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Wednesday, February 5, 2025

​आरटीओ में दलालों की सक्रियता से परेशान ज़रूरतमंद लोग…

लखनऊ,इरफान शाहिद। क्षेत्रीय परिवहन कार्यालय में अगर आप अपना काम कराने की सोचते हैं तो पहले तो आपको ये सोचने पर ही पसीना आ जाता होगा जिसका एक सिर्फ एक ही कारण है और वो है वहां के दलालों से कर्मचारियों की सांठ गांठ इस पर उन सबको यकीन होगा जो आरटीओ आफिस जा जा कर बेहाल हो चुके हैं।आरटीओ आफिस में जब भी कोई काम करना हो तो ये मान कर चलिये की आपको दलाल की ही शरण मे जाना पड़ेगा या दलाल या आपकी ऊंची पहुंच इनके माध्यम से ही आप अपनी गाड़ी से संबंधित कोई भी काम करवा सकते है अन्यथा आप सिवाए समय बर्बाद करने के कुछ नही कर सकते।

ये सब हम ऐसे ही नही कह रहे इनमें कई बातें तो आप बीती है और कई शिकायतें उन लोगों ने हमे भेजी हैं जो आरटीओ और दलालों के मेलजोल के झोल में फस कर परेशान हो गए है। जब आप खुद आरटीओ जाएंगे तो आपको वहां के कर्मचारी इतने नियम कायदे समझाएंगे कि आप काम कराने से तौबा कर के वहां से निकल लेने में ही भलाई समझते हैं लेकिन फिर वहीँ एक बन्दा आपको हैरान परेशान देख कर आपके पास आता है और फिर जो होता है वही खेल है।

अब खेल क्या होता है ये भी जान लीजिए मानिए की आपको अपने लाइसेंस के लिए या किसी अन्य वजह से वहां पैसा जमा करना हो या रसीद कटवानी हो या कोई भी काम हो आप अगर उनके ढ़िये गए समय पर नही पहुंचे तो आप भूल जाइए कि आपका काम हो पायेगा मगर जो बन्दा आपके पास आया था वो घड़ी पीछे करने का हुनर रखता है ये आपको तब पता चलेगा जब आप उसको डबल कीमत देंगे।

अब ये कैसे होता है ये भी जान लीजिए जैसे आप काउंटर पर खड़े हैं काउंटर बंद है ना पैसा जमा हो रहा ना कोई सुन रहा तो वही बन्दा आपसे आपकी समस्या पूछेगा और कहेगा लाइये मैं करवा लाता हूं दो मिनट लगेगा साथ चलिये पर बात मैं ही करूंगा फिर आपने उससे तय तोड़ कर उसको पैसा और कागज़ दिया और उसके साथ बैक डोर से गये उसने आपको दरवाज़े पर रुकने को बोला और कर्मचारी के पास गया दो से पांच मिनट बाद वो आपका काम करा कर वापस आता है और कुछ और पैसा मांगता है दिया तो ठीक ना दिया तो वो एग्जेस्ट कर लेता है।

तो इस तरह का बैक डोर खेल आरटीओ में बदस्तूर जारी है आपके लिए समय की पाबंदी है पर दलालों के लिए कोई समय सीमा नही ज़ाहिर है वो उनको दो के पांच जो दिलाता है। आप भी ये सोच कर संतोष कर लेते हैं कि चलो काम तो हुआ चक्कर काटने से तो बचे इतने का तो आने जाने में पेट्रोल ही लग जाता।यहां बात पैसा ज़्यादा लेने की नही है और ना ही इस बात की के काम तो हुआ यहां बात है आरटीओ में फैले भ्र्ष्टाचार की जिस पर अंकुश लगाना निहायत ही ज़रूरी है क्योंकि ये ऐसा विभाग है जहां हर जवान बूढ़ा व्यक्ति आता है और परेशान हो कर ही जाता है और जब तक दलालों पर अंकुश नही लगता तबतक ऐसा कुछ संभव हो ये भी नही हो सकता क्योंकि ज़्यादा खाने की आदत उन सबको काफी समय से पड़ चुकी है।

पर अब वर्तमान मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के आने से आरटीओ से पीड़ित हर व्यक्ति ये आस लगाए है कि इस विभाग पर भी उनका अनुशासन वाला चाबुक चलेगा जिससे यहां की कार्यप्रणाली में अभूतपूर्व सुधार देखने को मिलेगा अभूतपूर्व इस लिए कहा कि इस विभाग को जितना अच्छे तरीके से वहां का कर्मचारी नही जानता वहां बैठे दलाल जानते हैं तो सुधार हुआ तो अभूतपूर्व ही होगा जो बहुत जरुरी भी है।

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