दीपक ठाकुर:NOI।
भारतीय जनता पार्टी जब 2014 में लोक सभा चुनाव के लिए जनता के बीच आई थी तब उसे ये लगता था कि आरक्षण एक अभिशाप है जिसे हटाना होगा या इसका स्वरूप बदलना होगा यही सही सोच जनता के दिल मे उतरी और जनता ने भाजपा को ऐतिहासिक जीत के साथ देश की कमान सौंपी के अब ऐसा करो जो सबके हित मे हो न्याय करो सबके साथ तभी पूरा होगा सबका साथ सबका विकास।
लेकिन सत्ता का नशा और बहुमत का आंकड़ा ये ऐसी चीज़ है जो अच्छी बात को भी बुरी साबित कर देती है और बुरी बात अच्छी लगने लगती है ये बात भी हमे राजनैतिक पार्टियों से यदाकदा सीखने को मिल ही जाती हैं। ताज़ा उदाहरण भाजपा ने ही दे दिया जिस एक्ट के लिए सुप्रीम कोर्ट ने प्रश्न चिन्ह लगाया सरकार ने उसे अपने पटल से लागू कर दिया ये भी नही सोचा कि पहले वो खुद इसका विरोध करती थी कहती थी कि इसका दुरुपयोग होता है लेकिन अब दुरुपयोग हो तो हो वोट आने की आस तो दिखी होगी तभी अपना ज़ोर दिखा कर ले आये बिल।
और तो और अब क़ाबिलियत भी आरक्षण की भेंट चढ़ने लगा है यहां आपके हुनर को नही आपकी जाति को सम्मान मिल रहा है आप की जाति में अगर दम है तो आपका प्रमोशन हम कर देंगे ये भी एक सरकारी स्टंट है जो राजनैतिक पार्टियों के लिए वोट बैंक की गारंटी बन कर आता है।लेकिन सवाल यही है कि सबका साथ सबका विकास की बात किसको छलने के लिए की थी आपने इसी देश की जनता को जिसने आपको मौका दिया कि बुराई दूर करो पर आप तो हम लोगों में दूरियां लाने वाला काम करने लगे ऐसा क्यों सिर्फ सत्ता के लिए ना के हम नही तो कोई और कर देगा।
अरे ऐसा नही है गलत बात सबको गलत ही लगती है आरक्षण वो भीख है जो स्वाभिमान गिरा देती है
आप आरक्षण दीजिये लेकिन जाति को नही ज़रूरत को दीजिये तब शायद आपका सम्मान जनता फिर सूद समेत लौटाए आपको।
अधिकारी निडर, सरकार बेखबर।
पाँच बार साँसद होना और सीएम की अलग अलग है डगर।।
लाठी खाने वाला कार्यकर्ता घुट घुट रहा है मर।
क्यो घर के चिराग सेही घर रहा है जर।।