इस्लामाबाद। आजादी के बाद से बार-बार सैन्य शासन झेलती आ रही पाकिस्तान की जनता शनिवार को नई लोकतांत्रिक सरकार बनाने के लिए मतदान करने जा रही है। ये चुनाव इस दृष्टि से ऐतिहासिक हैं, क्योंकि 66 साल में पहली बार वोट के जरिये सत्ता हस्तांतरण होने जा रहा है। मतदान को लेकर उत्साह का माहौल है और नई सरकार को लेकर तमाम उम्मीदें भी हैं, लेकिन इसी के साथ हिंसा की भी जबरदस्त आशंका है।
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गुरुवार आधी रात को समाप्त चुनाव प्रचार भी रक्तरंजित रहा। शुक्रवार को भी पश्चिमोत्तर पाकिस्तान में बम विस्फोट और आतंकी हमले में 15 लोग मारे गए थे। चुनाव प्रचार के दौरान हिंसा में सौ से अधिक लोग मारे गए जिससे बाध्य होकर प्रमुख दलों को रैलियों और बड़ी जनसभाओं के आयोजन तौबा करना पड़ा। चुनाव में हिंसा न हो इसके लिए देश भर में छह लाख सुरक्षाकर्मी तैनात किए गए हैं।
उम्मीद की जा रही है कि नवाज शरीफ [63] की पार्टी पाकिस्तान मुस्लिम लीग-नवाज यानी पीएमएल-एन इन चुनावों में सबसे बड़ी पार्टी के रूप में उभरेगी। शरीफ तीसरी बार प्रधानमंत्री बन सकते हैं, बशर्ते वह अपने गठबंधन में धार्मिक, राष्ट्रवादी और दक्षिणपंथी पार्टियों को एक साथ रखने में कामयाब रहें। माना जा रहा है कि ये पार्टियां प्रांतों में अच्छा प्रदर्शन करेंगी। पिछले कुछ हफ्तों से जारी चुनाव प्रचार में क्रिकेटर से राजनेता बने इमरान खान [60] ने अपनी पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ पार्टी को संभावनाओं के पंख लगा दिए हैं। विशेष तौर पर पंजाब प्रांत में जहां 147 संसदीय सीटें हैं। पाकिस्तान में जिन 272 संसदीय सीटों पर चुनाव होने हैं उनमें आधी से अधिक सीटें इसी प्रांत में हैं। विशेषज्ञों का कहना हे कि चुनाव प्रचार के लिए मंच पर चढ़ने के दौरान लिफ्ट से गिरकर घायल इमरान को सहानुभूति के कुछ वोट मिल सकते हैं।
पाकिस्तान की राष्ट्रीय असेंबली यानी संसद में कुल 342 सीटें हैं और चुनाव वाली 272 सीटों के अलावा शेष महिलाओं और अल्पसंख्यक उम्मीदवारों के लिए हैं, जिन्हें पार्टियां मनोनयन के जरिये भरेंगी। इनमें 60 सीटें महिलाओं और 10 गैर मुसलमानों के लिए आरक्षित हैं। पाकिस्तान में परंपरागत रूप से मतदान का प्रतिशत कम रहता है। कुल चार हजार 670 प्रत्याशी संसदीय चुनाव में अपनी किस्मत आजमा रहे हैं जबकि करीब 11 हजार उम्मीदवार चार प्रांतीय चुनावों के लिए मैदान में हैं। करीब 70 हजार मतदान केंद्र हैं। इनमें से कम से कम आधे से अधिक संवेदनशील हैं।
पीएमएल-एन और इमरान खान की पार्टी ही केवल ऐसी बड़ी राजनीतिक पार्टियां हैं जो देश भर में प्रचार कर सकी। तहरीक-ए-तालिबान ने धमकी दी थी कि पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी [पीपीपी] के नेतृत्व वाली गठबंधन सरकार में शामिल अवामी नेशनल पार्टी [एएनपी] और मुत्ताहिदा कौमी मूवमेंट [एमक्यूएम] के नेताओं और रैलियों को निशाना बनाएगी। चुनाव प्रचार के दौरान तालिबान और अन्य आतंकी गुटों के बमों और गोलियों से किए गए हमलों में एएनपी व एमक्यूएम के कई प्रत्याशियों सहित सौ से अधिक लोग मारे गए। पीपीपी के नेतृत्ववाली मौजूदा सरकार ऐसी पहली लोकतांत्रिक सरकार है जिसने पाकिस्तान में अपना कार्यकाल पूरा किया है। पीपीपी के प्रमुख बिलावल भुट्टो ने एक भी चुनावी रैली को संबोधित नहीं किया। उनका चुनाव अभियान केवल कुछ वीडियो तक ही सीमित रहा। एएनपी ने एक नया नारा दिया है ‘वतन या कफन’ क्योंकि तालिबान ने बार-बार उसके कार्यकर्ताओं और नेताओं पर हमले किए हैं। मौलाना फजलुर रहमान के नेतृत्ववाली जमीयत उलेमा-ए-इस्लाम और बलूचिस्तान नेशनल पार्टी जैसी छोटी पार्टियां क्रमश: पश्चिमोत्तर और बलूचिस्तान में कई संसदीय सीटें जीत सकती हैं। पीएमएल-एन सहित कुछ राजनीतिक दलों ने इमरान खान पर पूर्व आइएसआइ प्रमुख अहमद शुजा पाशा से मदद पाने का आरोप लगाया है।
चुनावी तस्वीर
नेशनल असेंबली
-कुल उम्मीदवार : 4670
-महिला उम्मीदवार :161
-कुल सीटें : 342
-चुनाव वाली सीटें: 272
-कुल मतदाता : आठ करोड़ 60 लाख
-वोटिंग समय : सुबह आठ से शाम पांच बजे तक
-उम्मीदवारों की हत्या के चलते तीन क्षेत्रों के चुनाव स्थगित
प्रांतीय चुनाव
चार प्रांतों- पंजाब, सिंध, खैबर पख्तूनख्वा और बलूचिस्तान की विधानसभा के लिए हो रहे चुनाव में 11 हजार प्रत्याशी