लखनऊ. कभी बहुजन समाज पार्टी (बसपा) में मायावती के बाद नंबर दो रहे पूर्व कद्दावर मंत्री नसीमुद्दीन सिद्दीकी विधान परिषद की सदस्यता से अयोग्य घोषित कर दिए गए हैं। वह 2018 में बसपा छोड़कर कांग्रेस में चले गए थे, लेकिन उनकी नई पारी बुरी तरह फेल साबित हुई।
विधान परिषद अध्यक्ष रमेश यादव ने बसपा की ओर से दाखिल शिकायत पर लंबी सुनवाई के बाद फैसला सुनाया है। नसीमुद्दीन सिद्दीकी 23 जनवरी 2015 को बसपा से एमएलसी निर्वाचित हुए थे।
बसपा के राष्ट्रीय महासचिव सतीश चंद्र मिश्र ने अपने पूर्व राष्ट्रीय महासचिव के बारे में प्रेस विज्ञप्ति जारी कर विधान परिषद अध्यक्ष के फैसले की जानकारी दी।
विज्ञप्ति में कहा गया है कि नसीमुद्दीन को 22 फरवरी 2018 की तिथि से ही अयोग्य ठहराया गया है। माया सरकार में काबीना रहे सिद्दीकी ने 22 फरवरी 2018 को कांग्रेस का हाथ थाम लिया था।
विधान परिषद में बसपा दल के तत्कालीन नेता सुनील कुमार चित्तौड़ ने उनकी सदस्यता खत्म करने के लिए 28 फरवरी 2018 को याचिका दी थी। बतौर विधान परिषद सदस्य सिद्दीकी का कार्यकाल 30 जनवरी 2021 तक था।
बसपा ज्वॉइन करने से पहले नसीमुद्दीन सिद्दीकी रेलवे कॉन्ट्रैक्टर थे। वह मूल रूप से बुंदेलखंड के सयोरा गांव से हैं। राष्ट्रीय स्तर पर वॉलीवॉल खिलाड़ी रहे सिद्दीकी बसपा छोड़ने के बाद से यूपी की राजनीति से लगभग गायब हैं।