वाशिंगटन। सारी दुनिया जानती है कि भारत पर होने वाले आतंकी हमलों के पीछे पाकिस्तान समर्थित आतंकियों का हाथ है। इसके बावजूद भारत अपने पड़ोसी देश को मुंहतोड़ जवाब नहीं देता। इसकी सबसे बड़ी वजह इस्लामाबाद के पास मौजूद परमाणु बम हैं।
अमेरिकी रक्षा विशेषज्ञ और राष्ट्रीय सुरक्षा मामलों पर शोध प्रोफेसर स्टीफन ब्लैंक ने कहा कि पाकिस्तान आतंकवाद को पालता पोषता रहा, लेकिन भारत जवाबी कार्रवाई करने में संकोच करता रहा। पाकिस्तान भी जानता है कि भारत पलटवार नहीं करने वाला। इसलिए वहां आज भी आतंकी गतिविधियों को समर्थन प्राप्त है। नई दिल्ली के डर की वजह इस्लामाबाद के पास मौजूद परमाणु हथियार हैं। यदि भारत-पाक के पास परमाणु बम नहीं होते तो नई दिल्ली अब तक आतंकवाद के खिलाफ इस्लामाबाद की ओर अपनी तोपों के मुंह मोड़ चुका होता। हालांकि, इन खतरनाक बमों की दक्षिण एशिया में मौजूदगी ने भारत के हाथ बांध रखे हैं।
ब्लैंक ने कहा कि परमाणु बमों की मौजूदगी ने कई देशों को युद्ध से बचाया हुआ है। उदाहरण के तौर पर रूस का काफी हिस्सा चीन से जुड़ा है। रूसी सेना के अधिकारी और राजनीतिज्ञ यदाकदा चीन के सैन्य खतरे के बारे में बयान देते भी हैं। यदि इन दो देशों के बीच लड़ाई शुरू होती है तो एक दिन के अंदर चीन ट्रांस साइबेरियन रेलवे पर कब्जा कर पूर्वी रूस को बाकी देश से अलग-थलग करने में सक्षम है। ऐसे में परमाणु बम ही एक चीज है जो रूस को सुरक्षित बनाए हुए है।
शीत युद्ध के समय भी रणनीतिक मोर्चो पर रूसी परमाणु बमों का जिक्र हुआ करता था। ऐसा माना जाता था कि तत्कालीन साम्यवादी देश कुछ ही घंटों में पूरे यूरोप को नष्ट कर सकता है। उस समय हम भी सोवियत यूनियन को पूरी तरह से नष्ट करने की धमकियां देते थे। अगर इसे दूसरे शब्दों में समझा जाए तो यह आपसी समझौता था। न हम आप पर हमला करेंगे और न आप ऐसा सोचिए। अब हमें आने वाली पीढि़यों को इस खतरे से बचाना होगा। भले ही ये बम हमें परंपरागत युद्ध से बचाते हों, लेकिन इनके खतरे को कोई नहीं नकार सकता।