वाराणसी. बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह को यूं ही नहीं राजनीति का चाणक्य कहा जाता है। समय- समय पर सफल रणनीति बना कर अमित शाह ने इस बात को साबित किया है। यूपी चुनाव में अमित शाह की सफल रणनीति के चलते ही बीजेपी को प्रचंड बहुमत मिला है। खुद पीएम मोदी ने सार्वजनिक मंच से कहा था कि मैने ऐसा रणनीतिकार नहीं देखा है। बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष ने फिर दो नेताओं को फंसाने के लिए चक्रव्यूह रच दिया है और इस चक्रव्यूह में दोनों नेता फंसते जा रहे हैं। दोनो नेताओं के फंसते ही बीजेपी के संसदीय चुनाव 2019 में बड़ा लाभ मिलेगा।
वर्ष 2014 में हुए संसदीय चुनाव के बाद जहां पर भी विधानसभा चुनाव हुए है उसमे से तीन राज्यों को छोड़ कर सभी जगहों पर बीजेपी की सरकार है भले ही यह सरकार गठबंधन के जरिए भी बनी हो। बीजेपी जानती है कि यदि उसे फिर से संसदीय चुनाव 2019 जीतना है तो महागठबंधन होने से रोकना होगा। बीजेपी को अखिलेश यादव, मायावती व कांग्रेस से समस्या नहीं है। बीजेपी जानती है कि दो नेता उसका खेल बिगाड़ सकते हैं। एक दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल व दूसरे बिहार के सीएम नीतीश कुमार। यदि अरविंद केजरीवाल किसी भी तरह से महागठबंधन में शामिल हो जाते हैं तो उनकी भ्रष्टाचार विरोधी राजनीति खत्म हो जायेगी। ऐसे में बीजेपी को केजरीवाल के महागठबंधन में शामिल होने से बीजेपी को दिक्कत नहीं होगी। बीजेपी के लिए सबसे बड़ी समस्या नीतीश कुमार हो सकते हैं जो अब बीजेपी के जाल में फंसते जा रहे हैं।
जानिए बीजेपी ने कैसे बनाया चक्रव्यूह
बीजेपी ने सबसे पहले बिहार के राज्यपाल रामनाथ कोविंद को प्रत्याशी बना चक्रव्यूह बनाया है, जिसमे बिहार के सीएम नीतीश कुमार फंसते जा रहे हैं। इसके अतिरिक्त सीबीआई व आयकर विभाग ने लालू यादव के खिलाफ जो कार्रवाई की है उससे भी नीतीश कुमार के महागठबंधन में शामिल होने की संभावना कम है। नीतीश कुमार जानते हैं कि बिहार चुनाव जीत कर वह बीजेपी पर बड़ी बढ़त ले चुके हैं और उनके महाठबंधन में शामिल होने के बाद भी जीत नहीं मिलती है तो इसका बिहार में होने वाले विधानसभा चुनाव पर भी पड़ेगा।
इस कारण बीजेपी मानती है नीतीश कुमार को प्रमुख प्रतिद्वंदी
नीतीश कुमार की स्वच्छ छवि व विकास पुरुष का चेहरा बीजेपी के बड़ी समस्या है। इसके अतिरिक्त नीतीश कुमार ने बिहार में शराबबंदी करके देश की आधी आबादी के लिए सबसे अच्छा संदेश दिया है। देश भर में बिहार के लोगों की संख्या भी अच्छी है और नीतीश कुमार के पीएम प्रत्याशी बनते ही ऐसे वोटर उनके पक्ष में जा सकते हैं। ऐसे में बीजेपी ने बिहार के सीएम को फंसा कर महागठबंधन को फेल करने की योजना बनायी है यह कितनी कामयाब होगी यह तो समय ही बतायेगा।