दीपक ठाकुर:NOI-
केंद्र की सत्ता पर काबिज होना है तो ज़रूरी है कि पार्टी हर राज्य में बेहतर प्रदर्शन करे नही तो उसका केंद्र का सफर मुश्किल हो सकता है यही डर इस बार भाजपा को सता रहा है जिस कारण वो बंगाल की सभी लोकसभा सीटों को जीतना चाहती है।पिछली बार के चुनाव में मिला जन समर्थन को भुनाने की पूरी कोशिश में भाजपा जुटी है कभी पीएम मोदी तो कभी अमित शाह बंगाल की धरती पर शंखनाद करते नज़र आते हैं वही बंगाल की मुख्यमंत्री ममता जी उनके मंसूबों पर पानी फेरने में कोई कोर कसर नही छोड़ती वाद विवाद का दौर भी जारी है लेकिन इन सबके बीच जो हिंसा हो जाती है इससे किसको फायदा है ये एक बड़ा सवाल है।
भाजपा आरोप लगाती है कि हिंसा के लिए ममता बनर्जी ज़िम्मेवार हैं तो वही ममता कहती है कि ये दंगे भाजपाई लोग करा रहे हैं अब समझना ये है कि क्या ममता दंगा करा कर वहां दहशत का माहौल बनाना चाहती है ताकि कम वोटिंग में उनका फायदा हो या भाजपा ये साबित करने में जुटी है कि बंगाल में कानून का राज है ही नही यहां सिर्फ और सिर्फ ममता की ही चलती है इसलिए लोकतंत्र को बचाना है तो उनको हटाना ज़रूरी हो गया है।वैसे ये सब समझना मुश्किल नही है किसी भी आम आदमी के लिए क्योंकि सभी जानते हैं कि चुनावी माहौल और सत्ता जाने और पाने का डर किसी भी हद तक जा सकता है।
एक बात और वो ये के अभी किसी भी पार्टी को क्लीन चिट देना गलत होगा क्योंकि वीडियो दोनों पार्टी ने जारी किया है और दोनों ही पार्टी ये दिखाने में कामयाब हुए है कि दंगाई कौन थे लेकिन चूंकि दंगा अमित शाह की रैली के दौरान हुआ इसलिए उंगली ममता पर उठना लाज़मी है लेकिन ऐसा करके ममता का कौन सा फायदा होता ये बात भी समझ से बाहर है कहना यही है कि चुनाव के आखरी दौर में तमाशा अभी बाकी है मेरे दोस्त।