नई दिल्ली।। एक तरफ गुजरात के सौराष्ट्र का पूरा इलाका भीषण सूखे की चपेट में है। कई गांवों में महिलाओं को पीने के पानी के लिए 5-5 किलोमीटर तक पैदल चलना पड़ता है। पानी की कमी झेल रहे कुछ गांवों के कुंवारों की शादी तक नहीं हो रही है। वहीं दूसरी तरफ खुद को संत कहने वाले आसाराम बापू ने होली के बहाने जमकर पानी बहाया। न सिर्फ पानी बहाया बल्कि पानी की बर्बादी पर पूछे गए सवाल पर उन्होंने कहा कि पानी किसी के बाप का नहीं है। इतना ही नहीं, वह घमंड में चूर हो गए हैं। उन्होंने भगवान को यार कहकर संबोधित किया और यहां तक कह दिया कि जहां भी सूखा पड़ा होता है, हम पानी बरसा देते हैं।
न्यूज चैनल ‘आज तक’ के मुताबिक, गुजरात में अपने भक्तों के साथ होली मनाते हुए आसाराम ने बेशर्मी की सारी सीमाएं लांघ दीं। आसाराम मीडिया ने मीडियावालों की तुलना कुत्तों से कर दी। वह यहीं चुप नहीं बैठें। उन्होंने कहा कि हम किसी सरकार के बाप से पानी नहीं लेते।
गौरतलब है कि 40 साल के सबसे भीषण सूखे से संघर्ष कर रहे महाराष्ट्र की सरकार ने तथाकथित इस संत से सिर्फ इतना कहा था कि महाराज लोग प्यास से मर रहे हैं आप होली के नाम पर पानी ऐसे मत बहाइए और पानी देने से मना कर दिया था। इस पर आसाराम का पारा चढ़ गया था। उन्होंने आध्यात्मिक संत की परम्परा को ताक पर रख कर एक सड़कछाप की तरह व्यवहार किया। मीडिया पर निशाना साधने के दौरान अपने आप को बापू कहते हुए आसाराम कहते हैं कि बापू मूंग दल रहे हैं और कुत्ते (मीडिया) भौंक रहे हैं।
इतना ही नहीं गुजरात और महाराष्ट्र के सूखे को नजरअंदाज करते हुए आसाराम कहते हैं कि भगवान हमारे साथ है मैं तो दिल खोल के रंग बरसाऊंगा। यही नहीं आस्था के नाम पर आसाराम ने इस प्राकृतिक आपदा (खिल्ली) की सरेआम खिल्ली उड़ाई। उन्होंने भगवान को अपना यार बता डाला। ऐसा लग रहा था कि ईश्वर उनका लंगोटिया हो। उन्होंने कहा हम तो यार के पानी से रंग बरसाते हैं। जहां भी सूखा पड़ा होता है हम पानी बरसावा देते हैं।