सीतापुर-अनूप पाण्डेय, राकेश पाण्डेय/NOI-उत्तरप्रदेश जनपद सीतापुर के विकास खंड हरगांव की ग्राम सभा नवीनगर में मनरेगा के तहत कराये गये कार्यों में हुई धांधली पर साक्ष्य के साथ 13 अगस्त 2017 को जांच कार्यवाही डीसी मनरेगा सीतापुर अचानक नबीनगर आये जिसमें उन्होंने प्रधान को बुला कर काम कराने को कहा उन्होंने कोई जांच कार्यवाही नहीं की सिर्फ अभिलेखीय परीक्षण किया गया । तकनीकी परीक्षण ना होने के कारण मनरेगा के कार्यो में वित्तीय अनियमितता उजागर नहीं हो सकी।
चक जोशी पूर्वी तालाब जिसमें उनके द्वारा जांच आख्या में 100 * 40 मीटर लंबाई एरिया दर्शाई गई जबकि ऐस्टीमेट में 80* 36 दिखाया गया मौके पर 73 * 26 मीटर एरिया मिला। इससे स्पष्ट होता है कि जांच अधिकारी डी सी मनरेगा ने अच्छा खासा सुविधा शुल्क लेकर मामले को रफा दफा कर दिया। जांच आख्या के अनुसार 56* 30 एरिया दिखाई गई इस कार्य की अनुमानित लागत 2 लाख 8 हजार निकाली गयी जबकि तालाब में केवल सफाई मात्र करायी गयी। जांच आख्या के अनुसार चतुर जोशी रोड के किनारे नाला खुदाई के कार्य की की जांच के भौतिक सत्यापन में नाला तो खुदा पाया गया लेकिन नाले से सम्बन्धित मिट्टी नाले के दोनों ओर नहीं पाई गयी जिस पर जांच के उपरांत ग्राम प्रधान व रोजगार सेवक के द्वारा 27 अगस्त 2017 से कार्य कराना प्रारंभ किया गया। तब कार्य को रुकवाने हेतु सूचना डीसी मनरेगा मुख्य विकास अधिकारी सीतापुर खण्ड विकास अधिकारी हरगांव राजकुमार को उनके सी यू जी नंबर 94 5440 5428 पर सूचना उसी दिन दी गई जिस की कॉल रिकॉर्डिंग मौजूद है इसके बाद भी कार्य बिना मास्टर रोल निकलवाये चलता रहा । जिससे स्वत: स्पष्ट होता है कि जांच के उपरांत प्रधान द्वारा बिना मास्टर रोल निकलवाए उक्त कार्य करवाया गया। जो कि वित्तीय अनियमितता की श्रेणी में आता है।
14वें वित्त 21 जुलाई 2017 को शिकायत मनरेगा की, की गयी।
जिसका निस्तारण 5 अगस्त 2017 तक मुख्य विकास अधिकारी द्वारा जिला पंचायत राज अधिकारी को अग्रेषित किया गया निस्तारण होना है जबकि आज 13 सितंबर 2018 तक कोई भी जांच गांव में नहीं आई ना ही शिकायतकर्ता को कोई सूचना दी गई इससे यह साबित होता है ब्लाक हरगांव भ्रष्टाचार की सारी हदें तोड़ चुका है।
नाजायज करवाए गए पट्टे
ग्राम सभा नबीनगर के सम्बन्ध में भी 21 जुलाई 2017 को परियोजना निदेशक राजेश त्रिपाठी के आदेशानुसार विभाग के अवर अभियन्ता नरेश गुप्ता द्वारा 2 अगस्त 2017 को जांच की गयी जांच में उनके सम्मुख रामलाल पुत्र चिरंजीव व कांति पत्नी रामशंकर दो लोगों ने प्रधान के सहयोगी विनीत को प्रधान के कहने पर प्रथम किस्त 40000 में से 30000 उनके मनचाहे भट्टे पर सीमेंट सरिया की दुकान पर ट्रांसफर कराया । कुछ पैसा विनीत ने अपने पास रखा इस एवज में प्रधान के घर के बाहर चक्कर लगाने पर मात्र लगभग 18000 (अठारह हजार) तक सामान दिया गया ,शेष नहीं मिला राम नरेश पुत्र मल्हार व सुरेश पुत्र मोहन इन दोनों लोगों ने बयान दिया कि हमसे ग्राम प्रधान ने कई बार दबाव बनाया कि हमारी मन चाही फार्म से ही सामग्री खरीदो, इस प्रकार की शिकायतें कई लोगों ने अवर अभियन्ता नरेश गुप्ता से की । लेकिन जांच अधिकारी ने मात्र कांति पत्नी राम शंकर राम नरेश पुत्र मल्हार के बयान ही अपनी जांच आख्या में दिखाया गया और रामलाल पुत्र चिरंजीव व श्री राम मोहन राय आदि लोगों के बयान नहीं दर्शाया गए जबकि बयान देते समय रामलाल पुत्र चरण रामाश्रय पुत्र मोहन की वीडियो क्लिप भी मौजूद है । प्रधान गुड्डू साईं और उनके सहयोगी विनीत पर कांति राम शंकर व रामनरेश मल्हार के बयानों के आधार पर जिलाधिकारी महोदय डॉक्टर सारिका मोहन के आदेशानुसार मुख्य विकास अधिकारी
सीतापुर ने खंड विकास अधिकारी हरगांव राजकुमार जी को मामले की जांच सौंपी। वह कई दिन जांच रोकते हुये किसी के दबाव में आकर खण्ड विकास अधिकारी हरगांव ने बड़ी चतुराई से स्वयं जांच हेतु न जाकर ग्राम विकास अधिकारी नबीनगर अरविंद कुमार साहू के द्वारा जांच आख्या रिपोर्ट साथ में ले जाकर लहरपुर कोतवाली में प्रधान गुड्डू साईं के खिलाफ अपराध संख्या 0 382/ 17 पर आई पी सी की धारा 406,420 के अंतर्गत 21 सितंबर 2017 को मुकदमा दर्ज हुआ जिसकी विवेचना वर्तमान में तैनात एस एस आई अनिल कुमार यादव को सौंपी गयी विवेचक अनिल कुमार यादव दोषी ग्राम प्रधान को साथ में लेकर गांव में जाकर प्रधान के चुनिंदा लोगों को साथ में लेकर उसी दिन बयान कर्ताओं को धमकाया और कहा कि इसमें कुछ नहीं होगा और बयान कर्ताओं पर दबाव बनाया कि इसमें सुलह समझौता कर लो, लेकिन शिकायतकर्ताओं ने सुलह समझौता नहीं सुलह समझौता नहीं करने पर 10 (दस) माह से अधिक समय हो जाने के बाद भी आज तक दोषी ग्राम प्रधान के विरुद्ध कोई दण्डात्मक कार्यवाही शासन प्रशासन के स्तर से नहीं हुई । इसी से अनुमान लगाया जा सकता है कि पैसे की खनक और दबंगई के बलबूते दबंग प्रधान अपनी प्रधानी आज तक चला रहे है। गांव के कुछ व्यक्तियों ने 1 नवंबर 2017 को पुलिस अधीक्षक के समक्ष पेश होकर शिकायत की, कि दोषी को गिरफ्तार कर तत्काल जेल भेजा जाये। लेकिन वही ढाक के तीन पात मामले में आज तक कोई कार्यवाही नहीं हुई ।