गोरखपुर से भाजपा के प्रत्याशी उपेंद्र दत्त शुक्ल को किसने टिकट दिया था? वे किसकी पसंद थे? उनके हारने के बाद इस सवाल पर ज्यादा अटकलें लगाई जाने लगी हैं। प्रचार के दौरान उन्होंने कहा था कि वे महाराज यानी योगी आदित्यनाथ की जगह नहीं ले रहे हैं, बल्कि उनके शिष्य या भक्त से रूप में चुनाव लड़ रहे हैं। पर नतीजों के बाद कहा जाने लगा है कि उपेंद्र शुक्ल मुख्यमंत्री की पसंद नहीं थे। भाजपा के कई स्थानीय नेताओं ने यह बयान दिया। क्या हार की जिम्मेदारी योगी के सर से हटाने के लिए उनके समर्थक यह बयान दे रहे हैं?
भाजपा के जानकार सूत्रों का कहना है कि उपेंद्र शुक्ल का नाम दिल्ली से तय किया गया था और भाजपा के बड़े नेताओं ने उनका नाम तय कराया था। यह भी कहा जा रहा है कि मुख्यमंत्री मठ के किसी व्यक्ति को टिकट देना चाहते थे। वे यह भी चाहते थे कि उम्मीदवार कोई ठाकुर हो पर ब्राह्मण वोट को ध्यान में रख कर उपेंद्र शुक्ल का नाम तय हुआ। योगी के करीबी सूत्रों का कहना है कि ब्राह्मण उम्मीदवार देने का सबसे बड़ा नुकसान हुआ। पहले से नाराज चल रहे ब्राह्मणों ने वोट नहीं दिया और ऊपर से राजपूत भी नाराज हो गए।
यह भी सवाल है कि फूलपुर में कौशलेंद्र पटेल को लड़ाने का फैसला किसका था? वे वहां के लिए बाहरी उम्मीदवार थे और उनसे जुड़े घरेलू कलह के मामले भी सामने आ रहे थे। फिर भी उनको उम्मीदवार बनाया गया। कहा जा रहा है कि प्रदेश के शीर्ष नेताओं के बीच चल रही खींचतान में उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य को निपटाने के लिए वहां बाहरी और कमजोर उम्मीदवार दिया गया था।