लिए यहां पर अनेक योजनाएं संचालित करके सुविधाएं दी जा रही हैं वही उपरोक्त दिव्यांग के पास रहने के लिए न तो कोई घर है और ना ही खाने-पीने का इंतजाम आपूर्ति व्यवस्था के जिम्मेदार भी उसे एक राशन कार्ड तक मुहैया नहीं करा पाए हैं इतना ही नहीं दिव्यांग जनों के लिए सरकार द्वारा चलाई जा रही पेंशन योजना का लाभ भी उसे देने में संबंधित विभाग और जिम्मेदार कर्मचारी अभी पीछे ही हैं ऐसी स्थिति में वह नैमिषारण्य के गोमती नदी के राजघाट पर आने वाले श्रद्धालुओं का ही उसे सहारा है दोनों पैरों से विकलांगता देखकर श्रद्धालु उसे जो दान करते हैं उससे ही वह अपने खाने पीने की व्यवस्था करता है इतना ही नहीं आवासीय ठिकाना न होने के कारण शासन की योजनाओं द्वारा घाट पर ही बनवाया गया परिवर्तन रूम ही उसका आशियाना है जिसमें की वह रात दिन रहकर गुजर-बसर करने पर मजबूर है जिसकी दयनीय हालत की तरफ शासन और प्रशासन को ध्यान देने की जरूरत है ।ताकि इस बिकलांग का भी भला हो सके ।