इरफ़ान शाहिद,न्यूज़ वन इंडिया। नोटबन्दी के बाद बैक को जो सरकारी तोहफा मिला उससे बैंको में सारा माहौल ही बदल गया है।पहले जहां बैंक खाता धारकों से इज़्ज़त से पेश आता था अब वही उसका रवैया तानाशाह जैसा नज़र आने लगा है ऐसा इसलिए भी है क्योंकि वो जानता है कि खाताधारक के पास सिवाय उसकी सुनने के कोई दूसरा चारा जो नही है।
वैसे तो गाहे बगाहे इस तरह की खबरे रोज़ ही सुनने को मिलती थी कि बैक में उनके जमा पैसे काटे जा रहे हैं या सब्सीडी खाता धारक के खाते में नही पहुंच रही उस पर से आग में घी का काम किया नए नियम ने जो मिनिमम बेलेंस ना होने पर कटोती की जाने लगी मत पूछिए भाई बैंक ना हो गया सिरदर्दी हो गई।
आज का ही वाकया आपको बता दूं एक सज्जन ने फोन पर हमको ये सूचना दी कि उनको एस बी आई खाते में कुछ रकम अपने रिश्तेदार को भेजनी थी जिसको लेकर वो ठाकुरगंज की ब्रांच गए उन्होंने खाता नंबर नाम रकम सब फार्म पे अंकित कर अपनी बारी का इंतज़ार किया आधे घण्टे बाद जब बारी आई तो बैंक कर्मी ने पैसा लिया गिना फिर कम्प्यूटर पे खाता नम्बर डाला उसके बाद तो उसके सुर ही बदल गए कहने लगा खाता बाहर का है बैंक से पैसा नही जाएगा जन सेवा केंद्र जाइये यहां सिर्फ एटीएम या चेक से ही पैसा बाहर जाता है बल्कि पिछले महीने हज़रतगंज की ब्रांच ने नगद पैसे ले कर ही बाहर के खाते में डाले थे।
ये बात सुनकर हमको भी अजीब लगा, बैंक गए तो कोई बोलने को तैयार नही के वजह क्या है कि जो काम जन सेवा केंद्र कर सकता है वो बैंक क्यों नही क्या इसलिए कि वहां इसी से कमाई होती है शायद यही वजह होगी 100 जमा करने पर 10 जेब मे जो आते हैं।