-क्या रूक पायेगा बाल श्रम
-गरीबी से जूझते बच्चे हो रहे काम करने को विवश
मोहम्मद इरफ़ान शाहिद
फिरोजावाद- सुहागनगरी मे बाल श्रमिकों की संख्या बढती जा रही है। इससे परे हटकर देखा जाये तो ज्यादातर फैकिटृयों में भी बाल श्रमिक देखने को मिलगें। कर्इ सालो से चल रहा बाल श्रम रोको अभियान कभी भी सफल होता नही दिखार्इ दे रहा है। हा कुछ स्थानों पर छापे मारकर कुड बाल श्रमिकों को पकड लिया गया । और उनको छोड दिया जाता है। इसके साथ ही श्रम विभाग का काम खत्म हो जाता है। क्या ऐसे मे बाल श्रम रूक सकेगा? क्या वे बच्चे स्कूल जायेगे? सवाल नन्हें कंधों पर परिवार का पूरा वोझ ढो रहे बच्चों के परिजनों को मनरेगा जैसी योजनाओं से रोजगार क्यों नही दिलाया जा रहा है? शहर के कुछ स्थान है जहा बाल श्रमिक काम करते हुये मिल जायेगे। श्रम विभाग ऐसे स्थान चाहे फैक्टृी हो उसमे छापे मारने की कोशिश नही कर रहा । श्रम विभाग को कुछ ऐसा करना चाहिये कि बालश्रम छोडकर पढार्इ की ओर अग्रसर हो सके। खास वात तो यह है कि दबरर्इ जिला मुख्यालय पर ही बाल श्रमिक बच्चो को पानी वेचते हुये या फिर वोतले उठाते हुये देखे जा सकते है। कही भी ऐसे बच्चो को पूछा जाता है तो उनका जबाब होता है कि हमें खाने को दो -तीन दिन भूखा रहना पडता है। श्रम विभाग पकडने के वजाये उनके धर की माली हालत सुधारने के भी प्रयास करे तो बाल श्रम अपने आप ही खत्म हो जायेगें।