लखनऊ,NOI।आज सुप्रीम कोर्ट में शिक्षामित्र मामले की सुनवाई हुई ।जिसमें सब कुछ सकारात्मक रहा । शुरूआत में विपक्ष के वकीलों नें शिक्षामित्रो को संविदा कर्मी व समाजसेवी बताते हुए बिरोध किये। जिस पर उत्तर प्रदेश सरकार के आर वेन्कट रमणी जी नें कहा है कि शिक्षामित्र स्कीम राज्य द्वारा 1972 एक्ट के तहत निर्मित की गई इसे 1981 नियमावली से जोड़ के न देखा जाए। राज्य ने ncte एक्ट 1993 के 2011 के संशोधन 12क का हवाला देते हुए सभी 172000 शिक्षामित्रों का पक्ष लिया।सरकार के अधिवक्ता वेन्कटरमणी ने दलील दी है कि ये हमारी शिक्षा व्यवस्था को सुचारू रखने के लिए ज़रूरी है। साथ ही राज्य ने टेट को भी शिक्षामित्रों के लिए गैर जरूरी क़रार दिया है।एनसीटीई के अधिवक्ता नें शिक्षा मित्र की ट्रेनिंग को सहीं व शिक्षामित्रों को इन सर्विस टीचर बताया है।कोर्ट में शिक्षामित्रों की उत्पत्ति से लेकर उनकी प्रारम्भिक योग्यता व ट्रेनिक आदि पर आर्गोमेन्ट हुआ।
कोर्ट में शिक्षामित्रों की तरफ से रामजेठ मलानी, कपिल सिब्बल,अधिवक्ता अजयेन्द्र सांगवान व सुनील पाण्डेय ,मिनाक्षी लेखी नें शिक्षामित्रों की तरफ से पक्ष रखे
अन्त में माननीय जस्टिस यू.यू.ललित जी ने कहा कि अब आज का समय समाप्त आपलोग 17मई को फिर से मामले की सुनवाई 4:10 शाम से होगी जो 11 बजे रात तक भी सुनना पड़ेगा तो कोर्ट सुनेगी।
दूरस्थ बीटीसी शिक्षक संघ उत्तर प्रदेश पूरा प्रयास कर रहा है कि माननीय सुप्रीम कोर्ट से 137000 समायोजित शिक्षामित्रो व अवशेष 32000 शिक्षामित्रो को न्याय अवश्य मिले।ईश्वर से प्रार्थना करें भगवान हम सबकी मदत करें।
कोर्ट में दूरस्थ बीटीसी शिक्षक संघ उत्तर प्रदेश के प्रदेश अध्यक्ष अनिल कुमार यादव, प्रदेश वरिष्ठ उपाध्यक्ष रश्मिकान्त व्दिवेदी, प्रदेश मंन्त्री विकास कुमार व अरूण तोमर,प्रदेश उपाध्यक्ष महेश संघर्षी, प्रदेश प्रवक्ता दिनेश कुमार मिहौना,जिलाध्यक्ष ललितपुर,जिलाध्यक्ष एटा,जिलाध्यक्ष हाथरस,जिलाध्यक्ष अलीगढ़, जिलाध्यक्ष कोशाम्बी ,जिलाध्यक्ष बाराबंकी व दर्जनों की संख्या में पदाधिकारी व सैकड़ों शिक्षामित्र उपस्थिति रहे।