लखनऊ। पत्रकारिता और पत्रकार शब्द का जन सरोकार से गहरा नाता है। एक भी व्यक्ति का हित होता हो तो उसके लिए खुद को समर्पित कर देना, किसी पीड़ित का हक मारा जाता हो तो उसके लिए अपनी कलम से सरकार की आंखे खोलना, सरकार व प्रशासन कहीं गलत हो उसको आईना दिखाना ही आजादी के बाद पत्रकारिता का मूल उदेश्य बचा था। लेकिन आज कल कुछ पत्रकार पत्रकारिता की आड़ में ब्लैकमेलिंग एवं हनीट्रैप जैसे कांड अंजाम दे रहे है। व्यापारी से लेकर बड़े बड़े राजनेताओं और अधिकारियों को निशाना बनाया जा रहा है।
आलम यह है कि एक प्रतिष्ठित न्यूज चैनल का तथाकथित पत्रकार ने न्यूज चैनल की आड़ में जिस्म फरोशी का धंधा चला रहा है, राजनेताओं, अधिकारियों और बड़े से इंटरव्यू के नाम पर महिला पत्रकार (कॉल गर्ल्स) को साथ ले जाता है और वहीं से शुरू होता है खेल, पहले उनसे संबंध बनाता है और फिर इन महिला पत्रकारों से राजनेताओं, अधिकारियों और बड़े व्यापारियों के साथ अवैध संबंध बनवा कर उन्हें हनी ट्रैप में फंसाता है, फिर उनके वीडियो बनवा कर उन्हें ब्लैकमेल करता है।
उत्तर प्रदेश की राजधानी से लेकर देश भर में इस पत्रकार का नेटवर्क फैला हुआ है। राजधानी लखनऊ से एक स्कूटर से अपनी पत्रकारिता शुरू करने वाला यह पत्रकार आज कल महंगी लग्जरी गाड़ियों से चलता है, देश की राजधानी में महंगी कोठी का मालिक है, इस पत्रकार के इस अवैध कारोबार का विरोध उसकी पत्नी ने भी किया, जिसपर न्यूज चैनल की आड़ में जिस्मफरोशी का काला कारोबार करने वाले इस दलाल पत्रकार ने अपनी पत्नी को कई बार पीटा और घर से बाहर कर दिया, पत्नी किसी तरह अपना जीवन यापन कर रही है, मुकदमा भी दर्ज हुआ लेकिन महिला सम्मान की बात करने वाली योगी मोदी की इस सरकार कोई कार्रवाई नहीं हुई।
सवाल यह है कि पत्रकारिता की आड़ में जिस्म फरोशी, हनी ट्रैप और ब्लैक मेकिंग का धंधा चलाने वाले इस अकूत संपत्ति के मालिक पत्रकार के खिलाफ आखिर कोई जांच क्यों नहीं हो रही है, सब कुछ जानकर क्यूं अधिकारी और सत्ता में बैठे लोग कुछ नहीं कर रहे?