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Wednesday, February 5, 2025

​बाल मजदूरी को लेकर सरकार और स्वयं सेवी संस्था का दोहरा मापदंड क्यों???

लखनऊ, दीपक ठाकुर। भारत सरकार हो या राज्य सरकार साथ ही कई स्वयं सेवी संस्थाएं ये सभी बाल मजदूरी के कट्टर विरोधी है इनका कहना है कि छोटी उम्र में बच्चों से काम लेना गलत है ये उम्र तो उनके पढ़ने लिखने और भविष्य बनाने की होती।बात भी इनकी वाजिब है और तो औऱ बाल मजदूरी कराना कानूनन अपराध की श्रेणी में भी डाल दिया गया है फिर भी ये कई रूप में बदस्तूर जारी है।

आपने खुद देखा होगा कि अक्सर गाड़ी रिपेयरिग दुकानों,होटलों और भी जगह जगह बच्चे मजदूरी करते नज़र आ ही जाते हैं मकसद सिर्फ एक कि गरीबी में जीवन यापन करने के लिए अपना और अपने परिवार का पेट पालना।यहां इनका मकसद भी ठीक ही नज़र आता है क्योंकि भीख मांगने से अच्छा है इज़्ज़त की दो रोटी खाना चलिये जो मजबूर है हम उनकी बात नही करते पर जो व्यक्ति जबरन बच्चो के पैसों से अपना पेट पाल रहा हो उसको क्या कहियेगा और सरकारें और संस्थाएं उनको क्यों नही रोक पा रही जो बच्चो को जोखिम में डाल कर खुद मज़ा करते हैं।

चित्र देख कर आप समझ ही गए होंगे कि हम किसकी बात कर रहे हैं जी सही समझे आप ये वो लोग हैं जो खतरनाक खेल तो बच्चो से कराते हैं पर पेट अपना पालते हैं।

रविवार को जब मैं घर से निकला तो देखा एक जगह काफी भीड़ लगी थी और गानों की आवाज़ भी आ रही थी फिर जब मैंने भीड़ के बीच नज़रे जमाई तो देखा एक 13 साल की लड़की एक बोतल के साथ नए नए करतब दिखा रही थी और वही एक शख्स उससे नए नए स्टेप कर लोगों की तालिया और पैसे बटोरने में मशगूल था।

इस लड़की के बाद दो और छोटे बच्चे आये जिनकी उम्र महज 4 से 5 साल की होगी इनको एक चमड़े की रिंग दी गई और दोनों को इसके द्वारा स्टंट करने को कहा वहां खड़ा एक छोटा बच्चा जो ये करतब ध्यान से देख रहा था उसके मन मे ना जाने क्या आया कि उसने अपने चाचा से 10 रुपये मांगे और उस बच्चे को दे आया इसी तरह कई लोगों ने बच्चो के करतब पर तालियां बजाई और जो हो सका वो दिया भी।

अब यहां बात ये आती है कि इन छोटे छोटे बच्चो और प्यारे पप्पी को लेकर इस ग्रुप का लीडर खुद तो कुछ नही करता सब काम इन मासूमो से करा कर अपनी झोली भरता रहता है भगवान ना करे खतरनाक स्टंट से कोई हादसा हो जाये तो कौन जिम्मेदार होगा करतब कराने वाला ये देखने वाले हमारी नज़र में दोनों बराबर के दोषी हैं पहली गलती तो उस करतब के संचालक की है जो जगह जगह बच्चो से खतरनाक खेल करा कर पैसे कमा रहा है वही दूसरी तरफ वो लोग भी ज़िम्मेदार हैं जो कलेजा थाम के बच्चों का खतरनाक खेल देखते हैं।

आप खुद ही सोचिए जो चीज़ आप बिना कलेजा थामे देख नही सकते वो काम ये बच्चे कैसे करते होंगे ज़ाहिर है पेट पालने के लिए पर किसका पेट सवाल ये खड़ा होता है।मेरे हिसाब से ये लोग मासूम बच्चों को ढाल बना कर अपना जीवन बिताने का काम कर रहे हैं जिसमे हमारा भी सहयोग रहता है जो गलत है।

हमको इस तरह के काम को रोकना होगा जो बच्चो का खुलेआम शोषण करता हो सरकार और स्वयं सेवी संस्थाओं को भी इसके खिलाफ कुछ करने की ज़रूरत है।क्योंकि वो बाल मजदूरी तब भी ठीक है जहां जान गंवाने का डर नही रहता यहां तो बच्चो की ज़िंदगी का पल भर का भरोसा नही।इनके लिए कुछ करने की ज़रूरत है खाली कहने और तसवीरें छपवाने से हक़ीक़त नही बदलती ऐसे आयोजन दिखाते हैं कि यहां बाल मजदूरी उनकी मजबूरी का एक हिस्सा बन गई है जिस पर सभी मौन हैं।

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