
आजादी के साथ देश का दो हिस्सों में बंटवारा भी होना था। अमन पसंद और सेक्युलर लोगों में इसे लेकर तीखी नाराजगी थी। कांग्रेस नाराज थी, गांधी नाराज थे, नेहरू, पटेल, मौलाना आजाद, आरएसएस सब नाराज थे। ज्योतिष वाले भी नाराज थे।
हालांकि ज्योतिषयों के नाराज होने का कारण लाखों लोगों के होने जा रहे विस्थापन और हिंदू-मुस्लिम एकता के बीच हमेशा के लिए पाकिस्तान नामक खड़ी होने जा रही दीवार से ज्यादा आजादी की तारीख थी।
डोमिनीक लापिएर और लैरी कॉलिंस अपनी चर्चित किताब फ्रीडम एट मिडनाइट (Freedom At Midnight) में लिखते हैं, ‘ज्योतिषियों की निगाह में 15 अगस्त की तुलना में 14 अगस्त को ग्रहों की स्थिति काफी अच्छी थी।’

संभवतः पहली नॉन फिक्शन किताब है, जिसके नायक अंतिम वायसराय लुई माउंटबेटन हैं।
अपनी चिंताओं के बारे में ज्योतिषियों ने नेताओं के जरिए वायसराय लार्ड माउंटबेटन से कहलवाया कि पाकिस्तान की तरह भारत को भी 14 अगस्त को ही आजाद कर दिया जाए।
खैर, भारत 15 अगस्त को ही आजाद हुआ और भारत में जो होना था हुआ। 14 अगस्त को आजाद होने के कारण ‘ग्रहों की अच्छी स्थिति’ पाकिस्तान में हुई लाखों हत्याएं, लूट, बलात्कार कुछ भी नहीं टाल सकी। बल्कि कहते हैं कि भारत से ज्यादा मारकाट वहीं हुई।
Story by Priyanshu. He is Ex. student of Indian Institute of Mass Communication (IIMC).