जिग्नेश गुजरात में बीजेपी के खिलाफ भले ही बड़ा करिश्मा दिखाने में कामयाब नहीं हो सके, लेकिन देश के बाकी हिस्सों में कांग्रेस के लिए मददगार साबित हो सकते हैं. कांग्रेस के लिए जिग्नेश परोक्ष रूप से दलित चेहरा बनकर उभरे हैं. जिग्नेश ने कर्नाटक में मोदी के खिलाफ प्रचार का ऐलान भी कर दिया है.
गुजरात में दलित आंदोलन से निकले जिग्नेश मेवाणी अब विधायक बन चुके हैं. वो कांग्रेस सहित कई पार्टियों के समर्थन से निर्दलीय विधायक बनने में कामयाब हुए हैं. जिग्नेश गुजरात में बीजेपी के खिलाफ भले ही बड़ा करिश्मा दिखाने में कामयाब नहीं हो सके, लेकिन देश के बाकी हिस्सों में कांग्रेस के लिए मददगार साबित हो सकते हैं. क्योंकि जिग्नेश ने बीजेपी और मोदी के खिलाफ देश के बाकी राज्यों में अभियान चलाने का बीड़ा उठाया है. कांग्रेस के लिए जिग्नेश परोक्ष रूप से दलित चेहरा बनकर उभरे हैं. जिग्नेश ने कर्नाटक में मोदी के खिलाफ प्रचार का ऐलान भी कर दिया है.
2018 में इन राज्यों में चुनाव
बता दें कि अगले साल 2018 में देश के आठ राज्यों में विधानसभा चुनाव होने हैं. इनमें प्रमुख रूप से कर्नाटक, राजस्थान, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, शामिल हैं. इनमें से तीन जगह बीजेपी और एक जगह कांग्रेस की फिलहाल सरकार है. इसके अलावा नॉर्थ ईस्ट के त्रिपुरा और मेघालय भी हैं, जहां विधानसभा चुनाव होने हैं.
बीजेपी का टारगेट कर्नाटक
गुजरात की सियासी जंग फतह करने के बाद बीजेपी का टारगेट अगले साल अप्रैल में होने वाले कर्नाटक को बनाया है. मौजूदा समय में कर्नाटक की सत्ता पर कांग्रेस विराजमान है. कर्नाटक की सत्ता को छीनने पर बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह और पीएम नरेंद्र मोदी ने पूरा ध्यान केंद्रित किया है. बीजेपी पूर्व मुख्यमंत्री बीएस येदियुरप्पा के चेहरे को आगे बढ़ाकर चुनावी जंग में उतर रही है.
जिग्नेश का मिशन कर्नाटक
गुजरात में मोदी की मुश्किलें बढ़ाने के बाद अब जिग्नेश मेवाणी ने मोदी और बीजेपी के खिलाफ कर्नाटक के सियासी रण में उतरने का फैसला किया है. वे किसी भी पार्टी में शामिल होने से इनकार करते हैं, लेकिन बीजेपी के खिलाफ हर कदम उठाने को तैयार हैं. जिग्नेश ने आजतक से खास बातचीत में जिग्नेश ने कहा कि कर्नाटक में बीजेपी विरोधी दलों को मजबूत करने के लिए कड़ी मेहनत करेंगे. कर्नाटक में तीन प्रमुख पार्टियां कांग्रेस, बीजेपी और जनता दल (सेक्लूयर) हैं. ऐसे में जिग्नेश का बीजेपी के खिलाफ अभियान चलाने का सीधा फायदा कांग्रेस को मिलेगा.
कर्नाटक में दलित समीकरण
बता दें कि कर्नाटक में करीब 23 फीसदी दलित मतदाता हैं. राज्य में कांग्रेस का दलित चेहरा मल्लिकार्जुन खड़गे हैं, जो लोकसभा में पार्टी के नेता हैं. ऊना कांड के बाद जिग्नेश की दलित समुदाय में एक पहचान बनी. ऐसे में कर्नाटक की जमीन पर उतरकर बीजेपी के खिलाफ अभियान का फायदा कांग्रेस के पक्ष में जाएगा.
हार्दिक का हाथ जिग्नेेश के साथ
जिग्नेश सिर्फ कर्नाटक ही नहीं बल्कि मध्य प्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़ में भी बीजेपी के खिलाफ अभियान का बीड़ा उठाए हुए हैं. इन सभी राज्यों में बीजेपी और कांग्रेस दो ही प्रमुख पार्टियां हैं. इस तरह बीजेपी के खिलाफ उनके अभियान चलाने का सीधा फायदा कांग्रेस को मिलेगा. जिग्नेश अकेले ही नहीं बल्कि पाटीदार नेता हार्दिक पटेल का भी साथ लेंगे. वो इन राज्यों में स्थानीय मुद्दे को उठाएंगे. जिग्नेश कहते हैं कि हम कुछ वैचारिक मोर्चों पर अलग हो सकते हैं, लेकिन हम देश को मोदी और बीजेपी की विभाजनकारी राजनीति से मुक्त करने के लिए हम एक हैं.
जेएनयू के युवा नेताओं का मोर्चा
जिग्नेश मेवाणी बीजेपी और मोदी के खिलाफ जो युवा नेता अभियान चला रहे हैं उनके साथ मिलकर एक मोर्चा बनाने की बात कर रहे हैं. जिग्नेश ने कहा, ‘जेएनयू के पूर्व छात्र संघ अध्यक्ष कन्हैया कुमार, शहला रशीद, मोहित पांडेय जैसे युवा नेताओं के साथ एक स्वतंत्र राजनीतिक मोर्चा बनाने पर कार्य करना.’
बीजेपी के खिलाफ प्लान 2019
मोदी और बीजेपी के खिलाफ जिग्नेश ने जिन युवा नेताओं के सहारे अभियान चलाने की बीड़ा उठाया है. ये सभी 2014 से मोदी और बीजेपी सहित आरएसएस के खिलाफ अभियान चला रहे हैं. कांग्रेस इन युवाओं के सहारे 2019 की सियासी जंग फतह करना चाहती है. लोकसभा चुनाव में अभी करीब 18 महीने का वक्त बचा हुआ है. जिग्नेश की अगुवाई में इन युवा नेताओं को जमीन पर उतारकर बीजेपी के खिलाफ माहौल बनाना कहीं न कहीं कांग्रेस की रणनीति का हिस्सा माना जा रहा है. क्योंकि इसका सियासी फायदा सीधे कांग्रेस को ही मिलेगा.