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Thursday, December 26, 2024

​मेरी बच्ची की क्या गलती थी जो हमको बहिष्कृत कर दिया???

लखनऊ,दीपक ठाकुर। ये सवाल पूछा है निर्भया की मां आशा देवी ने वो भी इसलिए कि चार साल से भी ज़्यादा का समय बीत जाने के बाद सुप्रीम कोर्ट से न्याय की आस तो पूरी हुई पर इतनी देर क्यों हुई ये सवाल की वजह है आपको बताते है निर्भया कांड कैसे और क्यों बना और कौन थी निर्भया?
देश की राजधानी दिल्ली को चार साल पहले आज के ही दिन यानी 16 दिसंबर को सामूहिक बलात्कार की एक घटना ने पूरे देश को हिलाकर रख दिया था. आरोपियों ने इस वारदात के दौरान ऐसी दरिंदगी दिखाई थी कि लोगों का कलेजा मुंह को आ गया था. पीड़िता के साथ इस बेरहमी से बलात्कार किया गया था कि उसकी आंतें भी शरीर से बाहर निकल आई थी।

 16 दिसंबर 2012 की वो रात दिल्ली के चेहरे पर एक बदनुमा दाग की तरह बन गई।उस रात एक चलती बस में पांच बालिग और एक नाबालिग दरिंदे ने 23 साल की निर्भया के साथ हैवानियत का जो खेल खेला, उसे जानकर हर देशवासी का कलेजा कांप उठा।वह युवती पैरामेडिकल की छात्रा थी।

दिल्ली में 16 दिसम्बर की उस रात निर्भया फिल्म देखने के बाद अपने पुरुष मित्र के साथ एक बस में सवार होकर बस से द्वारका जा रही थी।बस में सवार होने के बाद उसने देखा कि बस में केवल पांच से सात यात्री सवार थे। अचानक वे सभी निर्भया के साथ छेड़छाड़ करने लगे. उस पर तंज कसने लगे।बस में उनके अलावा कोई और यात्री नहीं था। निर्भया के मित्र ने इस बात का विरोध किया। लेकिन उन सब लोगों ने उसके साथ भी मारपीट शुरु कर दी। उसे इतना पीटा गया कि वो लड़का बेहोश हो गया।

निर्भया बस में अकेली और मजबूर थी।बस दिल्ली की सड़क पर तेजी से दौड़ रही थी।रात का अंधेरा घना होता जा रहा था। अब वे सारे दरिंदे निर्भया पर टूट पड़े। निर्भया उन दरिंदों से अकेली जूझती रही।उसने देर तक उन वहशी दरिंदों का सामना किया लेकिन वो हार चुकी थी।उन सबने निर्भया के साथ सामुहिक बलात्कार किया।इस हैवानियत की वजह से उसकी आंते तक शरीर से बाहर निकल आईं थी। खून से लथपथ लड़की जिंदगी और मौत से जूझ रही थी। बाद में उन शैतानों ने निर्भया और उसके साथी को दक्षिण दिल्ली के महिपालपुर के नजदीक वसंत विहार इलाके में चलती बस से फेंक दिया था।

आधी रात हो चुकी थी। किसी ने पुलिस को खबर दी कि बसंत विहार इलाके में एक युवक और युवती बेहोश पड़े हैं। सूचना मिलने के साथ ही पुलिस हरकत में आई। पीड़ित लड़की को नाजुक हालत में दिल्ली के सफदरजंग अस्पताल में भर्ती कराया गया।मामला तब तक मीडिया की सुर्खियों में आ गया पूरे देश इस ख़बर को देख रहा था। लड़की के साथ हुई दरिंदगी को जानकर हर कोई गुस्से में था। आरोपियों की गिरफ्तारी को लेकर आवाज उठने लगी।

इसको ले कर संसद से सड़क तक आक्रोश दिखाई दिया पर सवाल फिर भी यही कि क्या वजह रही जो न्याय के लिए उसके परिवार को इतना इंतज़ार और सामाजिक बहिष्कार सहना पड़ा।हालांकि मामला फ़ास्ट ट्रैक कोर्ट में चला जहाँ दोषियों को फांसी की सजा हुई जिसको हाई कोर्ट की भी मंजूरी मिली और 5 अप्रैल का दिन बेहद खास इसलिए है क्योंकि सुप्रीमकोर्ट इस मामले पर दोषियों को फांसी की सज़ा पर अपनी अंतिम मुहर लगा चुका है हालांकि परिवार को न्यायालय से इंसाफ की पूरी उम्मीद भी थी पर इस दौरान जो परिवार के साथ व्यवहार हुआ उससे वो बड़ा दुखी है और कह रहा है कि सोच और नज़रिया बदलने का वक़्त आ चुका है। क्योंकि सिर्फ लड़कियों पर दोष मढ़ने वाली प्रवर्ती ही ऐसी घटनाओं और घटना करने वालों के मनोबल को बढाने का काम करती है।

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