पटना। बिहार में पैदा हुए राजनीतिक संकट का लगभग खात्मा हो गया है। लालू प्रसाद यादव ने राजद विधायकों की बैठक के बाद स्पष्ट कर दिया है कि तेजस्वी यादव इस्तीफा नहीं देंगे। अब इस फैसले के बाद मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पर दबाव बढ़ गया है। इन सबके बीच अब सबकी निगाहें नीतीश कुमार के रुख पर टिकी हैं। तेजस्वी के बारे में उनका निर्णय ही बिहार की सियासी भविष्य को तय करेगा।
खास बातें-
इस मामले को निपटाने में कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी का बड़ा हाथ था। सूत्रों के हवाले से खबर आई है कि उन्होंने फोन पर लालू यादव और नीतीश कुमार से बात कर राजनीतिक ड्रामा समाप्त करवाया। सोनिया गांधी के अलावा बीएसपी सुप्रीमो मायावती, पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी, करुणानिधि, हेमंत सोरेन, दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने भी इस ड्रामे को खत्म करने में अहम भूमिका निभाई। वहीं जदयू नेता शरद यादव ने इन सबके बीच पुल बनाने का काम किया।
राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद ने कहा कि मेरी तरफ से गठबंधन पर आंच नहीं आएगी। नीतीश कुमार से मेरा कोई मतभेद नहीं है। गठबंधन अटूट है। उन्होंने साफ किया कि उपमुख्यमंत्री तेजस्वी प्रसाद यादव इस्तीफा नहीं देंगे। विधायक दल की बैठक में इसका निर्णय हो चुका है। एफआईआर होने से इस्तीफा नहीं होता है।
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, शुक्रवार की शाम रांची से पटना लौटने के बाद लालू प्रसाद ने पार्टी नेताओं के साथ बैठक की। इसके बाद उन्होंने देर रात मीडिया के सामने कहा कि हमारा और हमारे बच्चों की सारी संपत्ति पब्लिक डोमिन में है। हम किसी से डरने वाले नहीं हैं। गठबंधन को तोड़ने के लिए सीबीआई और ईडी की कार्रवाई का खेल हो रहा है। जांच एजेंसियां जब बुलाएंगी तो हम अपनी सफाई देंगे।
उन्होंने कहा कि किसी भी कीमत पर वह बीजेपी को बिहार में नहीं घुसने देंगे। उन्होंने कहा कि जनता ने तेजस्वी को जिताया है, जनता ही फैसला करेगी। लालू प्रसाद ने अपने जवाब से साफ कर दिया है कि वह बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और उनकी पार्टी जदयू के दबाव में आने के लिए तैयार नहीं है।