शरद मिश्रा”शरद”
लखीमपुर खीरी:NOI-दुधवा टाइगर रिजर्व में हाथियों का विशेष महत्व है। यहां के हाथियों ने प्रदेश के अलग-अलग हिस्सों में मानव वन्यजीव संघर्ष को रोकने बिगड़ैल बाघों को पकड़ने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। इतना ही नही जंगल सफारी और गैंडा परियोजना में मॉनिटरिंग के लिए भी हाथी का प्रयोग किया जाता है। पिछले महीने कर्नाटक से 10 हाथी का दल लाए जाने के बाद इनकी संख्या बढ कर 12 हो गई है। हालांकि इन सभी हाथियों को अभी दुधवा से दूर ही रखा गया है। इन हाथीयों को भीरा वन निगम के पुराने डिपो में रखकर प्रशिक्षित किया जा रहा है। इन हाथियों को करीब एक साल तक हर तरीके के ट्रेंड किया जाएगा और उसके बाद ही दुधवा में पर्यटन सत्र की गतिविधियों से जोड़े जाएंगे।
एक साल तक चलेगा प्रशिक्षण:-
दुधवा में आये हाथियों के दल को कई तरह से अलग-अलग प्रशिक्षण दिया जा रहा है। इन्हें फुटबॉल खेलना, फ्रेंडशिप करना, सैलानियों के सिर पर अपनी सूढ़ रखना, जैसी ट्रेनिंग पहले से ही दी जा चुकी है। अब उन्हें जंगल में सैलानियों को भ्रमण कराने मानव वन्यजीव संघर्ष के में किस तरह से प्रतिक्रिया देनी है। इस बात की ट्रेनिंग दी जा रही है।
*संक्रमण से बचाने को अलग रखा गया:-*
जानवरों में संक्रमण तेजी से फैल रहा है। इसीलिए कर्नाटक से आए हाथियों को दुधवा में पुराने हाथियों के साथ नहीं रखा गया। अगर ऐसा किया जाता है। तो यदि कोई बीमारी किसी हाथी को होती है। तो अन्य हाथियों में तेजी से फैलने की आशंका प्रबल हो जाएगी। इसी वजह से इन हाथियों को अलग रखकर उन्हें हर खतरे से बचाने का प्रयास किया जा रहा है। इस वजह से भी उन्हें अंखियों से दूर रखा गया।
*दुधवा का हाथी परिवार:-*
इस समय दुधवा में रुपकली, पवनकली, गजराज, मोहन चमेली, सुलोचना, सहेली, विनायक, पाखरी, सुंदर, गंगाकाली, मधु नाम की कुल 12 हाथी हैं। इनमें से रूप कली की रीढ़ में दिक्कत है। जबकि गंगागली भी बीमार रहती है। हालांकि उनसे पेट्रोलियम का काम लिया जाता है। सुहेली और विनायक अभी कम उम्र के हैं। इस तरह से हाथियों की संख्या 12 होने के बावजूद दुधवा में उनकी कमी खल रही है। कर्नाटक के 10 हाथी जब प्रशिक्षण पाकर दुधवा आएंगे। तब वह सैलानियों को जंगल भ्रमण कराने से लेकर मॉनिटरिंग और बाघ को पकड़ने जैसी अभियान से जुड़ सकेंगे।