इलाहाबाद। इलाहाबाद विश्वविद्यालय में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का पुतला जलाना एक छात्र को महंगा पड़ गया। विश्वविद्यालय प्रशासन ने छात्र की इस करतूत को धर्म विरुद्ध बताया है। साथ ही विश्वविद्यालय परिसर में धरना-प्रदर्शन, घेराव और अराजकता फैलाने को लेकर छात्र को कारण बताओ नोटिस जारी किया गया है।
विश्वविद्यालय के कुलानुशासक प्रोफेसर रामसेवक दुबे ने छात्र संघ के उपाध्यक्ष अदील हमजा को नोटिस जारी करते हुए कहा, ‘मुख्यमंत्री आदित्यनाथ एक महान विचारधारा के चिंतक, प्रखर वक्ता एवं पवित्र मंदिर के धर्माचार्य हैं। उनका इस प्रकार किया गया पुतला दहन का कृत्य असंवैधानिक, अवैधानिक, अधार्मिक, अनाध्यात्मिक और विश्वविद्यालय अनुशासन संहिता का उल्लंघन है।’
छात्र को भेजे गए नोटिस में विश्वविद्यालय ने कहा है कि, ‘यह प्रांगण विधाओं की साधना का पवित्र स्थान है। इस स्थल पर शव यात्रा निकालना, पुतला दहन करना, अपशब्दों का प्रयोग करते हुए नारेबाजी करना, शिक्षण, पठन-पाठन में अशांति पैदा करना, तोड़फोड़-आगजनी करना सर्वथा निषिद्ध तथा विश्वविद्यालय अनुशासन संहिता का उल्लंघन है। लेकिन इस प्रकार का कृत्यों का नेतृत्व आपके द्वारा किया गया है।’
नोटिस में आगे कहा गया, ‘इसलिए आपसे यह अपेक्षा की जाती है कि दिनांक 25 जून 2017 तक लिखित रुप से पंजीकृत डाक द्वारा यह कारण बतायें कि आपके द्वारा किए गए इन अपकृत्यों के लिए आपके विरुध्द अनुशासनात्मक कार्यवाही क्यों न की जाए? लिहाजा, इलाहाबाद विश्वविद्यालय परिसर में 15 अगस्त 2017 तक आपका प्रवेश प्रतिबंधित किया जाता है।’
वहीं छात्र नेता अदील ने आरोपों को खारिज कर दिया है। उन्होंने कहा है कि मुख्यमंत्री एक संवैधानिक पद पर बैठे हैं और वो आलोचना से परे नहीं हैं। हमजा ने कहा कि छात्र नेता की हैसियत से छात्रों के मुद्दे उठाने के लिए जरूरत पड़ने पर वो मुख्यमंत्री के पुतले फूंकेंगे। उन्होंने कहा कि उन्हें मुस्लिम होने की वजह से निशाना बनाया जा रहा है और यूनिवर्सिटी प्रशासन छात्रों के प्रदर्शन को जबरन धार्मिक रूप देने की कोशिश कर रहा है।