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Sunday, March 16, 2025
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करुणानिधि के बेटे स्टालिन के घर सीबीआइ का छापा

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stalin-karunaचेन्नई। सीबीआइ ने एम करुणानिधि की अगुवाई वाली डीएमके पार्टी के यूपीए-टू सरकार से समर्थन वापस लेने के महज दो दिन के अंदर ही करुणानिधि के पुत्र एमके स्टालिन के घर पर छापा मार दिया है। सीबीआइ ने 20 करोड़ के विदेशी कारों के अवैध आयात के मामले में छापा मारा है। इन अवैध कारों में एक कार स्टालिन के नाम पर दर्ज थी।

केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो [सीबीआइ] ने राजस्व अन्वेषण निदेशालय [डीआरआई] के कहने पर करुणानिधि के छोटे पुत्र और पार्टी के उत्तराधिकारी स्टालिन के घर समेत 19 जगहों पर छापा मारा है। सीबीआइ स्टालिन के घर और भी कई चीजों को खंगाल रही है। कहा जा रहा है कि एमके स्टालिन के पुत्र इस अवैध विदेशी कार का उपयोग करते हैं और सीबीआइ पूरे मामले की जांच करने में जुटी है। स्टालिन ने इस छापे को राजनीतिक बदले की कार्रवाई करार दिया है। स्टालिन ने कहा, ‘यह राजनीतिक बदले की कार्रवाई है। यूपीए के बाहर आने के कारण ऐसी कार्रवाई की गई है। हम कानून के मुताबिक लड़ेंगे।’ छापे की खबर सुनकर डीएमके के कार्यकर्ता स्टालिन के घर के बाहर जमा होने लगे हैं।

डीएमके के एक अन्य नेता टी आर बालू ने इस छापे पर अपनी प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि हर कोई समझ सकता है कि कांग्रेस सरकार कैसे काम कर रही है। उसका व्यवहार कैसा है। यह केवल राजनीतिक बदले की कार्रवाई है। सीबीआइ को सब कुछ करने देते हैं। हम इससे चिंतित नहीं हैं। हर कोई समझ सकता है कि कांग्रेस किस स्तर तक गिर सकती है।

यह केस एक जांच एजेंसी के जरिए दर्ज किया गया था लेकिन यह अभी तक स्पष्ट नहीं हो सका है कि इसके पीछे किसका हाथ है। द्रविड़ मुनेत्र कड़गम [डीएमके] ने मंगलवार को यूपीए सरकार से समर्थन वापस ले लिया था। डीएमके चाहता था कि सरकार संसद में श्रीलंका के खिलाफ प्रस्ताव लाए लेकिन ऐसा करने से मना करने पर पार्टी ने मनमोहन सिंह सरकार में शामिल पांच मंत्रियों का इस्तीफा दिलाकर समर्थन वापस ले लिया था।

सोनिया ने हाथ जोड़कर मुलायम से की ये अपील

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akhilesh-mulayamनई दिल्ली। डीएमके के समर्थन वापसी के बाद केंद्र सरकार को अब सपा और बसपा का ही सहारा है। मौके का फायदा उठाते हुए अब सपा ने भी तीखे तेवर दिखाने शुरू कर दिए हैं। सपा नेता रामगोपाल यादव ने कैबिनेट मंत्री बेनी प्रसाद का इस्तीफा मांगा है। उधर भाजपा ने भी इस मुद्दे पर मुलायम का सिंह का साथ दिया है। मुलायम संसद के सम्मानित नेता हैं। कमीशन की बात विशेषाधिकार का हनन है। विपक्ष की नेता सुषमा स्वराज ने मांग की है किबेनी को तुरंत बर्खास्त किया जाए। सपा सांसदों और मुलायम सिंह के विरोध को सोनिया देख रहीं थीं। सपा के सूत्रों के मुताबिक जब लोकसभा 12 बजे तक के लिए स्थगित हुई तब सोनिया गांधी भी सपा सुप्रीमो मुलायम सिंह यादव से लोकसभा मिलीं। इतना ही नहीं हाथ जोड़कर कहा कि बर्खास्त करने की मांग को छोड़ दें। मिलने के बाद सोनिया गांधी ने कहा कि बेनी का बयान उनका निजी बयान है। सोनिया गांधी के बयान के बाद बेनी प्रसाद वर्मा पीएम से मिले। पीएम से मिलने के बाद बेनी ने कहा कि मेरे बयान से किसी को दुख पहुंचा हो तो इसका खेद है। बेनी प्रसाद वर्मा के खेद जताने के बाद भी सपा का रूख नरम नहीं है। मुलायम सिंह यादव ने कहा है कि अभी वह कुछ भी नहीं कहेंगे जो भी कहना है कल कहेंगे। सपा नेता राम आसरे ने कहा है कि खेद जताने से काम नहीं चलेगा। बेनी की बर्खास्तगी होनी चाहिए। अब राजद अध्यक्ष लालू प्रसाद यादव भी मुलायम सिंह यादव के साथ दिखे। लालू ने कहा है कि बेनी को अपने शब्दों पर ध्यान देना चाहिए। बेनी का यह बयान निंदा योग्य है।

इस मुद्दे पर एक बार फिर संसद में भारी हंगामा हुआ और लोकसभा को कल तक स्थगित कर दिया गया। गौरतलब है कि बेनी ने कहा था कि मुलायम सिंह यादव सरकार को समर्थन देने के बदले में कमीशन लेते हैं।

उल्लेखनीय है कि बेनी ने कहा था कि मुलायम सिंह यादव के संबंध आतंकियों से हैं। इसके बाद से ही सपा माफी मांगने की मांग कर रही है। उधर डीएमके के अलग होने के बाद सपा नेता रामगोपाल यादव ने कांग्रेस को आत्मचिंतन करने की नसीहत दे डाली है।

कांग्रेस पर कटाक्ष करते हुए सपा नेता ने कहा कि साथियों के अलग होने की वजह पर कांग्रेस को विशेष ध्यान देने की जरूरत है। यूपीए सरकार बार-बार गलतियां कर रही हैं जिससे सहयोगी नाराज हो रहे हैं। सरकार अपने सहयोगियों की अनदेखी करती है। केंद्र सरकार की नीति पर तीखा वार करते हुए सपा नेता ने यहां तक कह डाला कि इससे तो राजग सरकार ही बेहतर थी। गुजरात दंगों को छोड़ दें तो राजग सरकार ने यूपीए सरकार से बेहतर काम किए हैं। यूपीए सरकार को समर्थन देने के सवाल पर सपा सुप्रोमो के फैसले को ही अंतिम फैसला बताते हुए कहा कि अभी तो समर्थन दे रहे हैं आगे का पता नहीं।

आगरा में छात्रा के कत्ल की दास्तान सुन अखिलेश की आंखें नम

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akhilesh-yadavआगरा। आंखों से झर-झर बहते आंसुओं से भरा चेहरा लिए मां न्याय मांग रही थी, तो पिता की खामोशी दिल को चीरने वाले दर्द की गवाही दे रही थी। दोनों ने होनहार बेटी की नृशंस हत्या की दास्तान सुनाई, तो मुख्यमंत्री अखिलेश यादव की आंखें भी नम हो गई। इसके बाद मुख्यमंत्री अपनी सीट से उठे और न्याय मांगती मां के आंसू अपने हाथों से पोंछे। उन्हें विश्वास दिलाया कि मामले में जल्द कार्रवाई होगी।

दयालबाग शिक्षण संस्थान (डीईआइ) में शुक्रवार को शोध छात्रा की नृशंस तरीके से हत्या कर दी गई थी। इसके बाद से पूरे शहर में आक्रोश फैला हुआ है। रविवार को मुख्यमंत्री को 34वीं रबी सेमिनार में शामिल होने आगरा आना था। ऐसे में छात्रा के परिजनों ने डीएम जुहेर बिन सगीर से मुख्यमंत्री से मिलने की इच्छा जताई। डीएम ने मुख्यमंत्री तक संदेश पहुंचा कर मुलाकात का वक्त तय कराया। रविवार को पुलिस-प्रशासनिक अधिकारी पीड़ित परिवार को लेकर होटल जेपी पैलेस पहुंच गए। दोपहर करीब सवा दो बजे हेलीकॉप्टर से मुख्यमंत्री भी वहां आ गए। कुछ देर बाद होटल के एक कमरे में छात्रा के परिजनों से उन्होंने मुलाकात की।

सूत्रों के मुताबिक छात्रा के परिजनों ने मुख्यमंत्री को घटना की जानकारी दी, इस दौरान दुखी मां की आंखों से आंसुओं की धार लग गई। परिवार का दुख देख मुख्यमंत्री का हृदय भी द्रवित हो गया। उन्होंने परिजनों को पूरी और ठोस कार्रवाई का भरोसा दिलाया। इसके बाद मुख्यमंत्री ने पुलिस अधिकारियों से इस मामले में जांच की प्रगति की जानकारी ली और जल्द खुलासे के निर्देश दिए।

बेनी बाबू, जब भी मुंह खोलते हैं विवाद ही होता है

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beni-prasad-vermaनई दिल्ली। केंद्रीय इस्पात मंत्री बेनी प्रसाद वर्मा ने समाजवादी पार्टी प्रमुख मुलायम सिंह यादव पर निशाना साधते हुए उनके संबंध आतंकियों से बताए। इस पर मुलायम सिंह यादव ने पलटवार करते हुए कहा कि मुसलमानों के लिए काम करने, उनके हित के लिए लड़ने के बदले में कोई मुझे कुछ भी कहे फर्क नहीं पड़ता है। बेनी के इस बयान पर सपा बौखला गई। छोटे से बड़े सभी नेताओं के निशाने पर बेनी आ गये हैं। वैसे बेनी जब भी बोलते हैं विवाद ही होता है। चलिए उनके अब तक के सात विवादित बयान हम आपको बता रहे हैं जिन पर काफी हंगामा हुआ।

-अफजल को फांसी नहीं उम्रकैद की सजा होनी चाहिए। वैसे मामला बिगड़ता देख अपने बयान से पलटते हुए बेनी ने कहा कि ऐसा कुछ कहा ही नहीं था।

-महंगाई पर हमेशा यही चलाते हैं..दाल महंगी हो गई, आटा महंगा हो गया, चावल महंगा हो गया, सब्जी महंगी हो गई.. जितना महंगा होगा किसान को उतना फायदा होगा.. हम तो खुश हैं इस महंगाई से।

-सलमान खुर्शीद का बचाव करते-करते केंद्रीय इस्पात मंत्री बेनी प्रसाद वर्मा यह कह गए कि यदि यह रकम 71 करोड़ होती तो हम भी गंभीर होते। उनके मुताबिक एक केंद्रीय मंत्री के लिए 71 लाख रुपये की रकम बड़ी छोटी होती है। इसे घोटाला नहीं कहा जाना चाहिए। सलमान खुर्शीद जैसे नेता 71 लाख रुपये का घपला नहीं कर सकते।

-19 अगस्त, 2012 को बेनी ने कहा था कि मुलायम सिंह पगला गए है सठिया गए है। इनका कभी जिन्दगी में सपना पूरा नहीं होगा दिल्ली में सरकार बनाए का।

-9 अगस्त, 2012 को बेनी ने कहा था कि अन्ना हजारे का शनिचर उतर गया है और अब वो बाबा रामदेव पर चढ़ गया है। ये बेकार के लोग हैं, इन्हें बस कुछ काम चाहिए।

-पिछले साल यूपी विधानसभा चुनाव के दौरान बेनी ने कहा था कि गांधी परिवार के लोग सीएम बनने के लिए नहीं, बल्कि पीएम बनने के लिए पैदा होते हैं।

-बेनी ने अन्ना हजारे को 1965 के भारत-पाक युद्ध का भगोड़ा सिपाही बताया था।

समर्पित अभिनेत्री कंगना रानावत

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kangna-ranautजन्मदिन- 20 मार्च 1987

जन्मस्थान- बांभला, हिमाचल प्रदेश

कद- 5 फुट 8  इंच

रूपहले  पर्दे पर दर्द भरी भूमिकाओं को साकार करने वाली कमसिन अभिनेत्री कंगना  रानावत  का फिल्मी सफर अब उस स्तर पर पहुंच चुका है जहां उन्हें स्वयं को सिद्ध करने की आवश्यकता नहीं है। वे हिन्दी फिल्मों की मुख्यधारा की अभिनेत्रियों में अपना स्थान सुरक्षित कर चुकी हैं।

उत्तराखंड के मनोरम शहर मनाली के मध्यम वर्गीय परिवार में पली-बढ़ी कंगना  को बचपन से ही हिन्दी फिल्मों की चकाचौंध आकर्षित करती थी। उन्नीस वर्ष की उम्र में ही कंगना  ने फिल्मों में अभिनय के प्रति अपनी रूचि  से प्रेरित होकर पहले दिल्ली और फिर, मुंबई का रूख  कर लिया। दिल्ली के अस्मिता ग्रुप ऑफ थिएटर से वे एक वर्ष तक जुड़ी रहीं। उन्होंने सुप्रसिद्ध रंगमंच  निर्देशक अरविंद गौड़ से अभिनय की बारीकियां सीखी। अपनी अभिनय-प्रतिभा निखारने के बाद कंगना  मुंबई आयीं और यहां उन्होंने संघर्ष प्रारंभ किया। धीरे-धीरे उनकी लगन  रंग  लाने लगी।  भट्ट कैंप ने कंगना  की अभिनय-प्रतिभा पर विश्वास किया और उन्हें गैंग्स्टर में नायिका सिमरन  की भूमिका निभाने का अवसर मिल गया। पहली ही फिल्म गैंग्स्टर में कंगना  के अभिनय और आकर्षण ने दर्शकों को अपने मोह-पाश में बांध लिया। गैंग्स्टर के बाद कंगना के अभिनय ने वो लम्हे  में पुन:  नयी ऊंचाइयां छूयी। इन दोनों ही फिल्मों में कंगना  में दर्द की मल्लिका मीना कुमारी की छवि को दर्शकों ने महसूस किया। बेहतरीन अभिनय के साथ-साथ परिधान और हाव-भाव के मामले में कंगना  का बिंदास  अंदाज युवा दर्शकों को भी आकर्षित करने लगा।  देखते-ही-देखते कंगना मुख्य धारा की अभिनेत्रियों की सूची में शूमार  हो गयीं। तीसरी फिल्म शकलक बूम बूम  से कंगना  ने अपनी छवि में परिवर्तन करना प्रारंभ किया। इस फिल्म में वे हल्की-फुल्की भूमिका में दिखीं। हालांकि,इस फिल्म में कंगना  दर्शकों को प्रभावित नहीं कर पायीं। लाइफ इन ए मेट्रो में एक बार फिर कंगना  ने अपने संजीदा अभिनय से दर्शकों का ध्यानाकर्षण किया। लाइफ इन ए मेट्रो में रूपहले  पर्दे के कई जगमगाते  सितारों के बीच कंगना  का अभिनय सबसे अधिक प्रभावी रहा। धीरे-धीरे कंगना  के प्रशंसकों की संख्या में वृद्धि होने लगी।  निर्माता-निर्देशकों ने भी उन्हें गंभीरता से लेना शुरू किया। इस बीच कंगना  ने दक्षिण भारतीय फिल्मों का भी रूख  किया। उन्होंने एक तमिल फिल्म धाम-धूम में अभिनय किया और दक्षिण भारतीय दर्शकों के बीच अपनी पहचान बनायी। कंगना  की प्रतिभा से प्रभावित होकर सम्मानित निर्देशक मधुर भंडाकर  ने अपनी महत्वाकांक्षी फिल्म फैशन में शोनाली  गुजराल की चुनौतीपूर्ण भूमिका निभाने का अवसर उन्हें दिया। मधुर भंडारकर  की उम्मीदों पर कंगना  खरी उतरीं। पिछले वर्ष प्रदर्शित फैशन में कंगना  के भावपूर्ण अभिनय ने नयी ऊंचाइयां छूयीं।  प्रियंका चोपड़ा जैसी सफल अदाकारा  की मौजूदगी में भी कंगना  का अभिनय चर्चा का विषय बना रहा। कं गना  की पिछली प्रदर्शित फिल्म राज 2  थी। इस फिल्म ने बॉक्स ऑफिस पर सफलता हासिल की जिसका श्रेय कंगना  के अभिनय और आकर्षण को जाता है। इन दिनों कंगना  स्वयं को बहुमुखी प्रतिभा संपन्न अभिनेत्री के रूप में स्थापित करने का प्रयास कर रही हैं। आने वाले दिनों में जहां वे काइट्स जैसी नृत्य आधारित फिल्म में दिखेंगी, तो हास्य-रस से भरपूर नो प्रॉब्लम  में वे अपनी कॉमिक  टाइमिंग  का भी परिचय देंगी।

पारंपरिक अभिनेत्रियों से जुदा छवि के कारण कंगना  हमेशा चर्चा में रही हैं। उनका बिंदास  व्यक्तित्व और निजी जीवन भी अखबारों की सुर्खियां बनता रहा है। कभी, आदित्य पंचोली  के साथ उनके कड़वे रिश्ते की दास्तां सुर्खियों में रही, तो कभी अध्ययन सुमन के साथ प्रेम-प्रसंग की खबरें। उल्लेखनीय है कि पिछले दिनों ही कंगना ने अध्ययन सुमन के साथ अपने मधुर रिश्ते के अंत की घोषणा कर दी है। दरअसल, इस समय कंगना  के लिए उनका फिल्मी कैरियर सर्वाधिक महत्वपूर्ण है। यही वजह है कि उन्होंने अध्ययन के साथ अपने रिश्ते को विराम देना बेहतर समझा।

गैरफिल्मी पृष्ठभूमि की कंगना  चार वर्षो के अंतराल में ही शीर्ष अभिनेत्रियों की सूची में दस्तकदेने लगी  हैं। यह सब उनकी प्रतिभा और लगन  के कारण संभव हो पाया है। उम्मीद है, आने वाले कई वर्षो तक कंगना  हिन्दी फिल्मों में अपनी आकर्षक उपस्थिति दर्ज कराती रहेंगी और अभिनय-कला में नयी ऊंचाइयां छूती रहेंगी।

कैरियर की मुख्य फिल्में

वर्ष-फिल्म-चरित्र

2006- गैंग्स्टर- सिमरन

2006- वो  लम्हें- सना  अजीम

2007- शक लक  बूम बूम- रूही

2007- लाइफ  इन ए मेट्रो- नेहा

2008- धाम- धूम(तमिल)- शेनबा

2008- फैशन- शोनाली  गुजराल

2008- राज- द  मिस्ट्री  कंटीन्यूज- नंदिता

आने वाली फिल्में- काइट्स,वन्स अपॉन ए टाइम इन मुंबई, नो प्रॉब्लम।

-सौम्या अपराजिता

फिल्म रिव्यू जॉली एलएलबी – सच की कचोट

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jolly-llb-poster-तेजिन्दर राजपाल – फुटपाथ पर सोएंगे तो मरने का रिस्क तो है।

-जगदीश त्यागी उर्फ जॉली – फुटपाथ गाड़ी चलाने के लिए भी नहीं होते।

सुभाष कपूर की ‘जॉली एलएलबी’ में ये परस्पर संवाद नहीं हैं। मतलब तालियां बटोरने के लिए की गई डॉयलॉगबाजी नहीं है। अलग-अलग दृश्यों में फिल्मों के मुख्य किरदार इन वाक्यों को बोलते हैं। इस वाक्यों में ही ‘जॉली एलएलबी’ का मर्म है। एक और प्रसंग है, जब थका-हारा जॉली एक पुल के नीचे पेशाब करने के लिए खड़ा होता है तो एक बुजुर्ग अपने परिवार के साथ नमूदार होते हैं। वे कहते हैं साहब थोड़ा उधर चले जाएं, यह हमारे सोने की जगह है। फिल्म की कहानी इस दृश्य से एक टर्न लेती है। यह टर्न पर्दे पर स्पष्ट दिखता है और हॉल के अंदर मौजूद दर्शकों के बीच भी कुछ हिलता है। हां, अगर आप मर्सिडीज, बीएमडब्लू या ऐसी ही किसी महंगी कार की सवारी करते हैं तो यह दृश्य बेतुका लग सकता है। वास्तव में ‘जॉली एलएलबी’ ‘ऑनेस्ट ब्लडी इंडियन’ (साले ईमानदार भारतीय) की कहानी है। अगर आप के अंदर ईमानदारी नहीं बची है तो सुभाष कपूर की ‘जॉली एलएलबी’ आप के लिए नहीं है। यह फिल्म मनोरंजक है। फिल्म में आए किरदारों की सच्चाई और बेईमानी हमारे समय के भारत को जस का तस रख देती है। मर्जी आप की आप हंसे, रोएं या तिलमिलाएं।

हिंदी फिल्मों में मनोरंजन के नाम पर हास्य इस कदर हावी है कि हम व्यंग्य को व्यर्थ समझने लगे हैं। सुभाष कपूर ने किसी भी प्रसंग या दृश्य में सायास चुटीले संवाद नहीं भरे हैं। कुछ आम किरदार हैं, जो बोलते हैं तो सच छींट देते हैं। कई बार यह सच चुभता है। सच की किरचें सीने को छेदती है। गला रुंध जाता है। ‘जॉली एलएलबी’ गैरइरादतन ही समाज में मौजूद अमीर और गरीब की सोच-समझ और सपनों के फर्क की परतें खोल देती है। ‘फुटपाथ पर क्यों आते हैं लोग?’ जॉली के इस सवाल की गूंज पर्दे पर चल रहे कोर्टरूम ड्रामा से निकलकर झकझोरती है। हिंदी फिल्मों से सुन्न हो रही हमारी संवेदनाओं को यह फिल्म फिर से जगा देती है। सुभाष कपूर की तकनीकी दक्षता और फिल्म की भव्यता में कमी हो सकती है, लेकिन इस फिल्म की सादगी दमकती है।

‘जॉली एलएलबी’ में अरशद वारसी की टीशर्ट पर अंग्रेजी में लिखे वाक्य का शब्दार्थ है, ‘शायद मैं दिन में न चमकूं, लेकिन रात में दमकता हूं’। जॉली का किरदार के लिय यह सटीक वाक्य है। मेरठ का मुफस्सिल वकील जगदीश त्यागी उर्फ जॉली बड़े नाम और रसूख के लिए दिल्ली आता है। तेजिन्दर राजपाल की तरह वह भी नाम-काम चाहता है। वह राजपाल के जीते एक मुकदमे के सिलसिले में जनहित याचिका दायर करता है। सीधे राजपाल से उसकी टक्कर होती है। इस टक्कर के बीच में जज त्रिपाठी भी हैं। निचली अदालत के तौर-तरीके और स्थिति को दर्शाती यह फिल्म अचानक दो व्यक्तियों की भिड़ंत से बढ़कर दो सोच की टकराहट में तब्दील हो जाती है। जज त्रिपाठी का जमीर जागता है। वह कहता भी है, ‘कानून अंधा होता है। जज नहीं, उसे सब दिखता है।’

सुभाष कपूर ने सभी किरदारों के लिए समुचित कास्टिंग की है। बनी इमेज के मुताबिक अगर अरशद वारसी और बमन ईरानी किसी फिल्म में हों तो हमें उम्मीद रहती है कि हंसने के मौके मिलेंगे। ‘जॉली एलएलबी’ हंसाती है, लेकिन हंसी तक नहीं ठहरती। उससे आगे बढ़ जाती है। अरशद वारसी, बमन ईरानी और सौरभ शुक्ला ने अपने किरदारों को सही गति, भाव और ठहराव दिए हैं। तीनों किरदारों के परफारमेंस में परस्पर निर्भरता और सहयोग है। कोई भी बाजी मारने की फिक्र में परफारमेंस का छल नहीं करता। छोटे से दृश्य में आए राम गोपाल वर्मा (संजय मिश्रा) भी अभिनय और दृश्य की तीक्ष्णता की वजह से याद रह जाते हैं। फिल्म की नायिका संध्या (अमृता राव) से नाचने-गाने का काम भी लिया गया है, लेकिन वह जॉली को विवेक देती है। उसे झकझोरती है। हिंदी फिल्मों की आम नायिकाओं से अलग वह अपनी सीमित जरूरतों पर जोर देती है। वह कामकाजी भी है।

सुभाष कपूर ने ‘जॉली एलएलबी’ के जरिए हिंदी फिल्मों में खो चुकी व्यंग्य की धारा को फिर से जागृत किया है। लंबे समय के बाद कुंदन शाह और सई परांजपे की परंपरा में एक और निर्देशक उभरा है, जो राजकुमार हिरानी की तरह मनोरंजन के साथ कचोट भी देता है।

स्टिंग में फंसे निजी बैंकों के खिलाफ होगी सख्त कार्यवाही

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icici-axis-hdfcनई दिल्ली। देश के प्रमुख निजी बैंकों पर कालेधन को सफेद करने के लगे आरोप को केंद्र सरकार ने गंभीरता से लेना शुरू कर दिया है। सरकार को इस बात की भी चिंता है कि इस घटना से नए निजी बैंकों को लाइसेंस देने की उसकी योजना पर पानी न फिर जाए। केंद्र ने शुक्रवार को पूरे मामले की गंभीरता से जांच करवाने और दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करने की चेतावनी दी है।

वित्त मंत्रालय ने सभी बैंकों से कहा है कि वे इन आरोपों की आंतरिक तौर पर जांच करवाएं और इस महीने के अंत तक रिपोर्ट सौंपे। उस रिपोर्ट के आधार पर मंत्रालय बाहरी एजेंसियों से पूरे मामले की जांच करवाने का फैसला कर सकता है।

गुरुवार को न्यूज पोर्टल कोबरापोस्ट ने स्टिंग ऑपरेशन के जरिये यह खुलासा किया था कि आइसीआइसीआइ, एक्सिस, एचडीएफसी जैसे बड़े बैंकों में कालेधन को सफेद करने का काम हो रहा है। इसमें यह भी बताया गया कि इन बैंकों की देशभर में फैली शाखाओं में हवाला का काम भी नियम कानूनों की धज्जियां उड़ाते हुए खुलेआम हो रहा है। इन आरोपों के सामने आते ही तीनों बैंकों ने आंतरिक जांच शुरू कर दी है।

वित्त मंत्रालय के सचिव (वित्तीय सेवा) राजीव टकरू ने बताया कि सरकार इन आरोपों से सकते में है। इनकी जांच सरकारी एजेंसियों से करवाई जा सकती है। फिलहाल, रिजर्व बैंक और मंत्रालय दोनों के स्तर पर सूचनाएं एकत्रित की जा रही हैं। एक बार सच्चाई सामने आ जाए तो यह फैसला किया जाएगा कि आगे क्या कार्रवाई की जानी है। उन्होंने कहा कि यह गंभीर मामला है, लेकिन अभी यह नहीं कहा जा सकता कि बैंकों के स्तर पर नियमों की अवहेलना हो रही है। अगर जरूरत महसूस की गई तो बाहरी एजेंसियों से भी जांच करवाई जा सकती है।

सूत्रों का कहना है कि जांच-पड़ताल में इन बैंकों के खिलाफ मुख्य तौर पर यह देखने की कोशिश होगी कि इन्होंने केवाईसी (अपने ग्राहक को जानो) नियमों का पालन किया है या नहीं। वैसे भी कोबरापोस्ट के पास सिर्फ वीडियो रिकॉर्डिग है। उसके पास किसी वित्तीय लेनदेन का रिकॉर्ड नहीं है।

सरकार की विफलता और अराजकता के खिलाफ 23 को प्रदर्शन

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congressलखनऊ| अखिलेश सरकार के 1 साल पूरा होने पर उत्तर प्रदेश कांग्रेस कमेटी ने कहा कि वर्तमान प्रदेश सरकार के एक वर्ष के कार्यकाल में सरकार के मंत्रियों, विधायकों के आपसी झगड़े, प्रशासनिक एवं पुलिस अधिकारियों के मनोबल को तोड़ने से लेकर ताबड़तोड़ हत्या, बलात्कार, लूट की घटनाओं में हुई बेतहाशा वृद्धि से कानून व्यवस्था मजाक बनकर रह गया है, दिनदहाड़े अपराधी घटनाओं को अंजाम देकर स्वतंत्र घूम रहे हैं, ऐसी घटनाओं में सत्तारूढ़ दल के विधायकों की संलिप्तता भी परिलक्षित हुई है, जिलों-जिलों में हुए 27 साम्प्रदायिक दंगों के चलते पूरा वर्ष अराजकता की भेंट चढ़ा, सपा सरकार सभी मोर्चे पर विफल साबित हुई है।
प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष निर्मल खत्री ने कहा कि विगत दिनों प्रतापगढ़ के कुण्डा क्षेत्र में एक डिप्टी एस.पी. की दबंगों द्वारा नृशंस हत्या करके अपराधियों ने प्रदेश सरकार को चुनौती भी दे डाली है। इस हत्याकाण्ड से अल्पसंख्यक समुदाय सरकार की दयनीय स्थिति एवं अपराधियों के सामने नतमस्तक कानून व्यवस्था को देखकर, ठगा महसूस कर रहा है। प्रदेश में जगह-जगह आम आदमी की सुरक्षा की जिम्मेदारी संभालने वाले पुलिस के अधिकारियों/कर्मचारियों पर सत्तापक्ष के संरक्षण में हमले कर, अपराधी कानून व्यवस्था को धता बता रहे हैं। सबसे दुःखद तो यह है कि ज्यादातर अपराधियों को सत्तादल का संरक्षण प्राप्त है।
राजनीति में अपराधीकरण के लिए भी समाजवादी पार्टी पूरी तरह जिम्मेदार है क्योंकि चुनाव में लाभ पाने के लिए अपराधियों को सर्वाधिक समाजवादी पार्टी ने अपना समर्थन दिया है। आज प्रदेश में अपराधियों के बढ़ते हुए हौसले के लिए सपा का नेतृत्व ही जिम्मेदार है। जिसका नतीजा यह है कि प्रदेश में अधिकतर अपराधों में इन्हीं लोगों की संलिप्तता उजागर होती है।
समाजवादी पार्टी ने अपने चुनावी घोषणा पत्र में किये गये किसी भी वादे को पूरा न करके सिर्फ और सिर्फ प्रदेश की जनता, नौजवानों, किसानों, महिलाओं, बुनकरों को छलने का कार्य किया है।
डा0 खत्री ने प्रदेश सरकार की विफलताओं और प्रदेश में व्याप्त अराजकता केा आम जनता के बीच पर्दाफाश करने हेतु आगामी 23मार्च,2013 को पूरे प्रदेश में सभी जिला मुख्यालयों पर जोरदार धरना-प्रदर्शन करने का ऐलान किया है। उन्होने प्रदेश की सभी जिला/शहर कांग्रेस इकाइयों के माध्यम से आयोजित होने वाले इस धरना-प्रदर्शन के उपरांत प्रदेश के माननीय राज्यपाल को जिलाधिकारी के माध्यम से उपरोक्त आशय का ज्ञापन भी दिये जाने के भी निर्देश दिये हैं।

विफल है अखिलेश सरकार : बीजेपी

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bjpलखनऊ| सपा सरकार का एक वर्ष पूरा होने पर भारतीय जनता पार्टी ने सरकार के 1 साल का रिपोर्ट कार्ड पेश किया । भाजपा प्रदेश अध्यक्ष लक्ष्मी कान्त बाजपाई ने पत्रकारों से बात करते हुए कहा की उत्तर प्रदेश की अखिलेश सरकार का यह वर्ष विफलता से भरपूर रहा है । उन्होंने कहा कि सरकार हर मोर्चे पर फेल रही है , समाजवादी पार्टी ने चुनाव में जिन वादों को पूरा करने का सब्ज़ बाग़ जो प्रदेश की जनता को दिखाया था वह प्रदेश की जनता के सामने आ चूका है ।
लक्ष्मी कान्त बाजपाई ने जनता दर्शन, बेरोज़गारी भत्ता, किसान, कानून व्यवस्था, विकास और बजट, लैपटॉप/टेबलेट, नौकरशाही, मुस्लिम तुष्टीकरण,औद्योगिक विकास सहित पिछले 1 साल में हुए दंगों पर भी अखिलेश सरकार को घेरा ।
जनता दर्शन-
जनता दर्शन में हजारों गरीब-गुरबों, उपेक्षित लोगों का लखनऊ आना यह साबित कर रहा था कि जिलों में सम्बन्धित अधिकारी, सपा विधायक व सांसद परेशान हाल जनता की समस्याओं पर ध्यान नहीं दे रहे है।
लखनऊ में जनता दर्शन में आने वाली भीड़ के कारण सरकार का सच उजागर हो रहा था इसलिए जनता दर्शन बंद कर दिया, क्या यही समस्यओं का हल है।
बेराजगारी भत्ता-
साढ़े आठ करोड़ बांटा-बांटने पे खर्च साढ़े बारह करोड़।
किसी भी बेरोजगार हाथ के लिए एक भी रोजगार सृजन नहीं।
किसान-
गेहूं और धान-खरीद के केन्द्र स्थापित नहीं और घोटाला।
कर्ज माफी में धोखा-1650 करोड़ की आवश्यकता बजट में प्रावधान 950 करोड़ तब घोषित 720 हजार किसानों का कर्जा कैसे मांफ होगा।
कृषि मूल्य आयोग का गठन नहीं।
समर्थन मूल्य पर बोनस नहीं।
गन्ना मूल्य भुगतान की बजट व्यवस्था 400 करोड़-भुगतान शेष 5 हजार करोड।़
आलू निर्यात की व्यवस्था नहीं तथा नये कोल्ड स्टोरज की योजना पर भी अमल नहीं।
किसान की फसल का भुगतान अब मंत्रियों द्वारा चेक बांट कर होगा इसका औचित्य क्या ?
छोटी जोत के किसानों को पेन्शन व्यवस्था की घोषणा पर अमल अभी तक नहीं।
घर से खेत तक की दुर्घटना पर पांच लाख बीमा योजना पर अमल नहीं।
कानून व्यवस्था-
अपराध बढ़े।
सीओ, एसआई और सिपाही मारे जा रहे है।
निर्वार्चित जन प्रतिनिधियों की हत्या हो रही है।
बलात्कारी समाजवादी मंत्रि परिषद और विधायक दल के सदस्य है।
श्री पंडित सिंह व श्री केसी पाण्डेय को संरक्षण, तो कानून व्यवस्था में सुधार कैसे।
पुलिस का मनोबल एक साल में गिरा तब उससे कर्तव्य पालन की आशा कैसे ?
एक साल मंे 34 साम्प्रदायिक दंगे और तनाव-तब पांच साल में कितने होंगें।
अपहरण एक उद्योग के रूप में पुनः विकसित।
गोवंश की हत्या में अभूत पूर्व वृद्धि-मथुरा में 108 गायें लूटकर हरियाणा ले गये।
वूमेन पाॅवर लाइन 1090 सेवा प्रारम्भ सरकार की स्वीकारोक्ति के कम समय में लाखों शिकायतंे आईं-स्पष्ट है कि नीचे कुछ ठीक नहीं है और इन लाखों शिकायतांे में काम किस पर हुआ यह बताने को सरकार तैयार नहीं।
एक वर्ष का परिणाम अपराधी मस्त-जनता और पुलिस त्रस्त
राष्ट्रपति चुनाव के समय में प्रत्याशी के साथ भोज अपराधिक विधायकों की उपस्थिति कानून व्यवस्था के प्रति सरकार की नियत को स्पष्ट करता है।
बिजली आपूर्ति-
शहर मे 22 घंटे देहात में 20 घंटे तथा उद्योग एवं कृषि को बिजली की कमी नहीं का वादा-जनता के साथ छलावा।
प्रदेश अभूतपूर्व बिजली संकट से ग्रस्त है।
संवेदनहीनता-
मथुरा में शहीद हेमराज के घर जाने के फुर्सत स्वयं नहीं दबाव में गये वहीं सीओ जिया उल हक की पत्नी की शर्तोे के आगे घुटना टेक नीति।
टांडा में स्व0 राम बाबू गुप्ता की विद्यवा से कोई सहानभूति नहीं
कुंभ मेला की जिम्मेदारी भारत माता को डायन कहने वाले को और फिर वहां तीर्थ यात्रियों के साथ हुई दुर्घटना पर संवैधानिक मुखिया महामहिम श्री राज्यपाल बाध्यकारी परिस्थितियों में इलाहाबाद गये।
हमारी बेटी-उसका कल-
केवल अल्पसंख्यक बेटियों के लिए तब दलित पिछड़ी और सामान्य वर्ग की बेटियों के कल की चिंता कौन सरकार करेगी।
भ्रटाचार-
बसपा के भ्रष्टाचारियों को जेल भेजने का वादा करके स्व0 पोंटी चढ्ढा के परिवार एवं जेपी ग्रुप से बेशर्मी पूर्ण समझौता सरकार की नीयत को उजागर करता है।
मा0 शिवपाल यादव द्वारा थोड़ा-थोड़ा खाईये की सलाह सरकार की नीति को स्पष्ट करता है।
दिल्ली की यूपीए की भ्रष्टाचारी सरकार को बिना शर्त समर्थन देना सरकार की भ्रष्टाचार के प्रति भावना को प्रर्दर्शित करता है।
चीनी मिल बिक्री घोटाले पर कोई कार्यवाही न करना सरकार के भ्रष्टाचार के प्रति समर्पण के संकल्प को दर्शाता है।
सोनभद्र में खनन घोटाला।
प्रदेश में मनरेगा घोटाला।
छत्भ्ड घोटाले के अभियुक्त श्री प्रदीप शुक्ला के साथ सक्रिय सहयोग सरकार की भ्रष्टाचारियों के प्रति समर्पण का परिचायक है।
विकास और बजट-
बजट का 49 प्रतिशत ही खर्च कर पाने वाली सरकार यदि विकास का दावा करती है तो प्रदेश की जनता के साथ धोखा है।
केन्द्र पुरोधानित योजनाएं या तो ठप्प है या गति धीमी है।
जिला योजनाओं के स्वीकृत परिव्यय का मात्र 14 प्रतिशत ही धन अवमुक्त कर पाई है।
सपा सरकार में सम्मूर्ण प्रदेश कुछ ही जिलों में सीमित है।
लैपटाॅप/टेबलेट-
गांव में विद्युत आपूर्ति देंगें नही ंतो यह चार्ज कैसे होंगे।
लैपटाॅप पर समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष मुलायम सिंह यादव जी का फोटो सरकार के राजनीतिकरण का उदाहरण है और दुरूपयोग की परिभाषा।
नौकरशाही-
ताश के पत्ते की तरह एक वर्ष में कई बार फेंटें गये परन्तु परिणाम शून्य।
सत्ता चला नहीं पा रहे और दोष अधिकारियों का दे रहें-नाँच न आवे आँगन टेढ़ा।
मा0 कल्याण सिंह जी, मा0 राजनाथ सिंह व मा0 राम प्रकाश जी के कार्यकाल में भी यही नौकरशाही थी जनता उस कार्यकाल को याद करती है।
मुस्लिम तुष्टीकरण-
इस सरकार की प्रत्येक योजना का पहला लाभार्थी अल्पसंख्यक ही हो इस नियत से सरकार काम कर रही है।
कब्रिस्तानों की सुरक्षा और व्यवस्था के 300 करोड़ शमशान के लिए एक भी पैसा नहीं।
जेल में बंद मुस्लिम आतंकवादियों को निर्दोष बताना और उसका आधार केवल अल्पसंख्यक होना।
औद्योगिक विकास-
आगरा में लगभग 1300 उद्यमियों एवं विदेशी राजदूतों कार्पोरेट जगत के महत्वपूर्ण उद्योगपतियों एवं निवेशकों के सम्मेलन के बाद निवेश का एक भी प्रस्ताव न मिलना सम्मेलन असफल रहा ये प्रमाणित करता है।
शिक्षा-
टीईटी अभ्यर्थियों के मामले में अभी तक सरकार ने अपनी नीति स्पष्ट नहीं की है और रोज-रोज परिवर्तन करती है और टीईटी अभ्यर्थियों की मांग पर लाठी चार्ज करती है।
मा0 शिक्षा परिषद की परिक्षाएं अव्यवस्था से ग्रस्त है और छात्रों के साथ अन्याय हो रहा है।
स्वास्थ्य-
दिमागी बुखार और उससे मरने वालों के लिए अभी कोई व्यवस्था नहीं है।
खराब जनरेटर के कारण केजीएमसी में बच्चों की मृत्यु सरकार की व्यवस्था की पोल खोल रहा है।
व्यापारी-
व्यापार कर की दर पड़ोसी राज्यों के समान करने की बात तो दूर, प्रदेश में 1.5 प्रतिशत की वृद्धि।
फार्म 38, 26 समाप्त किया जायेगा की घोषणा पर कोई अमल नहीं।
एफडीआई को रिटेल में लागू नहीं करेंगें घोषणा पर फिक्की में जाते ही मुख्यमंत्री पलट गये और केन्द्र सरकार द्वारा एफडीआई लागू करने के निणर््ाय के बाद भी सरकार से समर्थन वापस लिया।
लाठीचार्ज-
माध्यमिक शिक्षकों
आयुष डाॅक्टरों
बाढ़ पीडि़तों
खाद की मांग करते किसानों
ग्राम प्रधानों
उच्च शिक्षा/मानदेय शिक्षकों
तथा अन्य राजनीतिक प्रर्दशनों पर लाठी चार्ज के इलावा इस सरकार ने कभी कुछ नहीं दिया है।
5 C की शिकार-
C-orruption-भ्रष्टाचार को संरक्षण व बढ़ावा दे रही, जांच का भय दिखा स्वयं खजाना भर रही।
C-onfused- .चट निर्णय पट रोल बैक, किसी भी विषय में निर्णय न कर पाना।
C-rime-अपराधों का नया आयाम, अपराधी मस्त-जनता त्रस्त।
C-ommunal-1 वर्ष में 34 दंगें, सरकार की सारी नीतियां एक समुदाय के लिए।
C-ompartmentalised.सरकार का सारा ध्यान 5-6 जिलों तक सीमित।
इससे स्पष्ट है कि प्रदेश सरकार का एक साल अन्र्तविराधों, अविश्वास व अराजकता की भेंट चढ़ गया। एक साल में ही सरकार का साम्प्रदायिक चेहरा जनता के सामने उजागर हो गया। सपा की यह सरकार बसपा सरकार की कार्बन कापी साबित हुई।
लक्ष्मी कान्त बाजपाई ने कहा कि उत्तर प्रदेश में (सपा सरकार) के शासन में हुए 34 दंगों की सूची भी पेश की ।
1-बरेली-
धार्मिक जुलूस को लेकर बरेली में 2 बार साम्प्रदायिक दंगे हुए
12 अगस्त 2012 को धार्मिक जूलूस को लेकर साम्प्रदायिक हिंसा, कफर््यू
23 जुलाई 2012 बरेली में बवाल, एक मरा पूरे शहर में कफर््यू लगा
2-कोषीकलाॅ-(मथुरा)
14 जून 2012 को एक युवक की हत्या को लेकर साम्प्रदायिक हिंसा, कफर््यू
3-सहारनपुर-
बालिकाओं पर संगठित हमले को लेकर साम्प्रदायिक हिंसा, कफर््यू
4-लखनऊ-
17 अगस्त 2012 को असम हिंसा को लेकर एक समुदाय द्वारा दूसरे वर्ग एवं मीडिया कर्मियों पर हमले को लेकर तनाव, हिंसा
5-इलाहाबाद-
17 अगस्त 2012 असम हिंसा को लेकर आगजनी, साम्प्रदायिक हिंसा, कफर््यू
6-कानपुर-
17 अगस्त 2012 को असम हिंसा को लेकर आगजनी, साम्प्रदायिक हिंसा, कफर््यू
7-गाजियाबाद-
13 अगस्त 2012 छेड़छाड़ को लेकर साम्प्रदायिक हिंसा, कफर््यू
16 सितम्बर 2012 को गोली लगने से 2 युवक की मौत को लेकर साम्प्रदायिक हिंसा
8-फैजाबाद-
24 अक्टूबर 2012 को चैक, मदरसा, रूदौली, प्रतिमा विसर्जन को लेकर साम्प्रदायिक हिंसा, कफर््यू
9-फैजाबाद-
26 अक्टूबर रिकाबगंज-मार्ग पर दुर्गा प्रतिमा विसर्जन के दौरान पत्थरबाजी व अभद्रता को लेकर बवाल हो गया, चैक घंटाघर, रूदौली, भदरसा, पिपरी जलालपुर व शाहगंज में जमकर बवाल, पत्थरबाजी, कई वाहनों को किया आग के हवालेव 24 दुकानें जलाई
10-हरदोई-
26 अक्ब्ूबर बसपा विद्यायक पर फायरिंग और पथराव, नाराज समर्थकों ने सड़क जाम कर रोडवेज की 3 बसों को क्षतिग्रस्त किया
11-प्रतापगढ़-
29 अक्टूबर संसारीपुर राजापुर गांव(बकरीद पर बवाल)-में गोकशी कर दी एक गाय काटने के बाद, दूसरी को ले जाते समय दूसरे समुदाय के लोगोे नें सड़क जाम, जमकर बवाल, बंद हुआ पृथ्वीगंज बाजार, टायर फूंका, बसों पर पथराव पीएससी तैनात
12-कानपुऱ-
29 अक्टूबर मामूली बात को लेकर बात इतनी बढ गई कि दो वर्ग आमने सामने जमकर पथराव, मारपीट हुई, उपद्रव में महिला समेत 7 लोग घायल
13-महमूदाबाद़-
1 नवम्बर बालिका के घायल होने पर जलाए गए घर, आग की भेंट चढ़े आवास
14-रायबरेली-
11 नवम्बर बछरावाॅ-छेड़छाड़ को लेकर खूनी संघर्ष, 16 घायल, तलवारें और कुल्हाड़ी चली
15-फर्रूखाबाद-
14 नवम्बर पानी भरने को लेकर दो पक्षो में पथराव, जमकर मारपीट, 6 घायल, भारी पुलिस बल तैनात
16-सुलतानपुर/जयसिहंपुर-
23 नवम्बर ताजिया जुलूस के दौरान बवाल, पुलिस बल की मौजूदगी में ही समुदाय के दो पक्षों के बीच संघर्ष 12 लोग घायल, दो गम्भीर पुलिस पर भी पथराव
17-आजमगढ़-
6 दिसम्बर मामूली विवाद को लेकर दो पक्षों में चली लाठियां 11 घायल, भारी पुलिस बल तैनात
18-प्रतापगढ़-
25 जून को सामूहिक बलात्कार के बाद हत्या को लेकर साम्प्रदायिक हिंसा
19-मुजफ्फरनगर-
4 जून 2012 को साम्प्रदायिक हिंसा में दो महिला एवं 18 पुरूष घायल
20-कोसीकला
4 फरवरी कोसीकलाॅ में पथराव, एक की मौत, जमकर बवालबाजी
21-मुजफ्फरनगर-
4 फरवरी बरेली में फिर बवाल मारपीट-पथराव, 15 घायल
22-गोण्डा-
7 जनवरी गोण्डा करनैलगंज चले लाठी पत्थर, कई घायल
23-लखनऊ-
12 दो पक्षों में ताजिए को लेकर बवाल, पथराव अफरा-तफरी 4 घायल, तानातानी की दहशत में नक्खास का बाजार बंद
24-लखनऊ-
17 जनवरी वजीरगंज में फायरिंग एक की मौत के बाद जमकर बवाल, 15 लोग जख्मी
25-बरेली-
26 जनवरी बरेली बाकरगंज-जुलूस पर पथराव व फायरिंग
26-सुलतानपुर-
5 जनवरी चेहल्लुम के जुलूस के दौरान दो गुट भिड़े, 4 जख्मी, सुलतानपुर में संघर्ष
27-मुजफ्फरनगर-
10 जनवरी मुजफ्फरपुर-में मारपीट मंे 10 से अधिक घायल, सांप्रदायिक तनाव, राशनडीलर से राशन पहले देेने को लेकर सभासद के भतीजों के द्वारा दंगा
28-नोएडा-
20 फरवरी नोएडा सेक्टर-82,83 में बंद के दौरान हिंसा, वेतन बढ़ाने को लेकर पथराव, आगजनी दमकल की गाड़ी सहित 8 गाडि़यां फूंकी, 2 दर्जन से ज्यादा गाडि़यों में तोड़फोड़, 6 पुलिस कर्मी समेत 12 से ज्यादा लोग घायल धारा-144 लागू कफर््यू के आसार
29-अंबेेडकरनगर-
7 फरवरी छात्रा की मौत के बाद बवाल, सीओ की गाड़ी तोड़ी, जमकर पथराव, लाठीचार्ज भारी पुलिस बल तैनात
30-रायबरेली-
15 फरवरी ऊँचाहार छेड़छाड़ के विरोध में दो पक्षों में जमकर लाठी-डंडे, फरसों से मार हुई, आधा दर्जन लोग लहूलुहान, भारी पुलिस बल तैनात
31-इटावा-
24 फरवरी कचहरी परिसर में शादी के लिए आये युवक-युवती में युवक की हत्या को लेकर इटावा में मालगाड़ी को पथराव कर रोका, बसें व कार तोड़ी, जमकर हुआ बवाल
32-प्रतापगढ़ कुंडा-
3 मार्च 2013 ग्राम बलीपुर-ग्राम प्रधान व उनके भाई की रंजिशन गोली मार कर हत्या, सीओ की भी गोली मार कर हत्या ग्रामीणों में आक्रोश कई पुलिसकर्मी घायल तनाव को देखते हुए गांव में भारी पुलिस बल तैनात, दहशत का माहौल, पूरा गांव छावनी में तब्दील
33-अंबेडकर नगर-
4 मार्च 2013 अंबेडकरनगर टांडा-हिन्दू युवा वाहिनी के नेता राम बाबू की हत्या के बाद जमकर बवाल, आगजनी, पथराव, फायरिंग तनाव को देखते हुए भारी पुलिस बल तैनात, कफर््यू
34-संभल-
6 मार्च 2013 संभल धार्मिक स्थल को लेकर दो पक्ष भिड़े ताबड़तोड़ फायरिंग, तनाव को देखते हुए इलाके में भारी पुलिस बल व पीएसी तैनात

मप्र में विदेशी महिला के साथ सामूहिक दुष्कर्म

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Madhya-Pradesh-Mapदतिया, 16 मार्च| स्विजरलैंड से भारत भ्रमण पर आई एक महिला के साथ मप्र में सात हथियारबंद व्यक्तियों द्वारा दुष्कर्म किए जाने का मामला प्रकाश में आया है। पुलिस के मुताबिक पीड़ित महिला की शिकायत पर सात अज्ञात लोगों के खिलाफ दुष्कर्म का मामला दर्ज कर लिया गया है और उनकी तलाश जारी है। स्विटरजलैंड निवासी जॉर्ज दंपति भारत भ्रमण के दौरान मध्य प्रदेश में आए थे। शुक्रवार शाम साइकिल से ओरछा से आगरा की ओर जा रहे इस जोड़े को थकान के चलते सिविल लाइन थाना क्षेत्र के झरिया गांव स्थित भुतवा जंगल में रुकना पड़ा, जहां कुछ हथियार बंद अज्ञात बहशियों ने उन्हें घेर लिया और महिला के साथ दुष्कर्म किया। अनुविभागीय पुलिस अधिकारी एम.एस. धौड़ी ने बताया, “पीड़ित दंपति की शिकायत पर सात अज्ञात लोगों के खिलाफ मामला दर्ज किया गया है और अभी आरोपियों की तलाश जारी है। पीड़ित महिला को चिकित्सा परीक्षण के लिए ग्वालियर ले जाया गया है, जहां तीन महिला चिकित्सकों का दल इस पीड़ित महिला का परीक्षण कर रहा है।”