कांग्रेस बेशक गुजरात में अपनी हार में भी जीत महसूस कर सकती है मगर सबसे पुरानी पार्टी को आगामी चुनौतियों का सामना करने के लिए तैयारी करनी होगी। सोनिया गांधी राजनीति से सेवानिवृत्त हो रही हैं, ऐसा प्रश्न ही नहीं उठता। इसकी बजाय वह एक नए अवतार में अब भंग हुए संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (यू.पी.ए.) को फिर से सक्रिय करने में अधिक भूमिका निभाएंगी। सोनिया गांधी यू.पी.ए. की चेयरपर्सन बनी रहेंगी। ऐसी चर्चा है कि एक उत्प्रेरक की भूमिका निभाने के लिए अन्य पार्टियों से एक संयोजक चुना जाएगा। वयोवृद्ध विपक्षी नेता शरद यादव का नाम यू.पी.ए. के संयोजक के रूप में उभर कर सामने आया है।
यू.पी.ए.-1 और यू.पी.ए.-2 में कोई भी संयोजक नहीं था मगर अब महसूस किया गया है कि विपक्षी दलों से एक संयोजक का होना जरूरी है जो उनको बेहतर ढंग से समझ सके। गांधी टीम में शरद यादव को सबसे ऊपर समझा जाता है क्योंकि उन्होंने मोदी सरकार में मंत्री पद को कुर्बान कर दिया और अपने स्टैंड पर अडिग रहे। कांग्रेस यह भी चाहती है कि उन्हें राज्यसभा में लाया जाए। कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी अब भारत में जाति राजनीति में पूरी तरह से घुल गए हैं। इस संबंध में यादव से अधिक बेहतर कौन जानेगा जो मंडल आयोग राजनीति के पक्ष में थे।