लखनऊ : विधानसभा चुनाव की मतगड़ना आज शुरू हो गयी, अभी तक के रुझानों में भाजपा यूपी और उत्तरखंड में पूर्ण बहुमत से आगे है। यूपी में भाजपा समर्थक केसरिया रंग में होली खेलने को तैयार नजर आ रहे हैं। लखनऊ भाजपा कार्यालय का जश्न का माहौल देख के आप अंदाजा लगा सकते हैं कि कैसे कार्यकर्ता मोदी की प्रचंड लहर में डूब जाने को बेताब हैं। वहीँ सपा कार्यालय के बाहर कार्यकर्ता यूपी में सपा की जीत के लिए अखिलेश यादव और डिंपल यादव की तस्वीरें रख कर हवन करते हुए नजर आ रहे हैं। वहीं तीसरी नम्बर पर चल रही बसपा पार्टी कार्यलय के बाहर सन्नटा पसरा हुआ है।
केशव मौर्या का कहना?
रुझानों की वजह से यह लहर यूपी में 1991 में बीजेपी की सरकार बनते वक्त छाए राम लहर से भी तेज नजर आ रही है। यूपी प्रदेश अध्यक्ष केशव प्रसाद मौर्या के चेहरे पर साफ दिखाई दी जीत की खुशी। उन्होंने कहा, उत्तर प्रदेश की जनता और कार्यकर्ताओं को हृदय से अभिनंदन करता हूं।
आम चुनाव 2014 की तरह ही मतगणना के शुरुआती एक घंटे में ही बीजेपी ने बाकी पार्टियों का गेम ओवर कर दिया। सुबह साढ़े नौ बजे तक यूपी के 403 सीटों में आए 321 के रुझानों में सिर्फ बीजेपी छाई हुई नजर आई। बीजेपी और सहयोगी पार्टियां 214, एसपी और कांग्रेस गठबंधन को 60, बीएसपी को 35 जबकि अन्य 12 सीट पर आगे थे। वहीं, चुनावों में कांटे की टक्कर के बाद फैसला देने वाले उत्तराखंड में भी बीजेपी ही छाई हुई नजर आई। यहां 70 में से 61 सीट पर आए रुझानों में बीजेपी 47, कांग्रेस 12, जबकि दो सीट पर अन्य पार्टियां आगे थी। अगर यह आंकड़े नतीजों में तब्दील होते हैं तो यहां बीजेपी इतनी ज्यादा सीटों के साथ सरकार बनाने वाली पहली पार्टी होगी।
1991 से ज्यादा सीटें
मंदिर आंदोलन के वक्त जनता का चरम समर्थन के सहारे यूपी में सरकार बनाने वाली बीजेपी को उस वक्त 221 सीटें मिली थीं। उस वक्त कांग्रेस को महज 46 सीटें ही मिली थीं। उस वक्त बीजेपी को 31.76% वोट मिले थे। 1991 के चुनाव कुल 419 सीटों पर हुए थे। एक आकलन के मुताबिक, बीजेपी को इस बार 280 से ज्यादा सीटें और करीब 40 पर्सेंट वोट शेयर मिलने की उम्मीद है।
बढ़ेगा मोदी और अमित शाह का कद
बीजेपी के नेताओं के मुताबिक, यह तय है कि इस बार के चुनावी नतीजे पीएम नरेंद्र मोदी और अमित शाह के कद पर भी असर डालेंगे। पहले से ही पूरी तरह से पार्टी और सरकार पर मजबूत पकड़ बना चुकी मोदी-शाह की जोड़ी के लिए यह जीत मनोबल और ज्यादा बढ़ाने वाली साबित होगी। यही नहीं, पार्टी के भीतर जो नाराज नेता मौके के इंतजार में हैं, उनके रास्ते बंद हो जाएंगे। पार्टी के एक नेता के मुताबिक, इन चुनावों में भी प्रचार का केंद्र बिंदु खुद पीएम मोदी ही रहे हैं। जाहिर है कि उसका क्रेडिट उन्हें ही मिलेगा। इसी तरह से शाह को भी पार्टी के अब तक के सबसे सफल अध्यक्ष का खिताब मिल जाएगा। अब तक उनके नेतृत्व में पार्टी ऐसे राज्यों में जीत हासिल कर चुकी है, जहां इससे पहले शायद वह कभी मुख्य विपक्षी दल भी नहीं रही।
आगे की राह भी होगी आसान
ये चुनावी नतीजे अभी से गुजरात और हिमाचल प्रदेश के चुनाव की तस्वीर भी कुछ-कुछ साफ कर देंगे। दरअसल, इस साल के अंत में ही इन दोनों राज्यों में चुनाव होने हैं। गुजरात चुनाव खुद मोदी और शाह के लिए निजी परीक्षा से कम नहीं है। यही वजह है कि इस जीत से उसका उत्साह इस कदर बढ़ जाएगा कि उसके लिए गुजरात और हिमाचल प्रदेश बड़ी चुनौती साबित नहीं होगा। मोदी गुजरात चुनाव को किस गंभीरता से ले रहे हैं, इसका अनुमान इसी बात से लगाया जा सकता है कि उन्होंने अभी से गुजरात में विकास परियोजनाओं के उद्घाटनों की शुरुआत कर दी है। जीत के बाद राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति चुनाव में भी बीजेपी को कोई अड़चन नहीं आएगी।