नई दिल्ली एजेंसी: वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) के अमल में जल्दबाजी नहीं की जाए। केंद्रीय राजस्व अधिकारियों के प्रमुख संगठन ने वित्त मंत्री अरुण जेटली से यह अनुरोध किया है। संगठन ने अपनी चिंताओं पर ध्यान नहीं दिए जाने पर कानूनी कदम उठाने की चेतावनी दी है। सरकार ने पहले इस साल एक अप्रैल से जीएसटी लागू करने का लक्ष्य रखा था। अब सरकार को केंद्र व राज्य के अप्रत्यक्ष करों को समाहित करने वाले इस टैक्स प्रणाली के पहली जुलाई से अमल में आने की उम्मीद है।
ऑल इंडिया एसोसिएशन ऑफ ग्रुप बी सेंट्रल एक्साइज गजटेड एक्जीक्यूटिव ऑफिसर्स ने इस बारे में जेटली को पत्र लिखा है। एसोसिएशन ने दावा किया है कि नोटबंदी का असर देश की आर्थिक विकास दर पर पड़ा है। अब अगर जीएसटी लागू करने में जल्दबाजी दिखाई गई तो देश के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) बढ़ने की रफ्तार और भी सुस्त हो सकती है। एसोसिएशन ने जेटली के नेतृत्व वाली जीएसटी काउंसिल द्वारा लिए गए कुछ फैसलों को अवैध करार दिया है और उन्हें दुरुस्त करने की मांग की है। साथ ही, अंतिम फैसला करने से पहले अधिकारियों के संगठन की भी राय ली जाए। जीएसटी काउंसिल की 16 जनवरी को हुई बैठक में कई फैसले किए गए थे।
पत्र में कहा गया है कि सालाना डेढ़ करोड़ रुपये तक के सेवाकर दाताओं के आकलन और प्रशासन का काम राज्यों को हस्तांतरित करने का फैसला किया गया है। इस तरह से 90 फीसद प्रतिशत सर्विस टैक्स यूनिटें राज्यों को सौंपने का किसी भी कानूनी और तार्किक आधार पर समर्थन नहीं किया जा सकता। इसलिए जीएसटी काउंसिल अपने इस फैसले को वापस ले।