दीपकठकुर, न्यूज़ वन इंडिया। समाजवादी पार्टी में अभी तक ये क्लियर नही हो पाया कि सपा संस्थापक इस पार्टी में हैं या नही अगर हैं तो आगरा अधिवेशन से क्यों नदारद रहे और अगर नही तो अखिलेश यादव को किस बात का आशीर्वाद देते हैं ये बात ना पिता जी बता रहे हैं ना ही पुत्र इस विषय मे कुछ भी बोलने को तैयार है पर एक बात तो तय है कि जो भी है वो उन दोनो की गजब की अंडरस्टैंडिंग का नतीजा है पर चाचा शिवपाल इसी से मिसगाइड हो रहे हैं।वो खुद इस पार्टी में कहां ठहरते हैं उन्हें खुद मालूम नही वो भाई मुलायम सिंह को उनका खोया सम्मान लौटाने की बात तो करते हैं पर जहां ऐसा होना चाहिए वहां से वो खुद ही गायब हो जाते है याद ही होगा जब लखनऊ में मुलायम सिंह ने प्रेस कांफ्रेंस की थी तो ये भाई साहब साथ नही थे अगर चाहते तो भाई के लिए दो शब्द ज़रूर बोलते।
ये सब भी ठीक सबकी अपनी अपनी राजनीति चल ही रही है एक बार फिर अखिलेश यादव ने खुद को पार्टी का अध्यक्ष मनोनीत करवा लिया वो भी पांच साल के लिए क्या हुआ जो पिता जी नही आ पाए आगरा उनकी तस्वीर तो वहां आशीष दे रही थी पुत्र को जो पुत्र की चाहत भी है कि आशीर्वाद बना रहे वो बना भी है अब सब होने के बाद शिवपाल फिर मुलायम सिंह से बंद कमरे में मंत्रणा करने पहुंचते है क्या बात हुई ये अभी पता नही कयास यही लग रहे हैं कि पार्टी के अध्यक्ष पद को लेकर बात हुई होगी उसपर मुलायम सिंह ने उनसे क्या बोला होगा ये अभी साफ नही है पर शायद वही कहा होगा जो मोदी जी के कान में बोल कर सस्पेंस खड़ा कर दिया था।
खैर लगता नही के समाजवादी पार्टी में पारिवारिक कलह इतनी जल्दी समाप्त होते दिखाई देगी क्योंकि जो अभी दिखाई दे रहा है उसे देख कर तो यही लगता है कि पिक्चर अभी बाकी है मेरे दोस्त।