नई दिल्ली, एजेंसी। दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने चुनाव आयोग से मांग की है कि एमसीडी चुनाव में ईवीएम की जगह बैलेट पेपर से मतदान कराया जाए। हालांकि चुनाव आयोग ने केजरीवाल की इस मांग को खारिज कर दिया है लेकिन, यूपी इलेक्शन कमीशन का पुराने ईवीएम इस्तेमाल करने से मना करने के बाद एक नया विवाद खड़ा हो गया है। असल में ईवीएम मशीन में इन पांच कमियों के कारण विवाद पैदा हो गया है। आइए जानते हैं क्या मुश्किल है पुराने ईवीएम के इस्तेमाल में..
1- असल में दिल्ली और यूपी दोनों ही जगहों पर स्थानीय निकायों के चुनाव होने वाले हैं। चुनाव आयोग ने इन दोनों ही राज्यों में मतदान के लिए जो मशीनें भेजी हैं वो 2006 से पहले की बनी हुई हैं।
3- 2006 से पहले बनी ईवीएम के साथ एक अन्य परेशानी ये है कि इसमें वीवीपीएटी (VVPAT) सुविधा नहीं लगाई जा सकती। यानि इन मशीनों के साथ प्रिंटर नहीं जोड़ा जा सकता।
4- असल में ईवीएम मशीन में शिकायत के बाद उसमें वीवीपीएटी व्यवस्था को शामिल किया गया। 2006 के बाद बनीं नई मशीनों में यह सुविधा उपलब्ध है जिसके साथ प्रिंटर अटैच होता है। इसका फायदा ये होता है कि जैसे ही कोई मतदाता बटन दबाता है प्रिंटर से एक पर्ची निकलती है जिस पर वो चुनाव चिन्ह अंकित रहता है जिसे मत दिया गया है। इससे किसी गलत व्यक्ति को वोट जाने का खतरा या शंका समाप्त हो जाती है।
5- जब 2006 के पहले बने मशीन को यूपी इलेक्शन कमीशन इस्तेमाल करने से डर रहा है तो दिल्ली के चुनाव आयोग ने इसे क्यों स्वीकार कर लिया इस पर भी सवाल खड़े हो रहे हैं। इस बारे में आम आदमी पार्टी ने चुनाव आयोग से लिखित शिकायत भी की है।