लाहौर, एजेंसी | पाकिस्तान के सिंध प्रांत के सहवान कस्बे में स्थित लाल शाहबाज कलंदर दरगाह के भीतर देर रात आईएसआईएस के एक आत्मघाती हमलावर द्वारा किए गए विस्फोट में 70 से अधिक लोगों की मौत हो गई और 150 से अधिक लोग घायल हो गए। सिंध प्रांत के पुलिस महानिरीक्षक ए डी ख्वाजा ने बताया, ‘अब तक 70 लोगों की मौत हुई है और 150 से अधिक लोग घायल हुए हैं।’ उन्होंने बताया कि मृतकों में 12 महिलाएं और चार बच्चे शामिल हैं।’
कौन थे सूफी बाबा लाल शाहबाज कलंदर
वास्तव में ये दुनिया भर में मशहूर ‘दमादम मस्त कलंदर’ वाले सूफी बाबा यानी लाल शाहबाज कलंदर की दरगाह है। माना जाता है कि महान सूफी कवि अमीर खुसरो ने शाहबाज कलंदर के सम्मान में ‘दमादम मस्त कलंदर’ का गीत लिखा। बाद में बाबा बुल्ले शाह ने इस गीत में कुछ बदलाव किए और इनको ‘झूलेलाल कलंदर’ कहा। सदियों से यह गीत लोगों के जेहन में रचे-बसे हैं।
लाल शाहबाज कलंदर की मजार पर उनकी बरसी के समय सालाना मेला लगता है, जिसमें पाकिस्तान के लाखों लोग शरीक होते हैं। माना जाता है लाल शाहबाज़ कलंदर के पुरखे बगदाद से ईरान के मशद आकर बस गए थे और फिर वहां से अफ़ग़ानिस्तान के मरवांद चले गए जहां ‘दमादम मस्त कलंदर’ वाले बाबा का जन्म हुआ।
लाल शहबाज कलंदर फ़ारसी ज़ुबान के कवि रूमी के समकालीन थे. उन्होंने इस्लामी दुनिया का सफ़र किया और आखिर में पाकिस्तान के सेहवान आकर बस गए। उन्हें यहीं दफनाया भी गया।
कहा जाता है कि 12वीं सदी के आखिर में वे सिंध आ गए थे. उन्होंने सेहवान के मदरसे में पढ़ाया और यहीं पर उन्होंने कई किताबें भी लिखीं। मुल्तान में उनकी दोस्ती तीन और सूफी संतों से हुई जो सूफी मत के ‘चार यार’ कहलाए।