कौशांबी. यहां एक शख्स को अपनी सात महीने की भांजी की बॉडी को मजबूरन कंधे पर लादकर 10 किलोमीटर का सफर साइकिल से तय करना पड़ा। पीड़ित परिवार का आरोप है कि जब सरकारी हॉस्पिटल से एंबुलेंस मांगी गई तो उन्होंने 800 रुपए मांगे। मामले के तूल पकड़ने पर डीएम मनीष कुमार वर्मा ने मजिस्ट्रियल जांच के आदेश दिए हैं। बता दें कि पिछले साल ओडिशा में भी ऐसा ही मामला सामने आया था। दाना माझी नाम का शख्स मदद न मिलने पर अपनी पत्नी की बॉडी को कंधे पर रखकर 10 किमी तक ले गया था।डॉक्टरों ने नहीं की मदद…
– मामला कौशांबी के सिराथू तहसील के मलाकसद्दी गांव का है। यहां के रहने वाले की 7 महीने की बेटी पूनम को सोमवार की सुबह अचानक उल्टी-दस्त होने लगा। उसे डिस्ट्रिक्ट हॉस्पिटल लाया गया। इलाज के दौरान उसकी मौत हो गई।
– परिजन का कहना है, “हम लोग एंबुलेंस से अस्पताल गए थे। वापस घर जाने के लिए हमारे पास साधन नहीं था। हमने बेटी का शव घर ले जाने के लिए डॉक्टरों से मदद मांगी तो उन्होंने कोई मदद नहीं दी।”
एंबुलेंस ड्राइवर ने मांगे 800 रुपए, दूसरे ने कहा- पेट्रोल नहीं है
– पूनम के पिता अनंत कुमार का कहना है कि जब मैं एंबुलेंस के ड्राइवर के पास गया तो उसने 800 रुपए मांगे। पैसे न होने की बात कहने पर वो शव को ले जाने को राजी नहीं हुआ।
– “इसके बाद डॉक्टरों ने मुझे शव वाहन का नंबर दिया। मैंने उस पर फोन किया तो ड्राइवर ने कहा कि वाहन में पेट्रोल नहीं है।”
– परिवार वालों के मुताबिक, इसी बीच पूनम का मामा बृजमोहन हॉस्पिटल आया। उसने अपने जीजा अनंत को रोते बिलखते देखा। इससे दुखी होकर उसने अपनी भांजी पूनम के शव को कंधे पर उठाया और साइकिल से 10 किमी दूर स्थित गांव पहुंचा।
डॉक्टर और एंबुलेंस ड्राइवर पर केस दर्ज करने का आदेश
– मामले के तूल पकड़ने के बाद जिला प्रशासन सकते में आ गया। आनन-फानन डीएम ने सीएमओ डा.एसके उपाध्याय को ड्यूटी पर तैनात डॉक्टर और एंबुलेंस ड्राइवर पर मुकदमा दर्ज कराने के आदेश दिया।
इटावा में बेटे की बॉडी कंधे पर लेकर घर गया था पिता
– इससे पहले 3 मई को इटावा में एक शख्स को अपने 15 साल के बेटे की डेड बॉडी को सरकारी हॉस्पिटल से कंधे पर लादकर घर ले जाना पड़ा था।
– विक्टिम शख्स का आरोप था कि डॉक्टरों ने बॉडी को ले जाने के लिए न तो स्ट्रेचर और न ही एंबुलेंस मुहैया कराई।
क्या था दाना माझी का मामला?
– पिछले साल 24 अगस्त को ओडिशा के कालाहांडी के सरकारी हॉस्पिटल से एंबुलेंस और मॉर्चुरी वैन नहीं मिलने पर दाना माझी को पत्नी की डेड बॉडी मजबूरन कंधे पर लेकर जाना पड़ा था। आदिवासी कम्युनिटी के मांझी ने 6 घंटे में 10 km का रास्ता तय किया था। इस दौरान उसकी 12 साल की बेटी भी रोती-बिलखती साथ चल रही थी। इस घटना का वीडियो वायरल हुआ था।